आदेश के अनुसार, थोक विक्रेताओं के लिए लागू स्टॉक सीमा 200 मीट्रिक टन, खुदरा विक्रेताओं के लिए पांच मीट्रिक टन, खुदरा दुकानों पर पांच मीट्रिक टन और बड़ी श्रृंखला खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 200 मीट्रिक टन है.
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नई दिल्ली. दलहन की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने काबुली चना समेत अरहर और चना जैसी दालों पर 30 सितंबर, 2024 तक स्टॉक सीमा लगा दी है. यह कदम जमाखोरी को रोकने और उपभोक्ताओं के लिए दालों की कीमत को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है. उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है जो थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों और आयातकों पर लागू है.
आदेश के अनुसार, थोक विक्रेताओं के लिए लागू स्टॉक सीमा 200 मीट्रिक टन, खुदरा विक्रेताओं के लिए पांच मीट्रिक टन, खुदरा दुकानों पर पांच मीट्रिक टन और बड़ी श्रृंखला खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 200 मीट्रिक टन है.
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प्याज की की कीमत 55 फीसदी बढ़ी
शुक्रवार को प्याज की कीमतों पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से खरीफ प्याज के पैदावार को बढ़ाने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया. पिछले एक साल में प्याज की औसत खुदरा कीमत में 55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. प्याज की कीमत 23.3 रुपये से 36.3 रुपये प्रति किलोग्राम तक आ गई है.
अधिकारियों ने कहा कि रबी उत्पादन में गिरावट ने कीमतों में वृद्धि को बढ़ावा दिया है. इस साल प्याज की कुल खरीद लगभग 80,000 टन है, जो 2023 की इसी अवधि की तुलना में थोड़ी अधिक है। अधिकारियों ने कहा कि उपभोक्ता मामले विभाग कीमतों पर नजर रखने के लिए अगस्त-सितंबर में अपने बफर स्टॉक से प्याज की निकासी करना शुरू कर सकता है.
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क्या है जमाखोरी?
जब कोई व्यापारी किसी भी चीज को सामान्य अनुपात से ज्यादा इकट्ठा करने लगता है तो उसे जमाखोरी कहते हैं. किसी भी सामान की जमाखोरी करके व्यापारी बाजार में उसकी कृत्रिम कमी पैदा कर देते हैं. मार्केट में उस उत्पाद की कमी होने के वजह से कीमतें बढ़ने लगती हैं. जिसके बाद व्यापारी उन्हें बेच कर कई गुना अधिक लाभ कमा लेते हैं.