नई दिल्ली: अगर आप लोन या क्रेडिट कार्ड लेना चाहते हैं तो आपके लिए अपनी क्रेडिटवर्दीनेस को समझना जरूरी है। इसमें क्रेडिट इनफॉरमेशन ब्यूरो (इंडिया) ब्यूरो लिमिटेड यानी सिबिल की अहम भूमिका होती है। क्रेडिट स्कोर से बैंकों को ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड और लोन देने में फैसला लेने में मदद मिलती है। आपकी क्रेडिट हिस्ट्री से आपका सिबिल स्कोर प्रभावित होता है। एक खास तरीके से इसकी गणना की जाती है।
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सिबिल स्कोर क्या होता है?
आपका सिबिल स्कोर तीन डिजिट का एक नंबर होता है जो यह बताता है कि आप लोन लेने के लायक हैं या नहीं और इसे चुकाने की क्षमता रखते हैं या नहीं। यह 300 से 900 के बीच होता है। आपका सिबिल स्कोर जितना ज्यादा होगा, आपके लोन के मंजूर होने की संभावना उतनी ज्यादा होगी। बैंक और फाइनेंशियल इस्टीट्यूशंस आपको कर्ज देने में जोखिम का आंकलन इसी स्कोर से करते हैं।
पैन कार्ड के बिना कैसे मिलेगा सिबिल स्कोर
1- सिबिल की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं और पर्सनल सिबिल स्कोर पर क्लिक करें। फिर Get Your Free CIBIL score पर क्लिक करें। इसके बाद दिए गए लिंक को फॉलो करें और सभी डिटेल भरें।
2- अगर आपके पास पैन कार्ड नहीं तो आप पासपोर्ट, वोटर आईडी, ड्राइवर लाइसेंस या राशन कार्ड जैसे वैकल्पिक पहचान पत्रों का सहारा ले सकते हैं। आपके अपने चुने हुए विकल्प का नंबर डालना होगा।
3- अपनी जन्मतिथि और पिन कोड डालिए और अपने राज्य का चयन करें। अंत में अपना मोबाइल नंबर डालें और Accept and Continue पर क्लिक करें।
4- ओटीपी डालकर अपनी पहचान को ऑथेंटिकेट कीजिए और फिर Continue पर क्लिक करें।
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5- इस बात का चयन करें कि आप अपने डेवाइस को अपने अकाउंट से लिंक करना चाहते हैं या नहीं। आप Yes या No सेलेक्ट कर सकते हैं।
6- सफल रजिस्ट्रेशन के बाद आपके कन्फर्मेशन का एक पेज मिलेगा कि आपने सफलतापूर्वक रजिस्ट्रेशन करा लिया है।
7- Go to Dashboard पर क्लिक करें और अपनी सिबिल स्कोर देखें।
सिबिल स्कोर को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स
कई फैक्टर्स सिबिल स्कोर को प्रभावित करते हैं। इनमें कुछ इस प्रकार हैं…
1- डेप्थ ऑफ क्रेडिट: यह आपकी मौजूदा क्रेडिट हिस्ट्री की ड्यूरेशन है। इसकी गणना आपके सबसे पुराने क्रेडिट अकाउंट से होती है।
2- लॉन्ग टर्म ट्रेंड ऑफ आउटस्टैंडिंग बैलेंसेज: आपके आउटस्टैंडिंग बैलेंसेज का ओवरऑल ट्रेंड आपके स्कोर को प्रभावित करता है।
3- ट्रांजैक्शन हिस्ट्री ऑन क्रेडिट कार्ड्स: आप अपने क्रेडिट कार्ड्स के ट्रांजैक्शंस को कैसे मैनेज करते हैं, इससे आपका स्कोर प्रभावित होता है।
4- कुल बकाये और वास्तविक रिपेमेंट का अनुपात: इस अनुपात से आपके कर्ज चुकाने के व्यवहार का पता चलता है और इससे आपका स्कोर प्रभावित होता है।
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5- कितने नए अकाउंट खोले और कितने बंद किए: अकाउंट खोलने और बंद करने से आपका स्कोर प्रभावित हो सकता है। इसलिए इसे चतुराई से मैनेज करना जरूरी है।