झारखंड के बोकारो में हाथियों के झुंड ने उत्पात मचा रखा है। इस दौरान अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों को कुचल दिया जिसमें एक की मौत हो गई तो वहीं दो लोगों की हालत नाजुक बताई जा रही है। दोनों घायलों का फिलहाल इलाज जारी है। वहीं वन विभाग की लापरवाही को लेकर आस-पास के लोगों में भारी आक्रोश है।
संवाद सहयोगी, गोमिया/ललपनिया। झारखंड में बोकारो के गोमिया प्रखंड क्षेत्र में एक बार फिर से हाथियों ने कहर बरपाया है। रविवार सुबह कई क्षेत्रों में हाथियों के झुंड ने कई लोगों पर हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। वहीं, दो लोग घायल हो गए, जिसमें एक की हालत गंभीर है।
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कोदवाटांड़ पंचायत के बंगलाटांड़ टोला क्षेत्र में सानू मुर्मू उर्फ बहरा (64) को हाथियों ने पटक पटककर मार डाला। मौके पर ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई। वहीं, तुलबुल पंचायत के चेलियाटांड़ निवासी अशोक किस्कू (प्रवासी मजदूर) की पत्नी सुहानी हेंब्रम (24) और ललपनिया पंचायत के बैंक मोड़ निवासी भीम तुरी की पत्नी मंजरी देवी (60) को भी जंगली हाथियों पटककर गंभीर रूप से घायल कर दिया।
घटना के बाद इलाके में दहशत है। हाथियों के हमले से प्रभावित ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और टीटीपीएस अस्पताल में इलाज नहीं होने पर जमकर हंगामा किया है। वन विभाग की लापरवाही को लेकर टायर जला सड़क जाम किया और नारेबाजी की।
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पहली घटना
पहली घटना कोदवाटांड़ पंचायत के बंगलाटांड़ टोला क्षेत्र में घटी, जहां हाथियों के झुंड ने सुबह टहल रहे वृद्ध सानू मुर्मू उर्फ बहरा (64) को घेर लिया। जब तक सानू संभल पाते, हाथियों ने उसे पकड़ लिया और सूंड से पटक पटक कर मार डाला।
मृतक के परिजन ने बताया कि उसके नाना सुबह घर से कुछ दूर बारी के पास टहल रहे थे तभी कुछ हाथी वहां आ गए और उन्हें चपेट में ले लिया। इस दौरान लोगों ने हाथी आया, भागो-भागो की आवाज लगाई, लेकिन बहरा होने के कारण वह सुन नहीं सके और एक हाथी ने उसे अपने सूंड में पकड़कर पटक दिया और कुचलकर उनकी जान ले ली।
दूसरी घटना
दूसरी घटना तुलबुल पंचायत के चेलियाटांड़ की है। जहां चेलियाटांड निवासी अशोक किस्कू (प्रवासी मजदूर) की पत्नी सुहानी हेंब्रम (24) को जंगली हाथियों ने अपनी चपेट में ले लिया। उसे भी सूंड़ से पटक दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई।
उसकी सास शांति देवी व चाचा ससुर फूलचंद मांझी ने बताया कि सुहानी अलसुबह शौच के लिए बारी स्थित कुआं रस्सी-बाल्टी लेकर गई थी। इस दौरान वहां हाथी पहुंच गए। सुहानी ने बाल्टी फेंककर हाथियों को भगाने का प्रयास किया, लेकिन हाथी आगे बढ़ते हुए सुहानी को पकड़ लिया और कुचलकर घायल कर दिया।
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आनन-फानन में वन विभाग की मदद से घायल को गोमिया सीएचसी में भर्ती कराया गया, लेकिन चिकित्सकों ने वहां प्राथमिक इलाज करने के बाद उसे बोकारो रेफर कर दिया। स्वजनों ने बताया कि सुहानी की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
तीसरी घटना
वहीं, तीसरी घटना ललपनिया पंचायत के बैंक मोड़ निवासी भीम तुरी की पत्नी मंजरी देवी (60) के साथ घटी। मंजरी देवी मेन रोड के पास ही जंगल में लकड़ इकट्ठा कर रही थी। इसी दौरान एक हाथी ने उसे चपेट में ले लिया और पटक पटककर बुरी तरह से घायल कर दिया।
उसे भी आनन-फानन में टीटीपीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन यहां कोई भी चिकित्सक नहीं था, जिस कारण उसे इलाज के लिए दूसरे जगह ले जाया गया।
उसके पति भीम तुरी ने बताया कि वह शनिवार शाम टीटीपीएस मेन गेट के समीप जंगल में लकड़ी इकट्ठा कर के रखी थी। रविवार सुबह वह अन्य महिलाओं के साथ लकड़ी लाने गई थी। तभी झुंड से बिछड़े एक हाथी ने उसपर हमला कर दिया और पटक दिया। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई।
फूटा आक्रोश, अस्पताल में डॉक्टर नहीं
घटना के बाद स्थानीय लोगों ने जमकर आक्रोश व्यक्त किया। टीटीपीएस अस्पताल में इलाज नहीं होने और डाक्टर नहीं रहने पर आक्रोशित ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया और गोमिया-ललपनिया सड़क को जाम कर दिया। इस दौरान टायर जलाते हुए जमकर नारेबाजी भी की। स्थानीय राजू केवट और सुनील कुमार तुरी ने बताया कि टीटीपीएस अस्पताल में कभी भी चिकित्सक नहीं रहता है।
चाहे दुर्घटना हो या अन्य मरीज, अस्पताल में कभी भी इलाज नहीं मिलता है और निराशा ही हाथ लगती है। अस्पताल का होना या न होना कोई फर्क नहीं पड़ता। इसलिए लोगों ने अस्पताल के मेन गेट पर ताला लगा दिया और महिलाएं अस्पताल के गेट के बाहर बैठ गई।
ग्रामीणों ने कहा कि वन विभाग भी हाथियों को भगाने और लोगों की रक्षा करने में पूरी तरह से विफल है। पिछले कई माह से हाथियों के यहां लगातार हमला की घटना हुई लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई।
उधर, सूचना के दो घंटे बाद वहां पहुंचे सीआइएसएफ के जवानों और स्थानीय ललपनिया ओपी पुलिस के जवानों ने सड़क जाम और अस्पताल का ताला खुलवाने का प्रयास किया लेकिन लोग नहीं माने। इस दौरान सुरक्षा बलों को आक्रोशित लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। जवानों ने समझा बुझाकर जाम खुलवाने का प्रयास किया लेकिन अस्पताल में सेवा सुधार नहीं होने तक अस्पताल का ताला और सड़क जाम नहीं हटाने पर लोग अड़े रहे।