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Privatization: रतन टाटा के हाथों बिकी अब ये बड़ी सरकारी कंपनी, बदल गई किस्मत, 2 साल बाद खुलने को तैयार

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Privatization News: निजीकरण के खिलाफ हो रहे विरोध के बावजूद सरकार ने एक और बड़ी कंपनी को निजी हाथों में सौंप दिया है. इस बार इस बड़ी कंपनी की कमान दिग्गज बिजनेस मैन रतन टाटा के हाथ में दी गई है. दरअसल ये कंपनी घाटे में चली रही थी और यह प्लांट 30 मार्च, 2020 यानी 2 साल से बंद है. लेकिन अब इस कंपनी की किस्मत बदलने लगी है. और लगभग दो साल बाद यह कंपनी खुलने को तैयार है. आइये जानते हैं कहां तक पहुंची है इसकी तैयारियां.

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सरकारी कंपनी की खुली किस्मत!

दरअसल, करीब दो साल से बंद पड़े सरकारी कंपनी नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) जैसे ही रतन टाटा के हाथों में गया कि इसकी किस्मत बदलने लगी है. टाटा स्टील के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर टीवी नरेंद्रन ने बताया कि नीलाचल इस्पात के कारखाने को अगले तीन महीने में शुरू करने का लक्ष्य है. यानी कंपनी अब जल्दी ही खुलेगी.

दो साल बाद शुरू होगा काम

मैनेजिंग डायरेक्टर टीवी नरेंद्रन ने बताया, ‘हम मौजूदा कर्मचारियों के साथ काम करने और करीब दो साल से बंद पड़े कारखाने को दोबारा से शुरू करने को तैयार हैं. हमें अगले तीन महीने में उत्पादन शुरू होने और अगले 12 महीने में स्थापित क्षमता प्राप्त कर लेने की उम्मीद है. यही नहीं, टाटा स्टील एनआईएनएल की क्षमता बढ़ाकर 50 लाख टन करने और इसके लिये जरूरी मंजूरी हासिल करने को लेकर भी कदम उठाएगी.’

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टाटा ने जीती थी बोली

गौरतलब है कि ओडिशा स्थित नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) को टाटा ग्रुप (Tata Group) की एक फर्म को सौंपा गया है. एक अधिकारी ने बताया कि टाटा स्टील की यूनिट टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स (टीएसएलपी) ने इस साल जनवरी में 12,100 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर एनआईएनएल में 93.71 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की बोली जीती थी. कंपनी ने जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड और जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड के एक गठजोड़ को पीछे छोड़ते हुए यह सफलता हासिल की थी. 

कर्ज से लदी है कंपनी 

बता दें कि नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड का कलिंगनगर, ओडिशा में 1.1 मीर्ट‍िक टन क्षमता वाला एक इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट है। यह सरकारी कंपनी भी भारी घाटे में चल रही है और यह प्लांट 30 मार्च, 2020 से बंद है. कंपनी पर 31 मार्च 2021 को 6,600 करोड़ रुपये से ज्‍यादा का कर्ज और देनदारियां हैं, इसमें प्रमोटरों का 4,116 करोड़ रुपये, बैंकों का 1,741 करोड़ रुपये अन्य लेनदारों और कर्मचारियों का भारी बकाया शामिल है.

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