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ITR Filing Last Date: नजदीक आ रही आखिरी तारीख, जानिए आईटीआर फाइल करने से जुड़ी हर जानकारी और बचें इन 10 गलतियों से

ITR

इस साल फाइनेंशियल ईयर 2021-22 (असेसमेंट ईयर 2022-23) के लिए ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई (ITR Filing Last Date) है। अब ITR ऑनलाइन भरा जाता है, ऑफलाइन नहीं। आईटीआर कैसे फाइल करें, इस बारे में एक्सपर्ट्स से जानकारी लेकर बता रहे हैं

राजेश भारती

। आइए समझते हैं किसे कौन सा फॉर्म भरना चाहिए, नए-पुराने नियम क्या हैं, कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए और किसे कौन सा फॉर्म भरना चाहिए।

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टैक्स कैलेंडर

31 जुलाई:

आम आदमियों के लिए ITR फाइल करने की आखिरी तारीख

30 सितंबर:

ऑडिट करवाने वालों के लिए ITR फाइल करने की आखिरी तारीख

31 दिसंबर:

फाइनैंशल ईयर 2021-22 के लिए रिवाइज्ड और देरी से रिटर्न भरने की आखिरी तारीख

जानिए जरूरी नए-पुराने नियम

1. पीएफ अकाउंट में टैक्सेबल ब्याज:

अगर आपके पीएफ अकाउंट में आपका (कंपनी का नहीं) हर साल 2.50 लाख रुपये से ज्यादा का योगदान है तो इस अतिरिक्त योगदान पर जो ब्याज मिला है, उस पर टैक्स देना होगा।

2. प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने की जानकारी:

अगर आपने 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 के बीच किसी भी तरह की प्रॉपर्टी खरीदी या बेची है तो ITR फॉर्म में तारीख सहित इसकी असली कीमत (मार्केट रेट) की भी जानकारी देनी होगी।

3. क्रिप्टो से प्राॅफिट पर टैक्स:

वर्चुअल डिजिटल एसेट (क्रिप्टो करंसी भी शामिल) से होने वाले प्रॉफिट पर फाइनैंशल ईयर 2022-23 से 30 फीसदी की दर से इनकम टैक्स देना होगा। हालांकि इस बार ITR फाइल करने के दौरान इस प्रॉफिट को ‘इनकम फ्राॅम अदर सोर्सेज’ में दिखा सकते हैं।

4. अपडेटिड रिटर्न भरने की सुविधा:

ITR फाइल करते समय कोई गलती हो जाए तो असेसमेंट ईयर के दो साल के भीतर अपडेटिड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।

5. स्टेट एम्प्लॉई का NPS में योगदान बढ़ा:

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राज्य सरकार के कर्मचारी अब अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 10% तक के बजाय 14% तक एनपीएस (NPS) में योगदान कर सकते हैं।

6. दिव्यांगों को राहत:

अगर कोई शख्स दिव्यांग है तो उसके माता-पिता या अभिभावक बदले में इंश्योरेंस ले सकते हैं और उस पर टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं।

7. पेंशनर्स के लिए बढ़ी कैटिगरी:

पेंशनर्स को पेंशन के स्रोत (केंद्र सरकार के पेंशनर हैं या राज्य सरकार या पब्लिक सेक्टर कंपनी के) के बारे में बताना होगा।

इन 10 गलतियों से बचें

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1. गलत ITR फॉर्म भरना

2. सभी बैंक अकाउंट्स की जानकारी न देना

3. दूसरे स्रोतों से आमदनी छिपाना

4. कॉन्टैक्ट डिटेल्स व बैंक अकाउंट डिटेल्स अपडेट न करना

5. TIS/AIS/26AS फॉर्म में दी हुई जानकारी को रिटर्न में शामिल न करना

6. 50 लाख से ज्यादा इनकम की स्थिति में संपत्ति देनदारी का स्टेटमेंट नहीं देना

7. शेयर मार्केट या क्रिप्टो से हुई आमदनी का जिक्र न करना

8. सही असेसमेंट ईयर का चयन न करना

9. नौकरी करते हैं और 1 अप्रैल से 31 मार्च के बीच में कंपनी बदली है तो पहली कंपनी से मिली सैलरी की जानकारी न देना

10. ITR फाइल करने में देरी करना

ITR भरने के फायदे

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– फालतू कटा TDS क्लेम करने के लिए

– वीजा लेने के लिए

– लोन लेने के लिए

– खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए

– ज्यादा बीमा कवर के लिए

– पिछले बरसों का घाटा मौजूदा साल के मुनाफे से एडजस्ट करने के लिए

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इन आय पर टैक्स नहीं

– कृषि से हुई आमदनी

– पीएफ (2.50 लाख रुपये से कम के योगदान पर व मैच्योरिटी पर) और ग्रैच्युटी (प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को 10 लाख रुपये तक की ग्रैच्युटी पर ही टैक्स से छूट मिलती है।)

– 50 हजार रुपये तक की वैल्यू वाले गिफ्ट

– सैलरी के कुछ पार्ट जैसे ट्रांसपोर्टेशन अलाउंस, लंच वाउचर, मोबाइल फोन या इंटरनेट बिल के लिए भुगतान, किताबें और पत्रिकाएं खरीदने के लिए मिलने वाला हिस्सा आदि।

– स्कॉलरशिप

– रिवर्स मोर्टगेज स्कीम (62 साल या इससे अधिक उम्र के करदाताओं के लिए)

किसके लिए फिट है पुरानी व्यवस्था

– जो अपनी बचत को लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस या दूसरी टैक्स सेविंग्स स्कीम्स में इन्वेस्ट करते हैं।

– बेटी के माता या पिता हैं और सुकन्या समृद्धि योजना, LIC की कन्यादान जैसी स्कीम में रकम निवेश की है।

– अगर मकान के लिए लोन लिया है और उसकी EMI चल रही है।

n80G के तहत दान देते हैं।

किसके लिए बेहतर है नई व्यवस्था

– नई नौकरी है। सैलरी कम है और पैसा इन्वेस्ट नहीं किया है।

– पुराने एम्प्लॉई, जिन्होंने किसी भी प्रकार का निवेश नहीं किया है और न ही उनके ऊपर किसी भी प्रकार का कोई लोन है।

किस शख्स को भरना है कौन-सा फॉर्म

ITR-1 यानी सहज

– जिनकी आमदनी का मुख्य जरिया सैलरी या पेंशन है और सैलरी समेत कुल सालाना आमदनी 50 लाख रुपये तक है।

– अन्य स्रोतों जैसे ब्याज और सिर्फ एक प्रॉपर्टी के रेंट से आमदनी हुई है।

– कृषि से सालाना आमदनी 5000 रुपये तक है।

ITR-2

– जिनकी आमदनी का मुख्य जरिया सैलरी या पेंशन है और कुल सालाना आमदनी 50 लाख रुपये से ज्यादा है।

– एक से ज्यादा प्रॉपर्टी हैं।

– कंपनी में डायरेक्टर या अन-लिस्टेड कंपनियों के शेयरहोल्डर्स हैं।

– कृषि से सालाना आमदनी 5000 रुपये से ज्यादा है।

ITR-3

– बिजनेस कर रहे हैं या प्रफेशन से आमदनी है।

– अगर किसी फर्म में पार्टनर हैं

नोट:

इनके अलावा और भी फॉर्म हैं, जिनकी जरूरत बिजनेस या दूसरी तरह की आमदनी से जुड़े लोगों के लिए होती है। इसके लिए CA से जानकारी लें।

…तो प्रॉपर्टी देगी परेशानी

जानकारी न देने पर: अगर आपके पास दो से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी है, जिसमें न तो आप रह रहे हैं और न ही उसका इस्तेमाल किसी बिजनेस में हो रहा है लेकिन रहने के काबिल है तो बाजार दर पर उसके संभावित किराये की नोशनल (काल्पनिक) इनकम को अपनी इनकम में शामिल करके टैक्स देना होता है। अगर आपने प्रॉपर्टी की जानकारी छिपाई है और बाद में उसे बेचते हैं तो इनकम टैक्स विभाग आपसे पूछ सकता है कि आपने उस प्रॉपर्टी की सालाना इनकम क्यों नहीं दिखाई। अगर उस प्रॉपर्टी पर नोशनल इनकम के कारण टैक्स बनता है तो टैक्स जरूर भरें।

पजेशन न लेने पर: अगर आपने किसी मकान या फ्लैट के लिए होम लोन लिया है और आप उसमें रहते नहीं हैं तो आपको होम लोन के ब्याज में टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलेगा। यह लाभ तभी मिल सकता है जब आप उसमें रह रहे हों।

सोशल मीडिया से कमाई पर भी देना होगा टैक्स

अगर आप सोशल मीडिया (फेसबुक, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम आदि) के जरिए कमाई करते हें तो यह भी टैक्स के दायरे में आती है। अगर आप सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए कमाते हैं तो इसे बिजनेस से हुई आय माना जाएगा। वहीं अगर जॉब करते हुए या कोई दूसरा काम करते हुए कमाई करते हैं तो इसे दूसरे स्रोत से हुई आय में माना जाएगा। इस आय को ITR में ऐसे दिखाएं:

– आप विडियो बनाकर यू-ट्यूब या किसी दूसरे प्लैटफॉर्म पर अपलोड करते हैं और उससे कमाई करते हैं।

– विडियो बनाने में कुछ रकम भी खर्च होती है। यह रकम ब्रॉडबैंड, इलेक्ट्रिसिटी, शूटिंग के लिए आने-जाने में आदि में खर्च होती है। साल में कुल आमदनी में से खर्चे निकाल दें। अब जो प्रॉफिट बचेगा, वह आय मानी जाएगी और उस पर टैक्स की देनदारी तय होगी।

इन फॉर्म को चेक करना न भूलें

ITR फाइल करने से पहले फॉर्म 16, फॉर्म 26AS और फॉर्म TIS व AIS चेक करने चाहिए। जानें, इन फॉर्म के बारे में:

फॉर्म 16 और 16A

– जब सैलरी पर TDS काटा जाता है तो TDS सर्टिफिकेट के रूप में फॉर्म 16 दिया जाता है। यह सर्टिफिकेट कंपनी की ओर से उस एम्प्लॉई को दिया जाता है जिसकी सैलरी में से टैक्स (टीडीएस) काटा गया है।

– कंपनी इस टैक्स को सरकार के पास जमा कराती है। बाद में एम्प्लॉई टैक्स रिटर्न में इसे टैक्स भुगतान के रूप मेंदिखा सकता है।

– सैलरी के अलावा किसी दूसरे तरह के भुगतान पर जब TDS काटा जाता है तो TDS सर्टिफिकेट के रूप में फॉर्म 16A दिया जाता है।

– यह TDS ब्याज, मकान का किराया आदि पर काटा जाता है।

फॉर्म 26AS

– इसमें नौकरी कर रहे शख्स की कंपनी द्वारा काटे गए TDS और उसके TAN का जिक्र होता है। पार्ट 16A में काटे गए टैक्स के ब्योरे को 26AS से मिलाएं।

– इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट incometax.gov.in पर लॉगइन करके e-File पर जाएं। यहां Income Tax Returns पर क्लिक करें। आपको View Form 26AS लिखा दिखाई दे जाएगा।

– अगर फॉर्म 26AS और फॉर्म 16A में TAN और PAN के डिटेल्स मैच न हुए तो आप TDS क्रेडिट क्लेम नहीं कर पाएंगे। अगर इसमें कोई भी गलती दिखे तो उसकी सूचना एंप्लॉयर (सैलरी इनकम के मामले में) या अन्य पेयर्स (अन्य आय के मामले में) या बैंकों (एडवांस टैक्स/सेल्फ एसेसमेंट टैक्स पेमेंट्स के मामले में) को देनी चाहिए और इसे सही करा लेना चाहिए।

फॉर्म TIS और AIS

सरकार ने आपके आर्थिक लेन-देन से जुड़ी हर चीज पैन कार्ड से जोड़ दी है। आप जो भी ऐसा लेन-देन करते हैं जो पैन कार्ड से जुड़ा है, उसकी पूरी जानकारी सरकार के पास होती है। यह पूरी जानकारी TIS (Taxpayer Information Summary) और AIS (Annual Information Statement) में होती है। TIS में जो जानकारी होती है, उसी की पूरी डिटेल्स AIS में होती है। मान लीजिए, आपके पास 2 या 2 से ज्यादा बैंक अकाउंट हैं। इनसे आपको साल में 10 हजार रुपये का ब्याज मिला है। TIS में बैंक अकाउंट्स में मिला ब्याज 10 हजार रुपये दिखाई देगा, जबकि AIS में लिखा होगा कि किस-किस अकाउंट से कितना-कितना ब्याज मिला है।

ITR फाइल करने से पहले अपने AIS को चेक कर लें और लेन-देन की जो जानकारी 26AS में नहीं है और AIS में है, उसे भी ITR फाइल करते समय भर दें ताकि भविष्य में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नोटिस का सामना करने से बच सकें। ध्यान रखें कि 26AS में जहां सैलरी से होने वाली आय, टैक्स पेमेंट और TDS आदि की जानकारी पहले से भरी होती है तो AIS में डिविडेंड इनकम और बैंकों व पोस्ट ऑफिस से मिलने वाला ब्याज, लिस्टेड शेयरों से डिविडेंड के तौर पर मिलनेवाले कैपिटल गेंस, शेयर ट्रांजैक्शन, म्यूचुअल फंड ट्रांजैक्शन जैसी अतिरिक्त जानकारियां हैं। अगर आप इस बात को लेकर सुनिश्चित हैं कि AIS में दी गई कोई जानकारी गलत है तो आप उस जानकारी पर क्लिक करें और वहां लिखे Feedback पर क्लिक करके बताएं कि जानकारी गलत है। इनकम टैक्स विभाग इसे क्रॉसचेक करता है और जानकारी गलत निकलने पर उसमें सुधार कर देता है।

ऐसे करें AIS डाउनलोड

– इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट incometax.gov.in पर जाएं। यहां आपको सबसे ऊपर राइट साइड में छोटे-से वाइट रंग के बॉक्स में Login लिखा दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें। आईडी और फिर पासवर्ड के जरिए लॉगइन करें।

– यहां आपको ऊपर नीले रंग की पट्टी दिखाई देगी। इसमें लिखे Service पर क्लिक करें। फिर इसमें नीचे की तरफ लिखे Annual Information Statement (AIS) पर क्लिक करें।

– अब एक पॉप-अप विंडो खुलेगी, जिसमें आपको Proceed पर क्लिक करना होगा। अब AIS का होमपेज खुल जाएगा।

– यहां नीले रंग की पट्टी के नीचे एक लाइन छोड़कर आपको Instructions और AIS के 2 टैब दिखाई देंगे। इसमें AIS वाले टैब पर क्लिक करें।

– अब जो पेज खुलेगा, उसमें आपके सामने डाउनलोड के लिए दो विकल्प आएंगे। पहला, Taxpayer Information Summary (TIS) का और दूसरा Annual Information Statement (AIS) का। आपको जो भी जानकारी (TIS या AIS) देखनी है, उस पर क्लिक करके देख सकते हैं और उसकी PDF फाइल डाउनलोड कर सकते हैं। वैसे AIS पर्याप्त है, TIS की जरूरत नहीं। AIS डाउनलोड पर क्लिक करेंगे तो 3 विकल्प होंगे। पहले पर क्लिक करके डाउनलोड कर लें।

– PDF ओपन करने पर आपसे पासवर्ड पूछेगा। यह पासवर्ड आपका पैन कार्ड नंबर और जन्मतिथि होगी। उदाहरण के लिए अगर आपका पैन कार्ड नंबर AAAAA1234A है और आपकी जन्मतिथि 1 जनवरी 1990 है, तो आपका पासवर्ड AAAAA1234A01011990 होगा।

खुद भरें या CA से भरवाएं, ये डॉक्यूमेंट हैं जरूरी

– PAN

– आधार

– Form16

– आपके जितने भी बैंक अकाउंट हैं, सभी की 31 मार्च 2022 तक अपडेट हुई स्टेटमेंट या पासबुक तैयार रखें। हर बैंक अकाउंट में देखें कि सालभर में कितना बैंक इंट्रेस्ट दिया गया है। यह साल में चार बार दिया जाता है। सभी का टोटल करें।

– अगर कोई FD है तो बैंक या पोस्ट ऑफिस जाकर उसका Accrued Interest जान लें। ये दोनों तरह के ब्याज आपको रिटर्न फॉर्म में Income from Other Sources में दिखाने हैं।

– रिटर्न में Deduction under Chapter VI-A में भी 80C आदि की जानकारी देनी होती है, जिसके आधार पर आपको इनकम टैक्स में कटौती मिलती है। मसलन: इंश्योरेंस, पीपीएफ, मेडिक्लेम, ट्यूशन फीस आदि। इन्हें भरने के लिए आप Form16 के Part B की मदद लें क्योंकि इन निवेश और खर्चों की जानकारी अपने ऑफिस में पहले ही दे चुके होते हैं। अगर कोई निवेश या खर्च ऑफिस में दर्ज कराने से छूट गया है तो उसे अब आप रिटर्न में बताकर अपनी टैक्स देनदारी घटा सकते हैं और रिफंड क्लेम कर सकते हैं।

– होम लोन/ब्याज के सर्टिफिकेट (यह लोन देने वाली संस्था से मिल जाएगा) और खर्चों, निवेश के पेपर भी तैयार रखें।

– अगर किसी भी तरह की कोई प्रॉपर्टी खरीदी या बेची है तो उससे जुड़े सारे पेपर। इसके अलावा अगर 2 से ज्यादा प्रॉपर्टी हैं तो उनकी पूरी जानकारी।

– कैपिटल गेंस (प्रॉपर्टी, जेवर, कार, शेयर, बॉन्ड) से हुई कमाई की जानकारी और उनसे जुड़े सारे पेपर।

– अगर बिजनेस करते हैं या GST नंबर लिया हुआ है तो लेन-देन से जुड़े पूरे पेपर।

यह ध्यान रखें: फॉर्म 16 में दी गई सैलरी की पूरी जानकारी सैलरी स्लिप (Actual Receipts) से मिला लें। कुछ भी गड़बड़ दिखाई दे तो कंपनी से संपर्क करें।

दुनिया को अलविदा कह गए शख्स की ITR

अगर कोई शख्स पहले से ITR फाइल करता रहा है और किसी कारणवश वित्त वर्ष (1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक) के बीच में उसकी मृत्यु हो जाती है, तब भी उसकी रिटर्न भरना जरूरी होता है। यह काम मृतक के वारिस को करना होता है। किसी शख्स की मृत्यु होने पर उसकी रिटर्न इस प्रकार भरी जा सकती है:

इन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत

– मृतक का PAN नंबर

– मृतक का पूरा नाम

– जन्मतिथि

– कानूनी वारिस (Legal Heir) की बैंक अकाउंट डिटेल्स

– मृतक के PAN की डिजिटल फोटो (5MB तक के साइज की)

– डेथ सर्टिफिकेट की डिजिटल फोटो (5MB तक के साइज की)

– कानूनी वारिस का सर्टिफिकेट

कानूनी वारिस के सर्टिफिकेट के रूप में इनमें से कोई एक मान्य है:

– कोर्ट की तरफ से जारी सक्सेशन सर्टिफिकेट

– SDM की तरफ से जारी सर्टिफिकेट

– परिवार की ओर से किसी शख्स को कानूनी वारिस बनाने का सहमति पत्र जो SDM की तरफ से जारी होगा

– मृतक की रजिस्टर्ड वसीयत

– जिस बैंक में मृतक का अकाउंट है उस बैंक के लेटर हेड पर बैंक की ओर से जारी लेटर जिसमें मृतक के नॉमिनी या जॉइंट अकाउंट की स्थिति में दूसरे शख्स के बारे में जानकारी हो। यह जानकारी मृत्यु की तारीख तक की होनी चाहिए। लेटर हेड पर बैंक की सील और संबंधित अधिकारी के साइन हों।

डेथ तक का ही ITR

मृतक की ITR 1 अप्रैल से लेकर उस तारीख तक का ही भरा जाता है जिस तारीख को उसकी मौत हुई है। चूंकि मृतक की संपत्ति बाद में वारिसों में बंट जाती है। इसलिए इसके बाद मृतक के वारिसों को अपने हिस्से में आई संपत्ति का जिक्र अपनी-अपनी ITR में करना होगा।

वारिस को करना होगा रजिस्टर

– ऑफिशियल वेबसाइट incometax.gov.in पर जाएं और आईडी व पासवर्ड डालकर लॉग-इन करें।

– ऊपर नीले रंग की स्ट्रिप में लिखे Authorised Partners पर जाएं। यहां आपको Register as Representative Assessee लिखा मिलेगा। इस पर क्लिक करें।

– अब नया पेज खुलेगा। यहां खुद को नॉमिनी के तौर पर रजिस्टर करना होगा। यहां नीले रंग के बॉक्स में लिखे Lets Get Started पर क्लिक करें।

– आपको नई रिक्वेस्ट देनी होगी। इसके लिए आपसे कुछ जानकारी मांगी जाएगी।

– अब ऊपर बताए जरूरी डॉक्यूमेंट्स अपलोड करने होंगे और सबसे नीचे राइट साइड में नीले रंग के बॉक्स में लिखे Continue पर क्लिक करें।

– इसके बाद आगे की कुछ और प्रक्रियाएं अपनानी होंगे। प्रक्रिया पूरी होने के कुछ दिन बाद कानूनी वारिस को आयकर विभाग से उसके रजिस्टर्ड होने की जानकारी मिल जाएगी।

ऐसे भरें मृतक की ITR

– मृतक की ITR भी वैसे ही भरी जाती है जैसे बाकियों की भरी जाती है।

– कानूनी वारिस बनने के बाद वारिस मृत व्यक्ति के खाते में लॉगिन कर सकता है और ITR फाइल कर सकता है।

– अब वारिस को इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट पर लॉगइन करना होगा। ITR फाइल करने के ऑप्शन में उसे 2 ऑप्शन दिखाई देंगे। पहला खुद का और दूसरा मृतक का।

– मृतक का ITR फाइल करने के बाद वारिस को मृतक का PAN सरेंडर कर देना चाहिए।

– रिटर्न भरे जाने के बाद अगर कुछ रिफंड बनता है तो वह भी मृतक के ही अकाउंट में आएगा। मृतक का अकाउंट बंद होने की स्थिति में कानूनी वारिस रिफंड अपने खाते में लेने के लिए Assessing Officer (AO) से रिक्वेस्ट कर सकता है।

– मृतक के अकाउंट से पैसे निकालने और उसे बंद करवाने के लिए वारिस को उनके बैंक से संपर्क करना होगा।

अगर परिवार के सदस्यों में न हो सहमति तब क्या होगा?

शख्स की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति को लेकर विवाद हो जाता है और संपत्ति का बंटवारा नहीं होता तो ऐसी स्थिति में ITR फाइल के 2 तरीके हैं:

1. परिवार के सभी सदस्य सहमति से AOP (An association of persons) बना सकते हैं। यह एक प्रकार से ट्रस्ट होता है। ऐसे में सभी सदस्य आपसी सहमति से किसी एक को ITR फाइल करने के लिए आगे करेंगे। अगर टैक्स की देनदारी बनती है तो मृतक के अकाउंट से रकम काटी जाएगी, नहीं तो सभी वारिसों को अपने हिस्से से बराबर की रकम देनी होगी।

2. अगर परिवार के सदस्य AOP नहीं बनाते और किसी भी बात पर सहमत नहीं होते हैं तो मृतक का ITR नहीं भरा जा सकता। ऐसे में इनकम टैक्स विभाग खुद कार्रवाई करेगा और अगर देनदारी बनती है तो मृतक की संपत्ति से टैक्स वसूलेगा।

3. अगर मृतक के बैंक अकाउंट में शामिल नॉमिनी अकाउंट से रकम ले लेता है और उनका ITR फाइल नहीं करता है तो इनकम टैक्स विभाग विरासत में मिली संपत्ति को कब्जे में लेकर टैक्स वसूल सकता है।

मृतक का बैंक अकाउंट बंद हो गया है तब यह प्रक्रिया अपनाएं

अगर किसी कारण से मृतक का बैंक अकाउंट बंद हो गया है तो रिफंड की रकम को क्लेम करना कानूनी वारिस के लिए ऑनलाइन संभव नहीं होगा। इसके लिए ऑफलाइन प्रक्रिया अपनानी होगी। यह प्रक्रिया इस प्रकार है:

– कानूनी वारिस को वारिस होने के सर्टिफिकेट के साथ अपने वॉर्ड के Assessing Officer (AO) के पास जाना होगा।

– AO वारिस से कुछ और जरूरी डॉक्यूमेंट्स मांग सकता है। सारे डॉक्यूमेंट्स मिलने पर AO आगे की प्रक्रिया कर देगा। फिर रिफंड की रकम वारिस के अकाउंट में आ जाएगी।

इन Helplines से मिल सकती है मदद

इनकम टैक्स से जुड़ी किसी भी सहायता के लिए इनकम टैक्स विभाग के इन हेल्पलाइन नंबरों पर सोमवार से शनिवार सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक कॉल कर सकते हैं:

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