सरकार माल और सेवा कर (GST) रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया और आसान बना रही है। नया वित्तीय वर्ष शुरू होने से पूर्व पहले से भरे हुए जीएसटी रिटर्न फॉर्म आएंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय की इस पहल से अनावश्यक टैक्स नोटिस की परेशानियों से निपटा जा सकेगा।
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फिलहाल विभाग अलग-अलग डाटाबेस से डाटा निकालने के चलते सिस्टम धीमा या क्रैश होने से बचाने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की अतिरिक्त लागत का विश्लेषण कर रहा है। अधिकारी का कहना है कि हमारे पास डाटा में मिलान न होने की बड़ी समस्या है, जिससे अनावश्यक नोटिस जारी होने से इनकी संख्या बढ़ रही है। पहले से भरे हुए जीएसटी रिटर्न व्यापार करने में सहूलियत के साथ-साथ डाटा मिलान में गड़बड़ी को रोकेंगे।
वर्तमान में जीएसटी रिटर्न के लिए स्वचालित जांच मॉड्यूल डाटा एनालिटिक्स और सिस्टम द्वारा चिह्नित जोखिमों का प्रयोग कर 20 प्रतिशत से अधिक डाटा मिलान में अंतर वाले आकलनकर्ताओं को नोटिस भेजता है।
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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड कुछ वर्षों से आयकर रिटर्न फॉर्म के लिए ऐसे ही पहले से भरे फार्म का प्रयोग कर रहा है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने तकनीकी जरूरत और इसमें जरूरी सुधार किए हैं।
जीएसटी परिषद की मंजूरी जरूरी नहीं: विभाग को वित्त मंत्रालय को बताना है कि डिजिटल बुनियादी ढांचे एवं प्रक्रियाओं के लिए तकनीकी रूप से क्या जानकारी जुटाई जाएगी। अधिकारी ने कहा कि जैसे-जैसे हम अधिक स्वचालित होंगे, यह सिस्टम और इसकी प्रतिक्रिया में लगने वाले समय कम होगा।
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हम कई डाटाबेस से डाटा ले रहे हैं, जिसमें समय लगेगा। अधिकारी के अनुसार, यह शुरुआत में एक पायलट परीक्षण करेगा कि पहले से भरा हुआ जीएसटी रिटर्न फॉर्म कैसे काम करेगा और इसमें कितना समय लगेगा। उन्होंने बताया कि नई व्यवस्था करदाताओं की सुविधा के लिए है, जिसके लिए जीएसटी परिषद की मंजूरी आवश्यक नहीं है।