NRC को अपडेट करने के दौरान असम में करीब 27 लाख लोगों के बायोमेट्रिक्स लॉक हो गए थे और उन्हें आधार कार्ड नहीं मिल पा रहे थे। सरमा ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा मैं ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ( AASU ) और अन्य हितधारकों के साथ प्रक्रिया पर चर्चा करूंगा और उम्मीद है कि चुनाव के तुरंत बाद कोई समाधान निकल आएगा।
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पीटीआई, गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि जैसे ही CAA राज्य में लागू होगी वैसे ही बंद किए गए 27 लाख लोगों के ‘बायोमेट्रिक’ को अनलॉक किया जाएगा। दरअसल, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर NRC को अपडेट करने के दौरान यह प्रक्रिया लॉक कर दी गई थी।
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27 लाख लोगों के बायोमेट्रिक्स होंगे अनलॉक
समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, NRC को अपडेट करने के दौरान राज्य में करीब 27 लाख लोगों के बायोमेट्रिक्स लॉक हो गए थे और उन्हें आधार कार्ड नहीं मिल पा रहे थे। सरमा ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और अन्य हितधारकों के साथ प्रक्रिया पर चर्चा करूंगा और उम्मीद है कि चुनाव के तुरंत बाद कोई समाधान निकल आएगा।’
सीएए के माध्यम से एक भी व्यक्ति असम में नहीं आएगा
सरमा ने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान, कानून के अधिनियमन के बाद, ‘हम सीएए के बारे में उठाए गए संदेहों को दूर करने के लिए जमीनी काम कर रहे थे। अब यह स्पष्ट है कि 2014 के बाद आए किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता नहीं दी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि वह 100 प्रतिशत आश्वस्त हैं कि सीएए के माध्यम से एक भी व्यक्ति असम में नहीं आएगा और ‘केवल उन लोगों को नागरिकता मिलेगी जिन्होंने एनआरसी के लिए आवेदन किया था।’
सीएम ने स्वीकार की यह गलती
सीएम ने स्वीकार किया कि बायोमेट्रिक्स को अवरुद्ध करने से राशन कार्ड और रोजगार प्राप्त करने में समस्याएं पैदा हुईं और ‘हम इस मामले को उठाएंगे और इसे हल करेंगे।’ उन्होंने लोगों से सीएए मुद्दे पर भावनाओं से नहीं बल्कि ठोस तर्क से निर्देशित होने का आग्रह किया।
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सीएम सरमा ने जताई उम्मीद
सरमा ने कहा, ‘हमने एनआरसी प्रक्रिया के जरिए पहले ही डेटा हासिल कर लिया है और जो लोग सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें सीएए नहीं तो फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के जरिए वैसे भी नागरिकता मिल जाती।’ सीएम ने आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लगभग छह लाख लोगों, बराक और ब्रह्मपुत्र घाटियों से तीन-तीन लाख लोगों को नागरिकता मिलेगी, न कि 20 लाख लोगों को, जैसा कि कुछ वर्गों द्वारा फैलाया जा रहा है।
NRC और CAA अलग क्यों?
एनआरसी और सीएए देश के बाकी हिस्सों में जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन असम एकमात्र राज्य है जो एनआरसी अपडेट करने की कवायद में लगा हुआ है। बंगाली हिंदुओं की एक बड़ी आबादी उचित विरासत डेटा दस्तावेजों या विरासत डेटा की कमी के कारण छूट गई थी। सीएए नियमों की अधिसूचना के साथ, केंद्र अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करना शुरू कर देगा। इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं।
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सीएए दिसंबर 2019 में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी, लेकिन असम सहित देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए, जहां हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई।