Chandigarh Mayor Supreme Court: आप पार्षद कुलदीप कुमार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने चंडीगढ़ में दोबारा महापौर चुनाव की मांग करने वाली पार्टी की अर्जी पर कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. आप नेता ने दावा किया है कि गठबंधन के पास नगर निकाय में भाजपा के 16 के मुकाबले 20 वोट थे और गठबंधन के आठ मतपत्रों को ‘खराब’ करके उन्हें अमान्य कर दिया गया था.
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नई दिल्ली. चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नया इतिहास लिख दिया. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने पुराने चुनाव परिणाम को रद्द कर दिया, जिसके बाद अदालत में फिर से वोटों की गिनती की गई और नतीजे घोषित किए गए. इसमें आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार कुलदीप कुमार विजयी हुए और वे चंडीगढ़ के नए मेयर बनाए गए.
उच्चतम न्यायालय ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव के परिणाम को पलटते हुए आम आदमी पार्टी (आप) -कांग्रेस गठबंधन के पराजित उम्मीदवार कुलदीप कुमार को शहर का नया महापौर घोषित किया. न्यायालय ने 30 जनवरी के चुनाव के संचालन में गंभीर खामियां पाए जाने के बाद, निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह, जो भाजपा नेता हैं, के खिलाफ ‘कदाचार’ के लिए मुकदमा चलाने का भी आदेश दिया.
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शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह पूरी चुनावी प्रक्रिया को रद्द नहीं कर रही है और खुद को मतगणना प्रक्रिया में गलत कार्यों से निपटने तक ही सीमित रख रही है, जिसके कारण कुमार के पक्ष में डाले गए आठ मत अमान्य हो गए थे. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मसीह ने जानबूझकर आठ मतपत्रों को विरूपित करने का प्रयास किया.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 30 जनवरी को चंडीगढ़ महापौर चुनाव में कांग्रेस-आप गठबंधन के खिलाफ जीत हासिल की थी. महापौर पद के लिए भाजपा के मनोज सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया था. सोनकर को अपने प्रतिद्वंद्वी के 12 मतों के मुकाबले 16 मत मिले थे. सोनकर ने रविवार को महापौर पद से इस्तीफा दे दिया था.
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आप पार्षद कुलदीप कुमार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने चंडीगढ़ में दोबारा महापौर चुनाव की मांग करने वाली पार्टी की अर्जी पर कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. आप नेता ने दावा किया है कि गठबंधन के पास नगर निकाय में भाजपा के 16 के मुकाबले 20 वोट थे और गठबंधन के आठ मतपत्रों को ‘खराब’ करके उन्हें अमान्य कर दिया गया था.