पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने इस बात की घोषणा कर दी है, कि राष्ट्रीय और प्रांतीय सभाओं में उसके लिए आरक्षित सीटें अन्य दलों को आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल की याचिका को एक अदालत द्वारा खारिज किये जाने के बाद वह उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी.
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ने इस बात की घोषणा कर दी है, कि राष्ट्रीय और प्रांतीय सभाओं में उसके लिए आरक्षित सीटें अन्य दलों को आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल की याचिका को एक अदालत द्वारा खारिज किये जाने के बाद वह उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी.
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इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ को उस समय एक बड़ा झटका लगा था, जब पेशावर उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एसआईसी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वसम्मति से इसे खारिज कर दिया था. पीठ ने लगातार दो दिनों तक इस मामले पर दलीलें सुनीं, और आखिरकार बृहस्पतिवार को एक संक्षिप्त आदेश सुनाया और एसआईसी द्वारा दायर दो याचिकाओं को पूरी तरह से खारिज कर दिया.
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने 4-1 के बहुमत के फैसले में 4 मार्च को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ समर्थित एसआईसी की सीटें हासिल करने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था. आयोग ने आरक्षित सीटों के लिए पार्टी सूची प्रस्तुत करने में “गैर उपचारात्मक कानूनी दोष” और अनिवार्य प्रावधानों के उल्लंघन का हवाला दिया था.
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पीठ के फैसले के बाद, पीटीआई अध्यक्ष गोहर अली खान ने बृहस्पतिवार को रावलपिंडी की अडियाला जेल के बाहर संवाददाताओं से कहा था, कि पूर्व सत्ताधारी पार्टी आरक्षित सीटों में अपने हिस्से का दावा करने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी. गोहर ने शीर्ष अदालत से मामले की सुनवाई के लिए एक बड़ी पीठ गठित करने का आग्रह किया.
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एसआईसी ने अदालत से पाकिस्तान निर्वाचन आयोग को संसद में उनकी संख्या के आधार पर आरक्षित सीटें आवंटित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. इसने निर्वाचन अधिनियम की धारा 104 को भी चुनौती दी थी, जो आरक्षित सीटों के लिए एक राजनीतिक दल द्वारा उम्मीदवारों की प्राथमिकता सूची अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने से संबंधित है. गत 6 मार्च को, अदालत ने एसआईसी को अंतरिम राहत दी थी और नेशनल असेंबली के स्पीकर को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से आरक्षित सीटों पर चुने गए आठ सांसदों को शपथ नहीं दिलाने का निर्देश दिया था.