मध्य प्रदेश की साइबर पुलिस ने लोकसभा चुनाव से पहले फर्जी वोटर आईडी बनाने के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस मामले में बिहार से एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। आरोपी फर्जी वेबसाइट के जरिए फेक मतदाता पहचान पत्र बना रहा था। अब निर्वाचन आयोग ने इसकी शिकायत सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से की है। मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने 30 मार्च को राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय को फेक वोटर आईडी बनाए जाने की घटनाओं के बारे में जानकारी दी थी।
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अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी, साइबर पुलिस) योगेश देशमुख ने बताया कि साइबर पुलिस ने निर्वाचन आयोग की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468 और आईटी अधिनियम की धारा 66 सी और 66 डी के तहत मामला दर्ज किया था। साइबर पुलिस ने तुरंत इस मामले की जांच भी शुरू कर दी थी। साइबर टीम ने सबूत जमा किए और मास्टरमाइंड की पहचान की। पुलिस ने दो हफ्ते के भीतर पूर्वी चंपारण से मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी ने ऐसा करने के लिए एक फर्जी वेबसाइट भी बनाई थी। इस फेक वेबसाइट के माध्यम से कोई भी व्यक्ति क्यूआर कोड के माध्यम से केवल 20 रुपये का भुगतान करके नकली वोटर आईडी, आधार कार्ड, पैन कार्ड प्राप्त करने के लिए किसी अन्य की फोटो, नाम, पता, हस्ताक्षर और अन्य जानकारी का उपयोग कर सकता है। आरोपी ने यूट्यूब से फर्जी वेबसाइट बनाना सीखा था। आरोपी ने अपनी पहचान गोपनीय रखने के लिए फर्जी सिम कार्ड और फर्जी बैंक खाते का इस्तेमाल किया।
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पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी की पहचान रंजन चौबे (20) के रूप में हुई है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस केस को खतरे के तौर पर देखते हुए इस बात की भी छानबीन की जा रही है कि इसमें विदेशी ताकतें तो नहीं शामिल थीं। यही नहीं साइबर सेल उन लोगों की तलाश कर रही है, जिन्होंने इस फर्जी वेबसाइट से फर्जी वोटर आईडी डाउनलोड किए हैं। साइबर पुलिस ने लोगों से वोटर आईडी, आधार कार्ड और पैन कार्ड के प्रिंट प्राप्त करने के लिए केवल आधिकारिक वेबसाइटों का ही इस्तेमाल करने की सलाह दी है।