अगर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के लिए MSME को पेमेंट 45 दिनों में नहीं किया जाता है, तो पेमेंट पर टैक्स कटौती का दावा नहीं कर सकेंगी.
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MSME Payment Rules: सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (MSME) को समय पर पेमेंट के लिए आयकर नियम 1 अप्रैल यानी सोमवार से अमल में आएगा. इसके तहत कंपनियां अगर वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के लिए MSME को पेमेंट 45 दिनों में नहीं करती हैं, तो पेमेंट पर टैक्स कटौती का दावा नहीं कर सकेंगी यानी उन्हें अधिक टैक्स का पेमेंट करना होगा.
वित्त अधिनियम 2023 के माध्यम से पेश आयकर अधिनियम की धारा 43 बी (H) के अनुसार, अगर कोई बड़ी कंपनी MSME को समय पर पेमेंट नहीं करती है. लिखित समझौतों के मामले में 45 दिनों के भीतर… तो वह उस खर्च को अपने टैक्सेबल आय से नहीं काट सकती है. इससे उन्हें अधिक टैक्स देना पड़ सकता है.
कुछ उद्योग संगठनों ने सरकार से नये पेमेंट नियमों के कार्यान्वयन को स्थगित करने का आग्रह किया है. फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (FISME) का कहना कि नए नियम में MSME के लिए पासा पलटने वाला बनने की क्षमता है.
MSME को डर है कि इस प्रावधान के कारण, बड़े खरीदार MSME सप्लायर्स के प्रति उदासीन हो सकते हैं. वे या तो उन MSME से खरीदारी शुरू कर सकते हैं जो उद्यम के साथ रजिस्टर्ड नहीं हैं या फिर गैर-MSME से जरूरत का सामान ले सकते हैं.
एफआईएसएमई (FISME) ने यह स्वीकार किया कि धारा 43B (H) ने MSME और बड़े व्यवसायों दोनों के बीच कुछ आशंकाएं पैदा की हैं. हालांकि ‘ऐसी आशंकाएं निराधार हैं.’
उद्योग संगठन ने कहा कि भरोसेमंद सप्लायर्स को सिर्फ इसलिए बदलना क्योंकि एक बड़ी कंपनी उन्हें समय पर पेमेंट नहीं करना चाहती है, हास्यास्पद है. किसी भी स्थिति में इस तरह की देरी पर आपूर्तिकर्ता को पेमेंट की स्थिति में कर अगले वर्ष समायोजित किया जा सकता है. यह वाणिज्यिक गतिविधियो में अनुशासन लाएगा.’’
एफआईएसएमई (FISME) ने कहा कि दूसरी ओर आशंकाओं के बावजूद, धारा 43बी (H) में MSME के लिए पासा पलटने वाला बनने की क्षमता है. इसमें कहा गया है कि MSME को तेजी से पेमेंट मिलेगा, जो उनके वित्तीय स्थिति और विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
संगठन ने कहा कि यह प्रावधान बड़ी कंपनियों के साथ पेमेंट शर्तों पर बातचीत करते समय MSME की स्थिति को मजबूत करता है. समय पर पेमेंट बकाया राशि पर संभावित विवादों और कानूनी समस्याओं को कम कर सकता है. यह MSME परिवेश में अधिक पारदर्शी और जवाबदेह कारोबार गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है.’’
इस बीच, भारतीय एक्सपोर्टर्स ने सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें सूक्ष्म और लघु उद्यमों से खरीदे गए सामान के लिए 45 दिन के भीतर पेमेंट नियम से छूट दी जाए क्योंकि इससे उनके कारोबार पर असर पड़ेगा.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में प्रमुख निर्यात संवर्धन परिषदों और भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के प्रमुखों ने निर्यात कंपनियों को आयकर कानून की धारा 43बी (H) से छूट देने की अपील की है.