देवघर के ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 21 अप्रैल को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस बार प्रदोष रविवार को पड़ने के कारण रवि प्रदोष कहा जाएगा. खास बात ये कि इस दिन भगवान शिव नंदी पर विराजमान रहेंगे और एक साथ कई अद्भुत शुभ संयोग का भी निर्माण हो रहा है.
देवघर (झारखंड). हिंदू धर्म चैत्र माह का बड़ा महत्व है. खासकर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष को बहुत ही शुभ माना गया है. चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष और नवरात्रि की शुरुआत होती है. हाल ही में चैत्र नवरात्रि का समापन हुआ है. चैत्र माह के प्रदोष व्रत को भी काफी शुभ माना गया है. इस बार का प्रदोष व्रत काफी महत्वपूर्ण है.
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रविवार को पड़ने के कारण इस व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा गया है. इस रवि प्रदोष पर कई अद्भुत संयोग भी बन रहे हैं, जिससे व्रत का महत्व दोगुना बढ़ जाएगा. साथ ही शनि और पितृ दोष से राहत पाने का अवसर भी साधकों को मिलेगा. क्योंकि माना जाता है कि शुभ मुहूर्त या संयोग में भगवान की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
कम दिखता है ऐसा संयोग
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को रखा जाएगा. यह प्रदोष व्रत रविवार को रहने के कारण रवि प्रदोष व्रत कहलाता है. इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रदोष तिथि में बेहद अद्भुत संयोग का निर्माण एक साथ होने जा रहा है, जो कम ही देखने को मिलता है. इस बार भगवान शिव इस दिन नंदी पर विराजमान रहेंगे. इस प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि विधान के साथ करने पर मनचाहे फल की प्राप्ति होगी.
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कब शुरू होगी त्रयोदशी तिथि
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 20 अप्रैल रात 11 बजकर 5 मिनट पर शुरू होने जा रही है. वहीं, त्रयोदशी तिथि का समापन 22 अप्रैल की रात 2 बजकर 36 मिनट में हो रहा है. क्योंकि भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए रवि प्रदोष का व्रत 21 अप्रैल को रखा जाएगा.
एक साथ कई अद्भुत संयोग
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि ऐसा संयोग कम ही देखने को मिलता है, जब प्रदोष व्रत रविवार को होने के साथ ही शिववास, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग का निर्माण भी हो. माना जाता है कि ऐसे शुभ संयोग में अगर आप भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं तो आपके द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं. ऐसे अद्भुत संयोग में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा बेहद शुभ मानी गई है.
शनि दोष से राहत का उपाय
अगर आप भी शनि दोष या पितृ दोष से लगातार परेशान हैं, तो इस रविवार प्रदोष व्रत के दिन आप भगवान शिव का जलाभिषेक या दुग्धाभिषेक करें. साथ ही राम नाम लिखा 108 बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पण करें. इससे शनि दोष या पितृ दोष में काफी राहत मिलेगी.