GST Number: वार्षिक टर्न ओवर 20 लाख रुपये या उससे अधिक होने पर विक्रेताओं/बिजनेस के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में सरकार की ओर से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है. अगर समयसीमा में बिजनेस/विक्रेता रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं करते तो बकाया टैक्स का 10 फीसदी या 10 हजार रुपये पेनाल्टी लगेगी. टैक्स चोरी के मामले में जुर्माना 100 फीसदी तक लगता है. अगर विक्रेता या बिजनेस एक से अधिक राज्य में व्यापार करता है तो उसे हर राज्य के लिए अलग-अलग जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
ये भी पढ़ें- Jeevan Praman Patra : पेंशनर्स कृपया ध्यान दें! 30 तारीख तक नहीं किया ये काम तो रुक जाएगी पेंशन
खास होता है जीएसटी नंबर
जीएसटी नंबर (GSTIN) 15 अंकों का अल्फान्यूमेरिक आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है जिसमें पहले दो डिजिट राज्य के कोड को दर्शाता है. उसके बाद का 10 अंक पैन कार्ड नंबर का होता है. अगर आपको ये नंबर मैच होता नहीं दिख रहा है तो आप समझ सकते हैं कि नंबर में कोई झोल है. इसलिए कभी भी पैन कार्ड नंबर से जीएसटी नंबर को क्रॉस चेक कर लेना चाहिए.
ये भी पढ़ें- G Pay यूजर्स भूल कर भी ना डाउनलोड करें ये ऐप, चुटकी में खाली होगा अकाउंट, रह जाएंगे हाथ मलते
इस वेबसाइट की ले सकते हैं मदद
जीएसटीआईएन(GSTIN) की जाँच के लिए आप आधिकारिक जीएसटी पोर्टल https://www.gst.gov.in/ पर जा सकते हैं. वहां जीएसटीआईएन नंबर की जांच के लिए ‘सर्च टैक्सपेयर’ को चुनें. यदि जीएसटीआईएन सही है, तो आपको उसके डिटेल पोर्टल पर मिल जाएंगे. अगर नहीं मिलता है तो वह फेक नंबर है. बता दें कि 2017 में वस्तु और सेवा कर (GST) को लागू करके देश में टैक्सेशन सिस्टम को सरल बनाने का प्रयास किया गया था जिसमें वैट, सर्विस टैक्स आदि जैसे कई अप्रत्यक्ष करों(Indirect Tax) को हटाया गया.
ये भी पढ़ें- RBI Governor ने कहा बैंकों के हित में लिया है ये फैसला, लोन के नियमों को सख्त करना था जरूरी
पैन कार्ड का यहां होता है इस्तेमाल
पैन कार्ड नंबर में 10-नंबर का एक यूनिक कोड होता है, जो लेमिनेटेड कार्ड में प्रस्तुत किया जाता है. इसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा उन लोगों को जारी किया जाता है, जो पैन कार्ड के लिए आवेदन देते हैं. एक बार पैन कार्ड रेडी हो जाने के बाद उस व्यक्ति द्वारा किए गए सारे फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पैन कार्ड से लिंक्ड हो जाते हैं. इनमें टैक्स पेमेंट से लेकर क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेन-देन तक सभी जानकारी डिपार्टमेंट के पास चली जाती है.