महंगाई को काबू करने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. केंद्र की तरफ से यह पहल शुरू की गई है. सरकार 27.50 रुपये किलो के भाव पर सस्ता आटा बेच रही है.
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केंद्र सरकार ने रियायती दर पर पैकेज्ड गेहूं का आटा लॉन्च किया है, जिसे सभी कंज्यूमर खरीद सकते हैं. यह त्योहारी सीजन के दौरान खाद्य पदार्थों की कीमतों को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. सरकार ने यह पहल उस समय शुरू की है जब वस्तुओं की मांग बढ़ने की उम्मीद है.
इस योजना में केंद्रीय भंडार, सहकारी जनरल स्टोर्स के एक नेटवर्क, और राष्ट्रीय कृषि सहकारी मार्केटिंग महासंघ और राष्ट्रीय सहकारी कंज्यूमर महासंघ को 25 मिलियन टन सरकारी स्वामित्व वाला गेहूं जारी करना शामिल है.
ये एजेंसियां, ब्रांडेड भारत आटा आटा, 27.50 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बेचेंगी, जबकि बाजार मूल्य 32-34 प्रति किलो है. केंद्रीय भंडार के माध्यम से बेचे जाने वाले आटे की कीमत पहले 29.50 रुपये प्रति किलो थी.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सुनिश्चित करने के लिए हर बार हस्तक्षेप किया है कि उच्च महंगाई का असर आम आदमी पर न पड़े. खाद्य, उपभोक्ता मामले और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली के कर्त्तव्य पथ में योजना की शुरुआत करते हुए कहा, जब कीमतें बढ़ीं तो हमने सब्सिडी प्रदान करके सस्ती दालें, टमाटर और प्याज वितरित किए थे.
सब्सिडी वाला आटा केंद्रीय भंडार, NAFED, NCCF और सरकारी सहकारी दुकानों के साथ-साथ NAFED और NCCF द्वारा संचालित खाद्य वैन में उपलब्ध होगा. खाद्य मंत्री ने सोमवार को ऐसी 100 वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. ये राज्य एजेंसियां इस प्रक्रिया के लिए निविदा देने वाली फर्मों द्वारा गेहूं की पिसाई करवा रही हैं. आमतौर पर बड़े गेहूं मिल मालिकों को अनाज को आटा में पीसने के लिए प्रति किलो 1.80 रुपये का खर्च आता है.
मोदी ने मध्य प्रदेश में एक चुनावी रैली में अगले पांच वर्षों के लिए सब्सिडी वाले भोजन के हकदार सभी 800 मिलियन लाभार्थियों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराये जाने की घोषणा की.
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बता दें, उच्च खाद्य कीमतों से जूझते हुए, सरकार ने गेहूं और चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है, प्याज के विदेशी शिपमेंट पर 800 डॉलर का न्यूनतम मूल्य लगाया है और दालों पर आयात पर शुल्क हटा दिया है. मुद्रास्फीति विरोधी उपाय पांच राज्यों में प्रमुख विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले उठाए गए हैं, जिसमें मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रयास करेंगे.
पर्याप्त फसल के बावजूद, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक कम से कम 12 महीनों से उच्च अनाज मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है. बम्पर फसल से कीमतें गिरनी चाहिए. अनाज मुद्रास्फीति लगातार दोहरे अंक में बनी हुई है.
गेहूं की खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 7.9% हो गई, जो अगस्त में 9.3% थी. पिछले साल सितंबर में इसकी खुदरा कीमत 17.4% बढ़ी थी.
पैकेज्ड गेहूं योजना के लिए, सरकार अपनी खुले बाजार बिक्री योजना के तहत 250,000 टन गेहूं 21.50 रुपये प्रति किलो पर उतारेगी.
कृषि मंत्रालय द्वारा पिछले सप्ताह जारी 2022-23 के लिए फसल उत्पादन के चौथे और अंतिम दौर के अनुमान से पता चला कि खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई पर था. हालाँकि, गेहूं का उत्पादन 110 मिलियन टन रहा, जो 112 मिलियन टन के शुरुआती अनुमान से 1.7% कम है.
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गौरतलब है कि शीतकालीन स्टेपल का अंतिम उत्पादन अनुमान पिछले वर्ष के 105.7 मिलियन टन के उत्पादन की तुलना में 4.7% अधिक है. सरकार हर साल फसल उत्पादन का तिमाही अनुमान जारी करती है.