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Cash For Query: जब 18 साल पहले लोकसभा से एकसाथ कर दिए थे 11 सांसद सस्पेंड, पूरे देश में मचा था बवाल

Cash For Query Case: एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश किए गए रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा के आचरण को आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक बताते हुए एथिक्स कमेटी ने उन्हें कड़ी सजा देने की मांग करते हुए लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित करने की सिफारिश की थी.

नई दिल्ली. संसद में पैसे लेकर सवाल पूछने (कैश फॉर क्वेरी) के मामले में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को एथिक्स कमेटी की सिफारिश के आधार पर लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया. शुक्रवार को दोपहर बाद 2 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने एथिक्स कमेटी की सिफारिशों को सदन से स्वीकार करने का आग्रह किया, जबकि विपक्षी सांसदों द्वारा एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट न मिलने की बात कही गई.

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लोकसभा ने चर्चा के बाद ध्वनिमत से महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. इसके बाद सदन की कार्यवाही को 11 दिसंबर सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. चर्चा के दौरान 2005 के ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले का भी उल्लेख किया गया, जब 11 सांसदों (10 लोकसभा और 1 राज्यसभा) को संसद से निष्कासित कर दिया गया था. इन सांसदों को आपराधिक केस का भी सामना करना पड़ा था. उस समय केंद्र में डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए-1 की सरकार थी.

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क्या था 2005 का कैश फॉर क्वेरी मामला
2005 में छत्रपाल सिंह लोढ़ा (बीजेपी), अन्ना साहेब एम के पाटिल (बीजेपी), मनोज कुमार (आरजेडी), चंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी), राम सेवक सिंह (कांग्रेस), नरेंद्र कुमार कुशवाहा (बीएसपी), प्रदीप गांधी (बीजेपी), सुरेश चंदेल (बीजेपी), लाल चंद्र कोल (बीएसपी), वाईजी महाजन (बीजेपी) और राजा रामपाल (बीएसपी) पर संसद में सवाल उठाने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था.

दरअसल, दो पत्रकारों द्वारा इन सांसदों के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया और एक समाचार चैनल पर प्रसारित किए जाने के बाद कैश-फॉर-क्वेरी का यह मामला सामने आया था. हालांकि, निलंबित सांसदों ने निष्कासन को चुनौती दी, लेकिन 2007 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा था.

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महुआ मोइत्रा के खिलाफ एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट में क्या कहा गया
एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में पेश किए गए रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा के आचरण को आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक बताते हुए एथिक्स कमेटी ने उन्हें कड़ी सजा देने की मांग करते हुए लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित करने की सिफारिश की थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा समयबद्ध तरीके से इस पूरे मामले की गहन, कानूनी और संस्थागत जांच की सिफारिश भी की है.

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