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जल्द खत्म हो सकता है भारत-ईयू व्यापार विवाद

उम्मीद की जा रही है कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच करीब 54 अरब रुपयों के व्यापार विवाद का समाधान होने वाला है. आयात शुल्क का यह झगड़ा 2019 से विश्व व्यापार संघ (डब्ल्यूटीओ) में चल रहा है.

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत और ईयू के बीच इस बड़े झगड़े का जल्द ही समाधान होने वाला है. इस पर भारत और ईयू के बीच बने उच्चस्तरीय ट्रेड एंड टेक काउंसिल (टीटीसी) में एक बैठक हुई थी जहां समाधान पर चर्चा हुई थी.

झगड़ा इन्फॉर्मेशन कम्युनिकेशन्स टेक्नोलॉजी (आईसीटी) उत्पादों को लेकर है. आशंका व्यक्त की जा रही थी कि इसका असर देश के अंदर इलेक्ट्रॉनिक सामान के उत्पादन को बढ़ावा देने की भारत की कोशिशों पर पड़ सकता था.

क्या है झगड़े की वजह

झगड़ा 2019 में शुरू हुआ था जब ईयू ने डब्ल्यूटीओ में भारत के खिलाफ शिकायत की. भारत ने मोबाइल फोन, उसके पुर्जों, बेस स्टेशनों, इंटीग्रेटेड सर्किट और ऑप्टिकल उपकरण जैसे आईसीटी उत्पादों पर आयात शुल्क लगा रखा था और ईयू ने इस शुल्क को चुनौती दी थी.

ईयू का दावा था कि शुल्क वैश्विक मानकों के हिसाब से नहीं है और भारत भेजे जाने वाले उसके 54 अरब रुपयों के मूल्य के टेक निर्यात को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ईयू ने डब्ल्यूटीओ की विवाद समाधान प्रणाली के तहत इस शुल्क को चुनौती दे दी.

भारत ने आईसीटी सामान पर ज्यादा शुल्क इसलिए लगाया था ताकि इससे देश के अंदर इलेक्ट्रॉनिक सामान के उत्पादन को बढ़ावा मिले. बाद में इसके लिए भारत सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना भी शुरू की.

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इसके अलावा भारत ने ईयू को बताया कि भारतीय स्टील के आयात पर संघ ने कुछ प्रतिबंध लगा रखे हैं जिसकी वजह से भारत को भी इसी तरह का नुकसान उठाना पड़ रहा है. ईयू ने स्टील के आयात की सीमा तय कर दी थी जिसके पार जाने पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया जा रहा था.

कैसे हुआ समाधान

डब्ल्यूटीओ ने अप्रैल, 2023 में ईयू के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि भारत के शुल्क बहुपक्षीय व्यापार के नियमों के तहत भारत की प्रतिबद्धता का उल्लंघन करते हैं. इसके बाद भारत ने इस आदेश की वैधता पर ही सवाल उठा दिया था.

फिर दोनों पक्षों ने आपस में बातचीत कर झगड़े का समाधान करने के लिए डब्ल्यूटीओ से समय मांगा था. पहले सितंबर 19 तक का समय दिया गया और उसके बाद तीन महीने और दिए गए. अब मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि दोनों पक्ष इस मामले में एक आपसी समझौते की तरफ बढ़ रहे हैं.

इस संभावित समाधान का श्रेय टीटीसी को दिया जा रहा है. भारत से पहले ईयू का सिर्फ अमेरिका के साथ टीटीसी था. इस तरह की प्रक्रियाओं के जरिए ईयू चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपनी जैसे विचारों वाले देशों के साथ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में साझेदारी करना चाह रहा है.

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संघ पहले से ही भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर है. भारत डब्ल्यूटीओ में धीरे-धीरे अपनी सभी लंबित विवादों को निपटाने की तरफ बढ़ रहा है. हाल ही में उसने अमेरिका के साथ अपने सातों लंबित विवादों का भी समाधान कर लिया. हालांकि ईयू वाले झगड़े की ही तरह भरत के जापान और ताइवान के साथ झगड़े अभी भी चल रहे हैं.

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