मुस्लिम पक्ष ने निचली अदालत के आदेश पर तुंरत रोक की मांग की गई थी ताकि इस दरमियान मुस्लिम पक्ष दूसरे क़ानूनी राहत के विकल्प आजमा सके.
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ज्ञानवापी केस (Gyanvapi Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मुस्लिम पक्ष को झटका मिला. सुप्रीम कोर्ट ने पूजा की अनुमति देने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा. चीफ जस्टिस ने कहा कि वो किसी भी तरह की राहत पाने के लिए इलाहाबाद HC के चीफ जस्टिस के सामने मामला रखें. मस्जिद कमेटी की ओर से वकीलों की टीम ने सुबह 3 बजे रजिस्ट्रार के सामने मामला रखा और SC से जल्द सुनवाई की मांग की थी. मुस्लिम पक्ष ने निचली अदालत के आदेश पर तुंरत रोक की मांग की गई थी ताकि इस दरमियान मुस्लिम पक्ष दूसरे क़ानूनी राहत के विकल्प आजमा सके.
निचली अदालत ने क्या कहा था?
वाराणसी अदालत ने बुधवार को हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर ‘व्यास का तेहखाना’ क्षेत्र में प्रार्थना करने की अनुमति दी. कोर्ट ने जिला प्रशासन को अगले सात दिनों में जरूरी इंतजाम करने को कहा है.
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मुस्लिम पक्ष देगा इलाहबाद हाईकोर्ट में चुनौती
31 जनवरी बुधवार को वाराणसी कोर्ट के आदेश पर हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर ‘व्यास का तेहखाना’ क्षेत्र में प्रार्थना करने की अनुमति देने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि वे वाराणसी कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे.
अखलाक अहमद ने कहा था,
“हम फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट जाएंगे. आदेश में 2022 की एडवोकेट कमिश्नर रिपोर्ट, एएसआई की रिपोर्ट और 1937 के फैसले को नजरअंदाज किया गया है, जो हमारे पक्ष में था. हिंदू पक्ष ने कोई सबूत नहीं रखा है कि 1993 से पहले प्रार्थनाएं होती थीं. उस स्थान पर ऐसी कोई मूर्ति नहीं है.”
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हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया,
“सात दिनों के भीतर पूजा शुरू हो जाएगी. सभी को पूजा करने का अधिकार होगा. हिंदू पक्ष को ‘व्यास का तेहखाना’ में प्रार्थना करने की अनुमति है. जिला प्रशासन को 7 दिनों के भीतर व्यवस्था करनी होगी.”