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Edible Oil Price: खाने के लगभग सभी ऑयल हुए सस्ते, कई तेलों पर सरकार ने घटाया आयात शुल्क, जानिए लेटेस्ट रेट

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विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव टूटने के बीच देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट (Edible Oil Price) दर्ज हुई। वहीं मूंगफली और कच्चे पामतेल (सीपीओ) के भाव में सुधार देखने को मिला। बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे। बाजार सूत्रों ने बताया कि विदेशों में खाद्य तेलों का बाजार काफी टूटा है जो गिरावट का मुख्य कारण है। इस गिरावट की वजह से देश में आयातकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने जिस भाव पर सौदे खरीदे थे अब उसे कम भाव पर बेचना पड़ रहा है।

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उन्होंने जिस सीपीओ का आयात 2,040 डॉलर प्रति टन के भाव पर किया था उसकी अगस्त खेप का मौजूदा भाव घटकर लगभग 1,000 डॉलर प्रति टन रह गया है। यानी थोक में सीपीओ (सारे खर्च व शुल्क सहित) 86.50 रुपये किलो होगा। उल्लेखनीय है कि लाखों टन सीपीओ तेल आयात होने की प्रक्रिया में हैं। दूसरी ओर सरसों का इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लगभग 5,050 रुपये क्विंटल था, जो अगली बिजाई के समय 200-300 रुपये क्विंटल के बीच बढ़ने का अनुमान है। उस हिसाब से सरसों तेल का थोक भाव आगामी फसल के बाद लगभग 125-130 रुपये किलो रहने का अनुमान है। अब जब बाजार में सीपीओ तेल लगभग 86.50 रुपये किलो होगा तो 125-130 रुपये में सरसों की खपत कहां होगी।

सूत्रों ने कहा कि तेल-तिलहन में आत्मनिर्भर होने के बजाय देश आयात पर ही निर्भर होता दिख रहा है। देश के प्रमुख तेल-तिलहन संगठनों को सरकार से खाद्य तेलों का शुल्क-मुक्त आयात करने की मांग करने के बजाय उचित सलाह देकर तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आत्मनिर्भरता पाने की ओर प्रेरित करना चाहिये। उनकी यह जिम्मेदारी भी बनती है कि वे समय समय पर सरकार को बतायें कि कौन सा फैसला देश के तिलहन उत्पादकों के हित में है और कौन उसके नुकसान में है।

इन वजहों से गिर रहे हैं खाने के तेल के दाम

शुक्रवार को सरकार ने सीपीओ के आयात शुल्क मूल्य में 100 रुपये क्विंटल की कमी की जबकि सोयाबीन डीगम का आयात शुल्क मूल्य 50 रुपये प्रति क्विंटल और पामोलीन तेल का आयात शुल्क मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल कम किया है। सूत्रों ने कहा कि एक तरफ आयात शुल्क मूल्य घटाया जा रहा है, वहीं विदेशों में तेल-तिलहन का बाजार टूट रहा है। सूत्रों ने कहा कि यह सारी स्थितियां देश को पूरी तरह आयात पर निर्भरता की ओर ले जा सकती हैं। सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन में आई गिरावट के कारण पामोलीन तेल के भाव भी टूट गये। सीपीओ के कारोबार में सिर्फ भाव ही है कोई सौदे नहीं हो रहे क्योंकि आयातकों के खरीद भाव के मुकाबले दाम आधे से भी कम चल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नमकीन बनाने वाली कंपनियों और गुजरात में बिनौला कारोबार के लगभग समाप्त होने के बाद मूंगफली की मांग है जिससे मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में समीक्षाधीन सप्ताह में सुधार आया। विदेशों में भाव टूटने से सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली। बिनौला तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के स्तर पर पूर्ववत रहा। हालांकि, इसमें कारोबार लगभग समाप्त हो गया है।

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सूत्रों ने कहा कि आयातक और तेल उद्योग पहले से भारी नुकसान के रास्ते पर हैं। ऐसे में सरकार को अपना हर कदम फूंक-फूंक के उठाना होगा। पिछले दिनों सरकार के निर्देश और खुदरा तेल कारोबारियों के आश्वासन के बावजूद अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कितनी कमी हुई है? इस बारे में सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिये क्योंकि वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को अभी नहीं मिल पा रहा है।

सरसों दाने का भाव 125 रुपये गिरा

सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 125 रुपये की गिरावट के साथ 7,170-7,220 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 250 रुपये की गिरावट के साथ 14,400 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 35-35 रुपये घटकर क्रमश: 2,280-2,360 रुपये और 2,320-2,425 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।

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सूत्रों ने कहा कि वैश्विक बाजरों में आई भारी गिरावट के मद्देनजर समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 75 रुपये और 25 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,275-6,325 रुपये और 6,025-6,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

सोयाबीन तेल की कीमतें भी गिरीं

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी नुकसान रहा। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 600 रुपये की हानि के साथ 13,100 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 350 रुपये टूटकर 12,850 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 550 रुपये टूटकर 11,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

नमकीन बनाने वाली कंपनियों और गुजरात में बिनौले का कारोबार बंद होने के बाद मूंगफली की मांग बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन मजबूत हुआ। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 185 रुपये बढ़कर 6,895-7,020 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 720 रुपये की मजबूती के साथ 16,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 100 रुपये की मजबूती के साथ 2,710-2,900 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 50 रुपये बढ़कर 10,950 रुपये क्विंटल हो गया। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 400 रुपये टूटकर 12,400 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 250 रुपये टूटकर 11,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

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