केंद्र सरकार ने रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर घटी हुई आयात शुल्क व्यवस्था को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है. सरकार के इस कदम का उद्देश्य खाद्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना है.
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नई दिल्ली. देश में खाद्य तेलों (Edible Oils) की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने इन पर लागू घटी हुई आयात शुल्क व्यवस्था को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है. वित्त मंत्रालय की एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि घटी हुई ड्यूटी मार्च 2024 में समाप्त होने वाली थी, लेकिन अब मार्च 2025 तक जारी रहेगी. सरकार के इस फैसले से खाद्य तेलों की कीमतों पर लगाम लगी रहेगी और लोगों का बजट नहीं बिगड़ेगा. केंद्र की मोदी सरकार महंगाई को कंट्रोल में रखने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में यह कदम उठाया गया है.
वित्त मंत्रालय ने बताया है कि रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर मूल आयात शुल्क 17.5% से घटाकर 12.5% कर दिया गया था. घटी हुई दरें अब मार्च 2025 तक लागू रहेंगी. आयात शुल्क कम होने से इन तेलों की देश में आने की लागत कम हो जाती है. बेसिक इम्पोर्ट ड्यूटी किसी भी वस्तु की कीमत तय करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
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खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है भारत
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य तेल उपभोक्ता है. साथ ही खाद्य तेलों के आयात में हम दुनिया में पहले नंबर पर आते हैं. देश की कुल जरूरत का 60 फीसदी हिस्सा भारत आयात करता है. पाम आयल का बड़ा हिस्सा इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात होता है. भारत में सबसे ज्यादा खपत सरसों तेल, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की होती है.
नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.70 फीसदी रही
नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.70 प्रतिशत हो गई. अक्टूबर में यह 6.61 फीसदी थी. कुल उपभोक्ता मूल्य बास्केट में खाद्य मुद्रास्फीति की हिस्सेदारी लगभग आधी है.
इसमें बढ़ोतरी होने से सरकार चिंता में पड़ गई है. 2024 में आम चुनावों को देखते हुए सरकार हर हाल में महंगाई को काबू में रखना चाहती है.