नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इसे Y से बढ़ाकर Z कैटेगरी किया गया है। गृह मंत्रालय ने यह फैसला किया है। Z श्रेणी में 36 सीआरपीएफ कमांडो जयशंकर की सुरक्षा में तैनात रहेंगे। आखिर विदेश मंत्री की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला क्यों लिया गया? Y के मुकाबले Z कैटेगरी में सुरक्षा में क्या बदलाव हो जाएंगे? आइए, यहां इन दोनों ही सवालों के जवाब जानते हैं।
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गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर की जान को खतरा बढ़ा है। इंटेलिजेंस ब्यूरो की थ्रेट रिपोर्ट के बाद जयशंकर की सिक्योरिटी बढ़ाने का फैसला किया गया है। जयशंकर मोदी कैबिनेट के सबसे मुखर मंत्रियों में शुमार हैं। उन्हें अपनी बात को बेहद खरे तरीके से रखने के लिए जाना जाता है। उनके कार्यकाल में भारतीय विदेश नीति में आक्रामकता आई है।
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Y से Z कैटेगरी में बदलाव का क्या है मतलब? अब तक जयशंकर को Y श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी। इस तरह की सिक्योरिटी में 11 सुरक्षाकर्मियों का कवर मिलता है। इसमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ शामिल होते हैं। जयशंकर की सिक्योरिटी Y से Z में अपग्रेड होने का मतलब यह है कि अब उन्हें 22 सुरक्षाकर्मियों का कवर मिलेगा। ये सुरक्षाकर्मी 24 घंटे उनकी सिक्योरिटी में तैनात होंगे। इनमें 4 से 6 एनएसजी कमांडो के साथ दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी होंगे।
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कितनी तरह की होती है सिक्योरिटी?
सुरक्षा के लिए 5 पांच तरह की कैटेगरी होती हैं। इनमें X,Y,Y+, Z और Z+ शामिल हैं। खतरे के अनुसार, सुरक्षा बढ़ाई जाती है। हर कैटेगरी के बढ़ने के साथ खर्च भी बढ़ जाता है। X कैटेगरी में दो सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें कोई कमांडो नहीं होता है। एक पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (पीएसओ) भी होता है। Y में 11 सुरक्षाकर्मियों का कवर होता है। इनमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ शामिल होते हैं। Y+ में 11 सिक्योरिटी पर्सन के अलावा एस्कॉर्ट वाहन होता है। एक गार्ड कमांडर और चार गार्ड आवास पर रहते हैं। Z श्रेणी में 22 सुरक्षाकर्मी रहते हैं। इनमें 4-6 कमांडो शामिल होते हैं। इसके अलावा दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी होते हैं। Z+ श्रेणी में 58 सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें 10 से अधिक एनएसजी कमांडो होते हैं। सिक्योरिटी में एक बुलेटप्रूफ कार और 2 एस्कॉर्ट वाहन भी मिलते हैं। प्रधानमंत्री को इन सबसे अलग एसपीजी सुरक्षा मिलती है। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी का गठन 1988 में हुआ था।