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Cyclone Alert: भारत पर मंडराया दो तूफानों का खतरा, IMD ने किया अलर्ट- बिपरजॉय से भी दोगुना खतरनाक हो सकता है ‘मिधिली’

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Cyclone Alert: एक अधिकारी ने कहा कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है, जो बाद में पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी में बड़े तूफान के रूप में बदल सकता है. IMD ने मछुआरों को अगली सूचना तक 15 से 17 नवंबर तक समुद्र में न जाने की सलाह दी है.

नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने के बाद ओडिशा के तटीय इलाकों में 45 किमी प्रति घंटे से 65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की भविष्यवाणी की है और उनमें से एक के गंभीर चक्रवात में बदलने की संभावना है.

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न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है, जो बाद में पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी में बड़े तूफान के रूप में बदल सकता है. उन्होंने कहा कि 15 नवंबर से आंध्र प्रदेश तट के पास और आसपास हवाओं की गति बढ़ने की संभावना है. दो दिन – 15 और 16 नवंबर को हवाएं चलेंगी.

IMD के वैज्ञानिक उमाशंकर दाश ने मंगलवार को कहा कि दक्षिणपूर्व बंगाल की खाड़ी और उससे सटे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर कम दबाव का क्षेत्र 16 नवंबर को आंध्र प्रदेश तट के पास पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक दबाव में बदलने से पहले पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की संभावना है. दाश ने बताया कि बाद में सिस्टम उत्तर-उत्तरपूर्व की ओर फिर से मुड़ेगा और 17 नवंबर को ओडिशा तट से उत्तरपश्चिम बंगाल की खाड़ी तक पहुंचेगा.

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IMD ने जारी किया अलर्ट
IMD ने कहा है कि अगर और जब निम्न दबाव का क्षेत्र तीव्र होकर चक्रवाती तूफान बनकर डिप्रेशन में बदल जाता है, तो इसे ‘मिधिली’ कहा जाएगा. IMD ने मछुआरों को अगली सूचना तक 15 से 17 नवंबर तक समुद्र में न जाने की सलाह दी है. मौसम विभाग ने 15 नवंबर को ओडिशा के कुछ तटीय जिलों में हल्की से मध्यम बारिश की भी भविष्यवाणी की है. साथ ही कहा है कि अगले दिनों में इसकी तीव्रता बढ़ने की संभावना है और 16 नवंबर को अलग-अलग स्थानों पर बहुत भारी बारिश होगी.

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डाउन टू अर्थ के अनुसार, मौसम विज्ञानियों ने एक और वायु चक्रवाती परिसंचरण देखा है, जो बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों पर बना हुआ है. दक्षिण कोरिया के जेजू नेशनल यूनिवर्सिटी के टाइफून रिसर्च सेंटर के अनुसंधान वैज्ञानिक विनीत कुमार सिंह ने कहा, इससे निम्न दबाव का क्षेत्र भी उत्पन्न हो सकता है.

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