All for Joomla All for Webmasters
जरूरी खबर

ITR Filing 2024: क्या इनकम टैक्स और टीडीएस को लेकर आप भी हैं कन्फ्यूज, जानें क्या है इसमें अंतर

income tax

बिजनेस डेस्क, इंदौर। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और ऐसे में कई लोग इनकम टैक्स और टीडीएस को लेकर बहुत अधिक असमंजस की स्थिति में रहते हैं।

ये भी पढ़ें:- Aadhaar Card Update: पुराना है आधार तो क्या 14 जून के बाद हो जाएगा बेकार ? UIDAI ने बताई सही बात

कई टैक्स पेयर को Income Tax और TDS में अंतर पता नहीं होता है और इस कारण कन्फ्यूजन की स्थिति में होते हैं। यहां इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं टैक्स व निवेश सलाहकार अभिषेक मलतारे।

एक नहीं है Income Tax और TDS

कई करदाता यह मानते हैं कि Income Tax और TDS एक ही चीज होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। Income Tax और TDS टैक्स कलेक्ट करने के साथ उसकी गणना करने की एक प्रणाली है। इन दोनों में तरीकों में टैक्स का कैलकुलेशन अलग-अलग तरह से किया जाता है।

जानें क्या होता है Income Tax

एक वित्त वर्ष के दौरान किसी व्यक्ति, कंपनी या संगठन की जो भी सालाना आय होती है, उस पर जो टैक्स लगाया जाता है, उसे Income Tax कहा जाता है।

ये भी पढ़ें:- Google Chrome यूजर्स ध्यान दें ! सरकार ने जारी किया अलर्ट, फटाफट करें ये काम नहीं तो चोरी हो सकता है डेटा

इसमें एक व्यक्ति या कंपनी के आय के सोर्स अलग-अलग हो सकते है। इससे सैलरी, प्रॉपर्टी या किराए से मिलने वाली आय भी शामिल होती है। एक वित्त वर्ष के दौरान यदि किसी व्यक्ति या कंपनी की आय 2.5 लाख रुपए से ज्यादा होती है तो उसे स्लैब के अनुसार, टैक्स देना पड़ता है। हालांकि नई कर व्यवस्था के अनुसार, एक वित्त वर्ष में यदि सालाना आय 3 लाख रुपए से ज्यादा है तो उसे भी टैक्स चुकाना पड़ेगा। इसमें वरिष्ठ नागरिकों को कुछ राहत भी दी जाती है।

जानें क्या होता है TDS

TDS इनकम टैक्स से काफी ज्यादा अलग होता है और यह कर चोरी रोकने में मदद करता है। किसी व्यक्ति या संगठन को जब सैलरी, ब्याज, किराया या प्रोफेशनल फीस दी जाती है तो तय टैक्स राशि पहले ही काट ली जाती है। इस राशि को ही टीडीएस कहा जाता है।

ये भी पढ़ें:- कोटक महिंद्रा बैंक ने करोड़ों ग्राहकों को दिया झटका, सेविंग और सैलरी अकाउंट के बदले नियम

TDS की राशि तत्काल सरकार तो भेज दी जाती है। टीडीएस के कारण टैक्स कलेक्शन की प्रोसेस आसान हो जाती है और टैक्स चोरी की संभावना भी कम होती है।

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top