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राजनीति

चुनाव की घोषणा से पहले ही 132 सीटों पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में दरार !

लोकसभा चुनाव 2024 को ध्यान में रखते हुए विपक्षी पार्टियों ने INDIA नाम से एक गठबंधन बनाया जो NDA और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ता. लेकिन चुनाव की घोषणा से पहले ही इस गठबंधन में बड़ी दरार दिख रही है.

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इस साल अप्रैल-मई में देश में लोकसभा चुनाव होंगे. आम चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) को लेकर भले ही राजनीतिक पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी हो. लेकिन चुनाव तारीखों की घोषणा अभी नहीं हुई है. आगामी चुनाव को लेकर गठबंधन भी आकार लेने लगे हैं. एक तरफ NDA है जो एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व के भरोसे चुनावी नैया पार लगाने के सपने बुन रहा है. दो दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर इकट्ठा हुआ है. यह गठबंधन केंद्र में मजबूत नजर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी पार्टी BJP और NDA गठबंधन को सत्ता से बेदखल करने के सपने देख रहा है. विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A सत्तारूढ़ NDA को टक्कर दे पाता उससे पहले ही उसमें शामिल दल ही इस विपक्षी गठबंधन को डेंट देने में लगे हैं. I.N.D.I.A में शामिल कई पार्टियों ने अलग-अलग राज्यों में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

साल 2023 के अंतिम महीनों में विपक्षी पार्टियों ने I.N.D.I.A नाम से एक गठबंधन बनाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर बने इस गठबंधन में देशभर की 28 पार्टियां शामिल थीं. अब JDU के एक बार फिर NDA में शामिल होने से विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में 27 पार्टियां रह गई हैं. ऐसा नहीं है कि इस विपक्षी गठबंधन में क्रैक सिर्फ JDU के अलग होने के बाद ही नजर आ रहे हों. इससे पहले ही विपक्षी गठबंधन में दरार साफ दिखने लगी थी. चलिए जानते हैं विस्तार से…

कुल कितनी सीटों पर लगा डेंट?

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही बड़ी-बड़ी दरारें दिख रही हैं. जो दरारें दिख रही हैं उनका असर कुल 132 सीटों पर पड़ने की आशंका है. यह 132 सीटें कौन सी होंगी इस बारे में हम आगे चर्चा करेंगे. क्योंकि कई राज्यो में वहां की सत्तारूढ़ पार्टियों ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ऐसे में गठबंधन का कोई औचित्य नहीं रह जाता. हालांकि, यह भी तय है कि लोकसभा चुनाव के बाद इनमें से ज्यादातर पार्टियां एक बार फिर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A का हिस्सा बन सकती हैं.

साल 2023 के अंतिम महीनों में विपक्षी पार्टियों ने I.N.D.I.A नाम से एक गठबंधन बनाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर बने इस गठबंधन में देशभर की 28 पार्टियां शामिल थीं. अब JDU के एक बार फिर NDA में शामिल होने से विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में 27 पार्टियां रह गई हैं. ऐसा नहीं है कि इस विपक्षी गठबंधन में क्रैक सिर्फ JDU के अलग होने के बाद ही नजर आ रहे हों. इससे पहले ही विपक्षी गठबंधन में दरार साफ दिखने लगी थी. चलिए जानते हैं विस्तार से…

कुल कितनी सीटों पर लगा डेंट?

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही बड़ी-बड़ी दरारें दिख रही हैं. जो दरारें दिख रही हैं उनका असर कुल 132 सीटों पर पड़ने की आशंका है.

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यह 132 सीटें कौन सी होंगी इस बारे में हम आगे चर्चा करेंगे. क्योंकि कई राज्यो में वहां की सत्तारूढ़ पार्टियों ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. ऐसे में गठबंधन का कोई औचित्य नहीं रह जाता. हालांकि, यह भी तय है कि लोकसभा चुनाव के बाद इनमें से ज्यादातर पार्टियां एक बार फिर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A का हिस्सा बन सकती हैं.

 बिहार ने दिया बड़ा डेंट

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को इकट्ठा करने के लिए JDU नेता नीतीश कुमार ने कड़ी मेहनत की. माना जाता है कि नीतीश कुमार इसके संयोजक बनना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को संयोजक बनाने से वह नाराज हो गए. नीतीश कुमार की बिहार में महागठबंधन की पार्टियों RJD और कांग्रेस के साथ जम नहीं रही थी. आखिरकार उन्होंने BJP के नेतृत्व वाली NDA का दामन थाम लिया. इस तरह से बिहार की 42 लोकसभा सीटों पर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को बड़ा झटका लगा है. अब देखना यह होगा कि विपक्षी गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियां बिहार में मिलकर चुनाव लड़ पाती हैं या इस गठबंधन को अभी और डेंट झेलने होंगे.

दीदी ने I.N.D.I.A को दिया झटका

सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों के लिहाज से पश्चिम बंगाल तीसरे नंबर पर आता है. राज्य में कुल 42 लोकसभा सीटें हैं और ममता बनर्जी की पार्टी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (AITC) यहां सत्ता में है. ममता बनर्जी स्वयं मुख्यमंत्री हैं और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में शामिल हैं. माना तो यह भी जाता है कि विपक्षी गठबंधन को I.N.D.I.A नाम भी उन्होंने ही दिया. लेकिन उन्होंने ही सबसे पहले गठबंधन से अलग अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. ममता बनर्जी का कहना है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 42 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनकी यात्रा पश्चिम बंगाल से गुजर रही है, लेकिन उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई. उन्होंने कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर किसी तरह की बातचीत नहीं होने की बात भी कही. दीदी की पार्टी कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी से भी नाराज है, जो लगातार तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बोलते रहते हैं. यही नहीं विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में वामदल भी शामिल हैं, जिनके खिलाफ लड़कर ममता ने राज्य में अपनी स्थिति मजबूत की है. इसलिए राज्य में विपक्षी एकता को झटका लग गया.

दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में भी गठबंधन में गांठ

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के बड़े प्रशंसक हैं और उनकी पार्टी इस गठबंधन में शामिल है. लेकिन अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सभी 7 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है, यानी दिल्ली में वह I.N.D.I.A की किसी पार्टी के साथ सीटें बांटने को तैयार नहीं हैं. दिल्ली ही नहीं आम आदमी पार्टी ने पंजाब की भी सभी 13 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. यानी पंजाब में भी विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A में गांठ पड़ गई.

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ऐसा भी नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस या अन्य पार्टियां जिनके पास दिल्ली या पंजाब में कैडर है, वह वहां अपने उम्मीदवार नहीं उतारेंगी. ऐसे में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की पार्टियों के उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में लड़ेंगे और उनके खिलाफ प्रचार भी करेंगे. अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP ने हरियाणा में भी गठबंधन न करके अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है. यानी हरियाणा की 10 सीटों पर भी I.N.D.I अलांयस की पार्टियां आपस में लड़ती दिखेंगी.

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