नई दिल्ली: प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले वर्कर्स की बेसिक सैलरी पर 12% की कटौती ईपीएफ अकाउंट के लिए की जाती है। साथ ही कंपनी भी इतना ही पैसा कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा करती है। एम्प्लॉयर की तरफ से जमा किए जाने वाले पैसों में से 8.33% हिस्सा ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना) में जाता है, जबकि बचा हुआ 3.67% हिस्सा ईपीएफ में जाता है।
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अमूमन ईपीएफओ (EPFO) अपने सब्सक्राइबर के 58 साल की उम्र पूरी कर लेने पर पेंशन देना शुरू कर देता है। लेकिन, अगर कोई अंशधारक 58 साल की बजाय 60 साल की उम्र में ईपीएफओ से पेंशन लेता है तो उसे ज्यादा पेंशन मिलती है। लेकिन उन्हें 10 साल की सर्विस पूरी होने पर 50 साल उम्र में भी पेंशन मिल सकती है। लेकिन इसके लिए उसे कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। इतना ही नहीं ईपीएफओ सात तरह की पेंशन देता है। आइए जानते हैं उनके बारे में…
मान लीजिए कि किसी सब्सक्राइबर की सर्विस 10 साल की नहीं हुई है और उससे पहले ही वह विकलांग हो जाता है। ऐसी स्थिति में क्या उसे पेंशन मिलेगी? इसी तरह अगर किसी सब्सक्राइबर की 50 साल की उम्र से पहले ही मौत हो गई तो क्या उसकी पत्नी और बच्चों को पेंशन मिलेगी? इन दोनों मामलों में पेंशन मिलेगी। इसी तरह की कई और परिस्थितियां हैं जिनके लिए ईपीएफओ ने नियम बनाए हैं। यहां तक कि सब्सक्राइबर के दो से ज्यादा बच्चों को भी पेंशन मिल सकती है। ईपीएफओ ने पेंशन को मोटे तौर पर सात श्रेणियों में बांटा है।
1- रिटायरमेंट पेंशन
यह सामान्य पेंशन है। यह पेंशन सब्सक्राइबर्स की 10 साल की सर्विस या 58 साल की उम्र पूरी होने पर दी जाती है।
2- अर्ली पेंशन
अर्ली पेंशन उन सब्सक्राइबर्स को दी जाती है जो 50 साल के हो चुके हैं, उनकी सर्विस 10 साल की हो चुकी है और वे किसी नॉन-ईपीएफ कंपनी से जुड़ चुके हैं। उन्हें 50 साल की उम्र में पेंशन दी जा सकती है या फिर वे फुल पेंशन पाने के लिए 58 साल तक इंतजार कर सकते हैं। अगर वे अर्ली पेंशन पाते हैं तो उन्हें हर साल चार फीसदी कम पेंशन मिलेगी। मसलन अगर कोई सब्सक्राइबर 58 साल की उम्र में 10,000 रुपये की पेंशन का हकदार है तो 57 साल में उसे 9,600 रुपये और 56 साल में 9,216 रुपये पेंशन मिलेगी।
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3- विकलांग पेंशन
यह पेंशन ऐसे सब्सक्राइबर्स को दी जाती है जो सर्विस के दौरान अस्थाई या स्थाई रूप से विकलांग हो जाते हैं। यह पेंशन पाने के लिए उम्र और सेवा अवधि की कोई सीमा नहीं हैं। अगर किसी सब्सक्राइबर ने एक महीने के लिए भी ईपीएफ में योगदान दिया है तो वह इस पेंशन का हकदार है।
4- विधवा या बाल पेंशन
सब्सक्राइबर की मौत होने पर उसकी विधवा और 25 साल से कम उम्र वाले बच्चे पेंशन के हकदार होंगे। तीसरा बच्चा भी पेंशन का हकदार है लेकिन पहले बच्चे की उम्र 25 साल होने पर ही उसे पेंशन मिलेगी। ऐसे में पहले बच्चे की पेंशन बंद हो जाएगी और तीसरे बच्चे की शुरू हो जाएगी। चौथे बच्चे के लिए भी यह तरीका लागू होगा। यानी दूसरे बच्चे की उम्र 25 साल होने पर उसकी पेंशन बंद हो जाएगी और चौथे की शुरू हो जाएगी। इस मामले में भी उम्र या न्यूनतम सेवा की कोई बाध्यता नहीं है। अगर किसी सब्सक्राइबर ने एक महीने का भी योगदान दिया है तो उसकी मौत होने पर उसकी विधवा और बच्चे पेंशन के हकदार होंगे।
5- अनाथ पेंशन
अगर किसी सब्सक्राइबर की मौत हो जाती है और उसकी पत्नी की भी मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में 25 साल से कम उम्र के उनके दो बच्चे पेंशन के हकदार होंगे। लेकिन बच्चों की उम्र 25 साल होते ही पेंशन बंद हो जाएगी।
6- नॉमिनी पेंशन
सब्सक्राइबर की मौत के बाद नॉमिनी पेंशन का हकदार बनता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सब्सक्राइबर ने ईपीएफओ पोर्टल पर ई-नॉमिनेशन फॉर्म भरा हो।
7- आश्रित माता-पिता पेंशन
अगर किसी सिंगल ईपीएफओ सब्सक्राइबर की मौत हो जाती है तो उसके आश्रित पिता पेंशन के हकदार होंगे। पिता की मौत के बाद सब्सक्राइबर की मां को पेंशन मिलेगी। उन्हें पूरी उम्र पेंशन मिलेगी। इसके लिए फॉर्म 10 डी भरना होगा।