दुनिया की सबसे पुरानी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की माइनिंग की रफ्तार को कम करने के लिए हर चार साल में एक बार Halving Event होता है। इस दौरान बिटकॉइन माइनिंग पर रिवॉर्ड को आधा कर दिया जाता है ताकि यह डिजिटल करेंसी जल्दी खत्म ना हो जाए। हर बार Halving Event के बाद बिटकॉइन के दाम में ऐतिहासिक उछाल आता है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ महीनों से दुनिया की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में लगातार तेजी दिख रही थी। मार्च में यह अपने ऑल टाइम हाई लेवल पर भी पहुंच गई थी, जो 71,263.78 डॉलर है।
लेकिन, अब पिछले कुछ दिनों से बिटकॉइन में लगातार गिरावट आ रही है। यह एक महीने में करीब 6 प्रतिशत गिरकर 64,014.40 डॉलर के स्तर पर आ गया है। इसकी बड़ी वजह इजरायल और ईरान संघर्ष की वजह से बढ़ते वैश्विक संकट को बताया जा रहा है।
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हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी एक्सपर्ट का मानना है कि बिटकॉइन हाविंग इवेंट (Bitcoin Halving Event) के बाद इसकी कीमतों में दोबारा जबरदस्त तेजी देखने को मिल सकती है।
क्या होती है बिटकॉइन हाविंग?
बिटकॉइन एक डिजिटल करेंसी है। इसे सिक्के या नोट की तरह फिजिकल रूप में नहीं छापा जाता। यह इलेक्ट्रॉनिक तरीके से स्टोर होती है। यह टेक्निकल कंप्यूटर प्रोसेस से बनती है, जिसे कहते हैं माइनिंग। और जो लोग ये माइनिंग करके बिटकॉइन निकालते हैं, उन्हें कहा जाता है ‘माइनर्स’।
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अब हाविंग की बात करें, तो इसका बिटकॉइन की मूलभूत ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में बदलाव करना है। इसका मकसद नए बिटकॉइन बनाने की रफ्तार को कम करना है। दरअसल, बिटकॉइन बनाने वाले सातोशी नाकामोटो (Satoshi Nakamoto) ने इस डिजिटल करेंसी को खास तरीके से डिजाइन किया है। इसके बस 2.1 करोड़ टोकन की ही माइनिंग की जा सकती है।
अगर बिटकॉइन की तेजी से माइनिंग होती रही, तो यह काफी जल्दी खत्म हो जाएगा। यही वजह है कि इसकी माइनिंग की रफ्तार को सुस्त करने के लिए हाविंग इवेंट बनाया गया है, जिसके बाद रिवॉर्ड आधा हो जाता है।
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बिटकॉइन की हाविंग कब होती है?
बिटकॉइन हाविंग की कोई निश्चित तारीख तो नहीं है। लेकिन यह अमूमन चार साल बाद होती है। अगला इवेंट जल्द होने वाला है। यह बिटकॉइन के इतिहास में चौथा हाविंग इवेंट होगा। 2012 के शुरुआती पड़ाव में रिवॉर्ड 50 से घटकर 25 डॉलर हो गया था।
अगर मौजूदा हाविंग इवेंट की बात करें, तो रिवॉर्ड और कम होकर 3.125 डॉलर हो जाएगा। यह इवेंट साल 2041 तक जारी रहने का अनुमान है। उस वक्त सिस्टम में मौजूद सारी बिटकॉइन की माइनिंग हो जाएगी।
हाविंग का क्या असर होता है?
बिटकॉइन हाविंग इवेंट का क्रिप्टोकरेंसी मार्केट पर सकारात्मक असर होता है। दरअसल, हाविंग के बाद मार्केट में सप्लाई कम हो जाती है। और फिर यहां आता है सप्लाई-डिमांड वाला फॉर्मूला। मतलब कि सप्लाई जितनी कम होगी, भाव उतना ही अधिक होगा। इस क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में नए निवेशकों की भी बहार आ जाती है।
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अगर पिछले सभी हाविंग इवेंट को देखें, तो हर बार कीमतों में ऐतिहासिक उछाल दिखा है। 2016 में हाविंग से पहले बिटकॉइन का भाव 780 डॉलर के करीब था। लेकिन, हाविंग इवेंट के बाद यह कुछ ही महीनों में 1,000 डॉलर के पार पहुंच गया।
वहीं, 2020 में भी हाविंग इवेंट के बाद में बिटकॉइन के रेट में जबरदस्त तेजी आई। हाविंग के 11 महीने बाद बिटकॉइन ने नवंबर 2021 में अपना नया ऑल-टाइम हाई रिकॉर्ड भी बनाया। हाविंग से पहले इसका दाम 9,485 डॉलर था, जो हाविंग के बाद 69,000 डॉलर तक पहुंच गया। 2009 और 2012 के हाविंग इवेंट के बाद भी ऐसा ही नजारा था।