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Mangal Dosha: क्या सच में मंगल दोष है अशुभ? कहीं बेवजह डराते तो नहीं पंडित, ज्योतिषाचार्य से जानें मांगलिक की हकीकत

Mangal Dosha

Mangal Dosha kya hai: कुंडली में मंगल दोष या मांगलिक दोष का होना कई समस्याओं की वजह बन सकता है. इस दोष का ज़िक्र ही ऐसा होता है जैसे इससे शादी में दिक्कतें आती हैं. मगर ज़रा ठहरिए, ये पूरा सच नहीं है. गुरुग्राम के ज्योतिषाचार्य नरेंद्र जुनेजा से जानते हैं मंगल दोष या मांगलिक दोष की हकीकत क्या है?

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कुंडली में मंगल दोष या मांगलिक दोष का होना कई समस्याओं की वजह बन सकता है. सामान्यता ऐसी लोगों की मान्यता है. मंगल दोष की बात सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. फिल्मों में तो इस दोष का ज़िक्र ही ऐसा होता है जैसे इससे शादी में दिक्कतें आती हैं. मगर ज़रा ठहरिए, ये पूरा सच नहीं है. मंगल दोष और उसके प्रभावों को समझने के लिए थोड़ा गहराई में उतरना जरूरी है. गुरुग्राम के ज्योतिषाचार्य नरेंद्र जुनेजा से जानते हैं मंगल दोष या मांगलिक दोष की हकीकत क्या है?

कौन होता है मांगलिक?

ज्योतिष में मंगल ग्रह को कुछ विद्वान कुदरती रूप से अशुभ मानते हैं. इसके चलते अगर कुंडली में जन्मलग्न या चंद्रमा से पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में मंगल बैठा हो तो व्यक्ति मंगलिक कहलाता है. कुछ विद्वान तो यहां तक कहते हैं कि अगर शुक्र से भी इन घरों में मंगल हो तो दोष लगता है. सोचिए, इतने सारे भावों में मंगल का बसना है तो आधी दुनिया तो मंगलिक होगी! इस हिसाब से तो हर शादी टूटती होगी, ना?

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मंगल दोष या मांगलिक दोष की हकीकत
मंगल दोष या मांगलिक दोष की असलियत ज़रा हटकर है. ज़्यादातर ज्योतिषी बिना जन्मलग्न देखे, सीधे-सीधे मंगल दोष कह देते हैं. उदाहरण के लिए कर्क या सिंह लग्न वाले कुंडली में अगर मंगल ऊपर बताए गए घरों में से किसी में भी हो तो कैसे अशुभ फल दे सकता है? वो बिलकुल अलग बात है.

वास्तव में, सवाल ही ये है कि क्या मंगल वाकई हर हाल में अशुभ है? वो तो उस व्यक्ति के लिए शुभ या अशुभ हो सकता है, ये जन्मपत्र देखकर तय होता है. कई वजहों से किसी के लिए मंगल मेहरबान ग्रह हो सकता है. ऐसे में मंगल के ऊपर बताए गए घरों में होने से उनकी वैवाहिक ज़िंदगी में कोई दिक्कत नहीं आएगी, बल्कि उल्टा, वो एक ऊर्जा और जोश से भर देगा.

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इस स्थिति में मंगल कर सकता है अशुभ

पर ज़रा सोचिए, वृषभ, कन्या या वृश्चिक लग्न वाले जातकों के लिए तो मंगल एक दुष्ट ग्रह ही है. ऐसे में अगर ऊपर बताए गए घरों के नज़दीक मंगल बैठा हो, उसका किसी अशुभ ग्रह से साथ हो या फिर वैवाहिक जीवन से जुड़े ग्रहों पर उसकी सीधी नज़र हो, तो वहां दिक्कतें तो आ सकती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वो पहले से ही उनके ज़िंदगी के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों का मालिक होता है. हालांकि गुरु और शनि जैसे शुभ ग्रहों की नज़र पड़ने से उसकी बुराई का असर कम हो सकता है.

मंगल दोष से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

सार यह है कि सिर्फ मंगल की स्थिति से ही किसी को मंगलिक घोषित करना ठीक नहीं है. पहले ये देखना ज़रूरी है कि मंगल उस व्यक्ति की कुंडली में किस राशि का स्वामी है, किस भाव को देखता है और दूसरे ग्रहों से उसका कैसा रिश्ता है? तभी ये तय हो पाएगा कि मंगल उसके जीवन में यादगार बनेगा या तूफान लाएगा.

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अगली बार जब कोई मंगल दोष का ज़िक्र करे तो ये बात याद रखिएगा कि इससे डरने की ज़रूरत नहीं, बल्कि कुंडली को और गहराई से समझने की ज़रूरत है।

उदाहरण से जानें मंगल दोष

राम की कुंडली में जन्मलग्न से चौथे भाव में मंगल है. ज्योतिषी उसे सीधे मंगलिक बता देते हैं. राम परेशान हो जाता है कि उसकी शादी कैसे होगी? मगर जब दूसरे विद्वान उसकी कुंडली को ठीक से देखते हैं तो समझ आता है कि राम तो वृश्चिक लग्न वाला है. ऐसे में मंगल उसके लिए दुष्ट ग्रह नहीं, बल्कि मित्र ही है. चौथे भाव में होने से उसकी माता और शिक्षा को बल देता है. लिहाज़ा, राम खुश होता है कि मंगल दोष की बात सिर्फ एक भ्रम थी.

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तो देखा न, कैसे एक मामूली-सी बात को लेकर कितनी गलतफहमी होती है? मंगल दोष का डर लोगों को बेवजह ही परेशान करता है, जबकि असल में ज़रूरी है कुंडली को सही तरीके से समझना. हर किसी के लिए मंगल का अर्थ अलग होता है, जैसे किसी के लिए वो तूफान खड़ा कर सकता है तो किसी के लिए वो ज़िंदगी में रोशनी ला सकता है.

इसलिए ये ज़रूरी है कि हम ज्योतिष को अंधविश्वास ना बनाएं, बल्कि उसे समझने का एक उपकरण बनाएं. जब हम ग्रहों के प्रभावों को सही रूप में समझेंगे, तभी ज़िंदगी के पेंचों को सुलझा पाएंगे और मंगल दोष जैसे डरों से मुक्त होकर खुशहाल ज़िंदगी जी पाएंगे.

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