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को-लोकेशन घोटाला मामले में चित्रा रामकृष्ण पर ₹5 करोड़ और एनएसई पर ₹7 करोड़ का जुर्माना लगा

को-लोकेशन घोटाला मामले में सेबी ने एनएसई की पूर्व एमडी चित्रा रामकृष्ण और एनएसई पर क्रमश: 5 करोड़ रुपये और 7 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. सेबी ने इनके अलावा भी कई लोगों पर जुर्माना लगाया है.

नई दिल्ली. को-लोकेशन घोटाला से जुड़े डार्क फाइबर मामले में सेबी ने देश के सबसे बड़े एक्सचेंज एनएसई पर 7 करोड़ रुपये का जुप्माना लगाया है. इसके अलावा एनएसई की पूर्व सीईओ और एमडी चित्रा रामकृष्ण पर भी जुर्माना लगाया गया है. सेबी ने चित्रा रामकृष्ण पर 5 करोड़ रुपये व 2 पूर्व अधिकारियों सुब्रमण्यम आनंद और रवि वाराणसी पर 5-5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.

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इसके अलावा सेबी ने इसी मामले में वे2वेल्थ ब्रोकर्स पर 6 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. यह मामला 2014-15 का है. इस मामले में सीबीआई ने एक एफआईआर भी दर्ज की थी.

क्या है को-लोकेशन घोटाला
को-लोकेशन सेवा के तहत ब्रोकर्स को उनका सर्वर एक्सचेंज परिसर में लगाने की अनुमति दी जाती है. जिसकी मदद से वह और तेजी से शेयर बाजार में हो रही हलचल का पता लगा सकें और फायदा उठा सकें. जांच में सामने आया था कि कई ब्रोकर्स ने इसमें धांधली कर फायदा उठाया और करोड़ों रुपये अवैध रूप से कमाए. जांच में एल्गोरिदम में छेड़छाड़ की बात सामने आई थी. जिस दौरान यह घोटाला हुआ उस समय चित्रा रामकृष्ण ने एनएसई ने विभिन्न क्षमताओं में सेवा दी थी. इनमें से एक सीईओ का पद भी था.

इस मामले में हुई कार्रवाई
सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर देशभर में तलाशी अभियान चलाया है. कई शहरों में ब्रोकर्स के ठिकानों पर छापेमारी की गई है. चित्रा रामकृष्ण और एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके अलावा ओपीजी सिक्योरिटी के प्रमोटर संजय गुप्ता को भी जांच एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया है. गुप्ता को इस घोटाले का मुख्य आरोपी माना जाता है. इस मामले में सेबी ने संस्थाओं व अधिकारियों समेत कुल 18 लोगों को दोषी पाया है. इन सब पर कुल मिलाकर करीब 44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है.

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कैसे सामने आया था मामला
साल 2014-15 में एक व्हिसलब्लोअर ने सेबी को इस संबंध में लिखित शिकायत दी थी. शिकायत में लिखा था कि एनएसई के कुछ अधिकारी को-लोकेशन के जरिए कुछ चुनिंदा ब्रोकरों को वरीयता देकर लाभ पहुंचा रहे हैं. उस समय एनएसई टिकट बाय टिकट (टीबीटी) सर्वर का इस्तेमाल करता था. टीबीटी प्राप्त किए गए ऑर्डरों का डेटा सिस्टम तक पहले पहुंचने वाले लोगों को पहले देता था. जबकि अन्य सर्वरों पर ऐसा नहीं होता. वहां सबको एक साथ डेटा भेजा जाता है. इसी खामी का फायदा उठाकर ब्रोकर्स ने गलत तरीके से लाभ कमाया था.

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