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Edible Oil Price: फेस्टिव सीजन में राहत! छठ से पहले सस्ता हुआ खाने का तेल, जानिए कितने गिर गए रेट

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Edible Oil Price: विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच आयातकों द्वारा लागत के मुकाबले घाटे में बिकवाली के कारण देश के तेल-तिलहन बाजारों में शुक्रवार को मूंगफली तेल-तिलहन को छोड़कर बाकी खाद्य तेल-तिलहनों में गिरावट दर्ज हुई.

नई दिल्ली. फेस्टिव सीजन के बीच आम आदमी के लिए राहत की खबर है. दरअसल, खाने के तेल की कीमतों (Edible Oil Price) में गिरावट आई है. विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच आयातकों द्वारा लागत के मुकाबले घाटे में बिकवाली के कारण देश के तेल-तिलहन बाजारों में शुक्रवार को मूंगफली तेल-तिलहन को छोड़कर बाकी खाद्य तेल-तिलहनों में गिरावट दर्ज हुई. लागत से कम दाम पर बिक्री के कारण सोयाबीन और सरसों तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (CPO) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के भाव गिरावट दर्शाते बंद हुए. मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई को कारोबारी सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट थी और यहां शाम का कारोबार बंद है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में 1 फीसदी से ज्यादा का सुधार चल रहा है. उन्होंने कहा कि प्रमुख तेल संगठन एसईए ने ऑयलमील के निर्यात के आंकड़े जारी किये हैं लेकिन इसके साथ उन्हें नवंबर-दिसंबर में सोयाबीन डीगम (सॉफ्ट आयल) के हुए लदान के आंकड़ों के संदर्भ में भी सरकार को अवगत कराना चाहिए क्योंकि इन महीनों में सोयाबीन डीगम का आयात घटने की आशंका है. आने वाले दिनों में डीगम तेल की मांग सामान्य रूप से बढ़ने की संभावना है. बाजार में किसान पहले ही बिक्री के लिए अपनी कम उपज ला रहे हैं. गौरतलब है कि गर्मियों में इसी सोयाबीन डीगम तेल का लगभग 4-4.5 लाख टन का आयात हो रहा था.

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सूत्रों ने कहा कि दूसरी चिंता का विषय यह है कि आयातक अपनी लागत के मुकाबले कम दाम पर बंदरगाहों पर आयातित सोयाबीन डीगम तेल बेच रहे हैं जो कहीं न कहीं आयातकों की आर्थिक बदहाल स्थिति को दर्शाता है. ऐसा उस देश में हो रहा है जहां खाद्य तेलों की लगभग 55 फीसदी की कमी को आयात से पूरा किया जाता हो. इन सब बातों की किसी को खबर लेनी होगी.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 17 नवंबर तक पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले इस रबी मौसम में सरसों के खेती के रकबे में लगभग एक प्रतिशत और मूंगफली खेती के रकबे में लगभग 21 फीसदी की कमी आई है. इन तिलहन खेती का रकबा घटना चिंताजनक है क्योंकि इन तेलों का और कोई विकल्प नहीं हो सकता. यह कहीं न कहीं देश की आयात पर बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है. आज की स्थिति में मूंगफली, सरसों और बिनौला जैसे तिलहनों की पेराई करने में मिल वालों को नुकसान है और किसी संबंधित विभाग को इस समस्या की ओर ध्यान देना होगा.

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शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,725-5,775 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली – 6,650-6,725 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,500 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,305-2,590 रुपये प्रति टिन
सरसों तेल दादरी- 10,700 रुपये प्रति क्विंटल
सरसों पक्की घानी- 1,810 -1,905 रुपये प्रति टिन
सरसों कच्ची घानी- 1,810 -1,920 रुपये प्रति टिन
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,900 रुपये प्रति क्विंटल
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,450 रुपये प्रति क्विंटल
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,100 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,300 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल
सोयाबीन दाना – 5,375-5,425 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन लूज- 5,175-5,225 रुपये प्रति क्विंटल
मक्का खल (सरिस्का)- 4,050 रुपये प्रति क्विंटल

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