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SC on VVPAT: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 100% वोट के VVPAT वेरिफिकेशन और बैलट पेपर से चुनाव की मांग खारिज

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SC on Election : सुप्रीम कोर्ट के 2 अहम निर्देश: 1. उम्मीदवारों को EVM के माइक्रोकंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प दिया जाए, 2. सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) सील करके कम से कम 45 दिन तक सुरक्षित रखी जाए.

SC rejects demands of 100% VVPAT verification and Election by Ballot Papers: सुप्रीम कोर्ट ने देश में हो रहे आम चुनावों के बीच शुक्रवार को एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के जरिए डाले गए सभी वोटों का मिलान वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT से कराने की मांग की थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने देश के चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल बंद करके वापस बैलट पेपर से इलेक्शन कराने की मांग करने वाली सभी याचिकाएं भी खारिज कर दी हैं. यह अहम फैसला जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनाया है.

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दो जजों की बेंच ने सुनाया फैसला 

दो जजों की बेंच की तरफ से फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि कोर्ट ने ईवीएम और वीवीपैट से चुनाव कराने से जुड़े तमाम प्रोटोकॉल और तकनीकी पक्षों के बारे में विचार से चर्चा की. इसके बाद अदालत ने ईवीएम में डाले गए 100 फीसदी वोटों का वेरिफिकेशन वीवीपैट की पर्चियों से कराने की मांग को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत चुनाव कराने के लिए बैलट पेपर की व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग को भी खारिज करती है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने दो नए दिशानिर्देश

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दो नए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं – पहला निर्देश यह है कि EVM मशीनों में अलग-अलग पार्टियों और उम्मीदवारों के सिंबल यानी चुनाव निशान लोड किए जाने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) को सील कर दिया जाए और उसके बाद इन यूनिट्स को कम से कम 45 दिनों के लिए सुरक्षित रूप से स्टोर करके रखा जाए. सुप्रीम कोर्ट का दूसरा निर्देश ये है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अब ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर प्रोग्राम की जांच इंजीनियर्स की एक टीम से कराने का विकल्प दिया जाएगा. इसके लिए उन्हें चुनावी नतीजों के एलान के सात दिनों के भीतर आवेदन करना होगा.

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कई विपक्षी दलों और संस्थाओं की मांग

देश के कई प्रमुख विपक्षी दलों के अलावा कई सामाजिक-राजनीतिक एक्टिविस्ट और कुछ संस्थाएं भी लंबे समय से संदेह जाहिर कर रहे हैं कि ईवीएम से कराए जाने वाले चुनाव में तकनीक के इस्तेमाल से गड़बड़ी की गुंजाइश है, लिहाजा मशीनों में दर्ज सभी वोटों का मिलान वीवीपैट की पर्चियों के साथ किया जाए या फिर बैलट पेपर से चुनाव कराने की पुरानी व्यवस्था ही फिर से लागू कर दी जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की तमाम दलीलों को खारिज करते हुए उनसे याचिकाओं को रद्द कर दिया है.

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