SBI मेटल गोल्ड लोन नाम से स्कीम चलाता है. बैंक इसके तहत ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर्स को वर्किंग कैपिटल देता है. ज्वैलर्स बैंक से सोना लोन के तौर पर लेते हैं और फिर उससे ज्वैलरी बनाकर या तो घरेलू बाजार में बेच देते हैं या फिर उसे निर्यात करते हैं.
SBI Gold Loan: क्या आपको पता है कि देश के प्रमुख सरकारी बैंक State Bank of India को केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से देश में सोना आयात करने का अधिकार मिला हुआ है. बैंक गोल्ड इंपोर्ट के लिए नॉमिनेटेड है और दुनिया के नामी बैंकों से गोल्ड इंपोर्ट करके देश में सुनारों/व्यापारों को बेचता है. बैंक मेटल गोल्ड लोन और घरेलू और निर्यात के उद्देश्य से गोल्ड की आउटराइट सेल करता है.
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SBI Metal Gold Loan
एसबीआई मेटल गोल्ड लोन नाम से स्कीम चलाता है. बैंक इसके तहत ज्वैलरी मैन्युफैक्चरर्स को वर्किंग कैपिटल देता है. ज्वैलर्स बैंक से सोना लोन के तौर पर लेते हैं और फिर उससे ज्वैलरी बनाकर या तो घरेलू बाजार में बेच देते हैं या फिर उसे निर्यात करते हैं.
कौन ले सकता है मेटल गोल्ड लोन?
मेटल गोल्ड लोन के लिए ऐसे व्यक्ति, फर्म, कंपनी ले सकती हैं, जो ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस में या तो घरेलू बिक्री या निर्यात कर रही होती हैं. इसके लिए KYC नियमों का पालन करना जरूरी है.
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कितना मिलता है लोन?
इस स्कीम के तहत आप न्यूनतम 1 किलो सोना ले सकते हैं. अधिकतम सीमा कोई नहीं है.
रीपेमेंट
जिस दिन आप लोन भर रहे होंगे, उस दिन गोल्ड का जो दाम चल रहा होगा, उसी के बराबर आपको रुपये में रीपेमेंट करना होगा. 1 किलो और मल्टीपल किलो में पार्ट-पेमेंट किया जा सकता है. अधिकतम रीपेमेंट पीरियड 180 दिनों और 270 दिनों के बीच ही रहेगा. शॉर्ट टर्म बैंक डिपॉजिट स्कीम के तहत दिए गए MGL के तहत 1 किलो या उससे ज्यादा किलो में रीपेमेंट का ऑप्शन है.
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सिक्योरिटी देनी होगी
इसपर आपको सिक्योरिटी देनी होगी, जिसमें गोल्ड की अनुमानित लागत का 110% कैश मार्जिन प्लस सीआईपी प्रीमियम, सीमा शुल्क, जीएसटी और किसी भी अन्य स्थानीय कर/शुल्क आदि जैसे लागू शुल्क का 100% लगेगा. एमजीएल के लिए कैश (STDR)/BG & SBLC/ Cash Credit Limit के ऊपर कॉलेटरल वैल्यू रखा जाएगा. इस लोन पीरियड में निर्धारित सिक्योरिटी मेंटेन करनी होगी.