नई दिल्ली:
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने डेढ़ साल पहले एक वादा किया था… कि अगले दो साल में भारत ‘टोल प्लाजा मुक्त’ हो जाएगा। गडकरी का सपना था कि जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन होगा और गाड़ियों के मूवमेंट के हिसाब से बैंक अकाउंट से सीधे टोल टैक्स काट लिया जाएगा। 2019 में सरकार ने FASTag अनिवार्य कर दिया। इससे टोल प्लाजा पर गाड़ियों के रुकने का समय तो घटा मगर गडकरी का सपना पूरा नहीं हो सका। भले ही कुछ सेकेंड्स के लिए ही सही, गाड़ियां अब भी टोल प्लाजा पर रुकती हैं। इसलिए जीपीएस आधारित टोल सिस्टम लाने का प्लान बना। नैशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की वेबसाइट के अनुसार, देश में 700 से ज्यादा टोल प्लाजा हैं। अगले तीन महीनों के भीतर इनकी संख्या कम हो जाएगी क्योंकि गडकरी वादा कर रहे हैं कि 60 किलोमीटर की दूरी के अंदर एक ही टोल नाका होगा। ‘टोल प्लाजा मुक्त’ भारत कब बनेगा, पता नहीं। मंगलवार को गडकरी ने कहा कि ‘टोल खत्म नहीं होगा’ मगर ज्यादातर वसूली GPS के जरिए होगी। भारत में टोल टैक्स के वर्तमान और भविष्य पर सारी जानकारी।
टोल क्या है?
टोल टैक्स या सिर्फ टोल वह शुल्क है जो वाहन चालकों को तय सड़कों, पुलों, सुरंगों से गुजरने पर देना पड़ता है। ऐसी सड़कों को टोल रोड कहा जाता है। यह इनडायरेक्ट टैक्स है। यह रोड टैक्स से इतर है जो RTO वाहन मालिकों से वसूल करते हैं।
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टोल टैक्स कहां, किनसे वसूला जाता है?
टोल टैक्स कलेक्ट करने के लिए सड़कों पर टोल बूथ या टोल प्लाजा (कई बूथों को मिलाकर) होते हैं। आमतौर पर दो टोल बूथ के बीच 60 किलोमीटर की दूरी होती है। भारत में चार पहिया या उससे बड़े वाहनों से टोल टैक्स लिया जाता है।
टोल क्यों लिया जाता है? कब तक देना होता है?
सड़कें बनाने में अच्छा-खासा पैसा खर्च होता है। नैशनल हाइवे/एक्सप्रेसवे बनाने में अरबों रुपये लग जाते हैं। ऐसे में टोल के जरिए वह लागत वसूली जाती है। मेंटेनेंस के लिए भी टोल टैक्स लिया जाता है। एक बार हाइवे की लागत रिकवर हो जाने पर टोल टैक्स 40% हो जाता है, जो मेंटेनेंस में इस्तेमाल होता है।
टोल कैसे कैलकुलेट होता है?
आमतौर पर टोल रोड के हर 60 किलोमीटर स्ट्रेच पर टैक्स लिया जाता है। अगर स्ट्रेच इससे छोटा है तो रोड की वास्तविक लंबाई के आधार पर टैक्स वसूला जा सकता है। टोल टैक्स कितना होगा, यह तय करने के कई और फैक्टर्स भी होते हैं जैसे पुल, सुरंग, बाईपास, हाइवे की चौड़ाई या अन्य शर्तें।
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भारत में टोल की दरें क्या हैं? (रुपये में)
वीइकल टाइप
सिंगल जर्नी
रिटर्न जर्नी
मंथली पास
प्लाजा वाले जिले में रजिस्टर्ड कॉमर्शियल वीइकल
कार/जीप/वैन
75.00
115.00
2505.00
40.00
LCV
120.00
180.00
4050.00
60.00
बस/ट्रक
255.00
380.00
8480.00
125.00
3 एक्सल तक के वीइकल
280.00
415.00
9250.00
140.00
4 से 6 एक्सल वाले वीइकल
400.00
600.00
13300.00
200.00
HCM/EM
400.00
600.00
13300.00
200.00
7 या ज्यादा एक्सल वाले वीइकल
485.00
730.00
16190.00
245.00
सोर्स: NHAI
टोल टैक्स से किन व्यक्तियों को छूट मिली है?
नैशनल हाइवे फी रूल्स, 2008 के अनुसार कुछ व्यक्तियों और वाहनों को टोल टैक्स से छूट मिली है। व्यक्तियों की सूची देखिए
राष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति
प्रधानमंत्री
राज्यों के राज्यपाल
भारत के प्रधान न्यायाधीश
लोकसभा स्पीकर
केंद्रीय मंत्री
राज्यों के मुख्यमंत्री
सुप्रीम कोर्ट के जज
केंद्र में राज्य मंत्री
केंद्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल
जनरल रैंक वाले चीफ ऑफ स्टाफ
राज्य की विधानपरिषद के चेयरमैन
राज्य की विधानसभा के स्पीकर
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस
हाई कोर्ट के जज
सांसद
वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ
राज्यों के मुख्य सचिव (राज्य के भीतर)
भारत सरकार के सचिव
राज्य सभा के सचिव
लोकसभा के सचिव
राजकीय दौरे पर आए विदेशी राजनयिक
विधायक, विधानपरिषद सदस्य (पहचान पत्र दिखाने पर)
परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र से अलंकृत व्यक्ति (पहचान पत्र दिखाने पर)
किन वाहनों को नहीं देना होता टोल टैक्स?
- आधिकारिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल होने वाले निम्न वाहनों से टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा
- रक्षा मंत्रालय
- वर्दी में केंद्र एवं राज्य सुरक्षा बल, पैरामिलिट्री फोर्सेज और पुलिस भी शामिल
- कार्यकारी मजिस्ट्रेट
- दमकल विभाग
- NHAI या कोई अन्य सरकारी संस्था।
- एम्बुलेंस
- शव वाहन
- दिव्यांगों के लिए बनाए गए मेकेनिकल वाहन
अभी टोल कलेक्शन कैसे होता है?
अधिकतर टोल कलेक्शन FASTag के जरिए होता है। इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) के जरिए टोल भुगतान होता है। यह डिवाइस गाड़ी की विंडशील्ड पर लगी होती है और आप टोल प्लाजा पर कैश देने के लिए रुकने के बजाय जा सकते हैं। FASTag की वैलिडिटी 5 साल होती है। आप उसे रीचार्ज कर सकते हैं।
GPS से टोल वसूलने का क्या प्लान है?
2019 के बाद बनी सभी गाड़ियों में इन-बिल्ड वीइकल ट्रैकिंग सिस्टम होता है। गाड़ी के GPS कोऑर्डिनेट्स ट्रैक किए जाएंगे जिसके आधार पर टोल वसूला जाएगा। गडकरी के अनुसार, जीपीएस के जरिए यह पता चलेगा कि आप अपनी गाड़ी लेकर हाईवे पर किस जगह से एंट्री किए हैं और किस जगह से निकले हैं उसी आधार पर पैसा आपके बैंक अकाउंट से कट जाएगा।
GPS से टोल का फॉर्म्युला क्या है?
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इस सिस्टम का फायदा यह होगा कि वाहनों को टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा। हालांकि, टोल प्लाजा खत्म नहीं होंगे। संभव है कि FASTag जैसा फॉर्म्युला यहां भी लागू किया जाए। टोल बूथ के 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वालों को आमतौर पर टोल नहीं देना होता। यह दूरी 20 किलोमीटर तक भी हो सकती है। इसके लिए NHAI को अप्लिकेशन देनी होती है। GPS सिस्टम में इसे कैसे लागू करेंगे यह देखने वाली बात होगी। ऊपर से यह भी दिक्कत है कि अगर संबंधित बैंक अकाउंट में बैलेंस न हुआ तो टोल कैसे वसूला जाएगा? क्या कैश कलेक्शन का इंतजाम भी रखना होगा? सरकार को नया सिस्टम लाने से पहले इन सवालों के जवाब ढूंढने होंगे।
NH पर 60 किलोमीटर तक टोल नहीं लगेगा, कैसे काउंट होगा?
गडकरी ने कहा है कि 60 किलोमीटर के अंदर एक ही टोल नाका होना चाहिए। हालांकि कई जगहों पर अब भी ऐसा नही है। लोकसभा में मंत्री ने कहा कि तीन महीने के भीतर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि 60 किलोमीटर के अंदर एक ही टोल नाका हो, बाकी बंद कर दिए जाएंगे। नितिन गडकरी ने कहा कि स्थानीय लोगों के क्षेत्र में टोल से निकलने के निकलने के लिए आधार कार्ड आधारित पास बनाए जाएंगे।
सालों बाद भी कुछ नाकों पर टोल क्यों वसूला जाता है?
नैशनल हाइवे ऐक्ट, 1956 के अनुसार, सड़क निर्माण की लागत वसूल होने के बाद सिर्फ 40 प्रतिशत की दर से टैक्स वसूला जाता है। कई बार सरकार और निजी कंपनियों की साझेदारी होती है। टोल टैक्स से मेंटनेंस का खर्च भी निकाला जाता है।
DND को कोर्ट ने टोल फ्री क्यों कर दिया था?
2001 में बने देश के पहले 8 लेन वाले एक्सप्रेसवे, दिल्ली नोएडा डायरेक्ट (DND) फ्लाईवे से अगले 15 साल तक टोल वसूला गया। 26 अक्टूबर 2016 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि अब कोई टोल नहीं वसूला जाएगा। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी यही व्यवस्था बरकरार रखी। अदालत का मानना था कि नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (NTBCL) अपनी लागत वसूल कर चुकी है और वह टोल वसूलना जारी नहीं रख सकती।