बिजनेस डेस्क, इंदौर। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और ऐसे में कई लोग इनकम टैक्स और टीडीएस को लेकर बहुत अधिक असमंजस की स्थिति में रहते हैं।
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कई टैक्स पेयर को Income Tax और TDS में अंतर पता नहीं होता है और इस कारण कन्फ्यूजन की स्थिति में होते हैं। यहां इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं टैक्स व निवेश सलाहकार अभिषेक मलतारे।
एक नहीं है Income Tax और TDS
कई करदाता यह मानते हैं कि Income Tax और TDS एक ही चीज होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। Income Tax और TDS टैक्स कलेक्ट करने के साथ उसकी गणना करने की एक प्रणाली है। इन दोनों में तरीकों में टैक्स का कैलकुलेशन अलग-अलग तरह से किया जाता है।
जानें क्या होता है Income Tax
एक वित्त वर्ष के दौरान किसी व्यक्ति, कंपनी या संगठन की जो भी सालाना आय होती है, उस पर जो टैक्स लगाया जाता है, उसे Income Tax कहा जाता है।
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इसमें एक व्यक्ति या कंपनी के आय के सोर्स अलग-अलग हो सकते है। इससे सैलरी, प्रॉपर्टी या किराए से मिलने वाली आय भी शामिल होती है। एक वित्त वर्ष के दौरान यदि किसी व्यक्ति या कंपनी की आय 2.5 लाख रुपए से ज्यादा होती है तो उसे स्लैब के अनुसार, टैक्स देना पड़ता है। हालांकि नई कर व्यवस्था के अनुसार, एक वित्त वर्ष में यदि सालाना आय 3 लाख रुपए से ज्यादा है तो उसे भी टैक्स चुकाना पड़ेगा। इसमें वरिष्ठ नागरिकों को कुछ राहत भी दी जाती है।
जानें क्या होता है TDS
TDS इनकम टैक्स से काफी ज्यादा अलग होता है और यह कर चोरी रोकने में मदद करता है। किसी व्यक्ति या संगठन को जब सैलरी, ब्याज, किराया या प्रोफेशनल फीस दी जाती है तो तय टैक्स राशि पहले ही काट ली जाती है। इस राशि को ही टीडीएस कहा जाता है।
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TDS की राशि तत्काल सरकार तो भेज दी जाती है। टीडीएस के कारण टैक्स कलेक्शन की प्रोसेस आसान हो जाती है और टैक्स चोरी की संभावना भी कम होती है।
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