अगर आप कोई कर्ज लें और उसे न चुका पाएं तो आपकी संपत्ति जब्त या कुर्क की जा सकती है. इसके बाद इसे बेचकर कर्ज की भरपाई की जाती है. हालांकि, पीएफ समेत ऐसी कई स्कीम्स हैं जिसमें जमा पैसे को कर्जदाता हाथ नहीं लगा सकते.
हाइलाइट्स
कर्ज की भरपाई के लिए कुर्क नहीं हो सकती पीएफ खाते में जमा राशि.
ईपीएफ के साथ-साथ कई अन्य स्कीम्स में राशि को प्राप्त है कानूनी सुरक्षा
संपत्ति कुर्क होने पर आप उसे बेच या इस्तेमाल नहीं कर सकते.
नई दिल्ली. अगर आप कोई कर्ज लेते हैं और उसे नहीं चुका पाते तो कर्जदाता आपकी संपत्ति जब्त कर उस नुकसान की भरपाई कर सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नौकरीपेशा लोगों के पास ऐसी संपत्ति भी होती है जिसे ऐसी किसी भी कुर्की से कानूनी सुरक्षा प्राप्त है. हम बात कर रहे हैं भविष्य कर्मचारी निधि (ईपीएफ) की.
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किसी भी आर्थिक आपातकाल की स्थिति में कर्ज की भरपाई के लिए इसे जब्त नहीं किया जा सकता है. ईपीएफ व एमपी एक्ट 1952 के सेक्शन 10 के तहत इसे कानूनी सुरक्षा प्राप्त है. इसलिए इसे कुर्क नहीं किया जा सकता है. संपत्ति कुर्क होने का मतलब है कि आप उसे न इस्तेमाल कर पाएंगे और न ही बेच पाएंगे. हालांकि, केवल ईपीएफ ही नहीं है जिसे ऐसी सुरक्षा मिली है. कई अन्य स्कीम्स के तहत जमा राशि को भी कुर्क नहीं किया जा सकता है. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.
ईपीएफओ
कर्मचारी भविष्य निधि और कर्मचारी पेंशन स्कीम उपरोक्त सेक्शन के तहत सुरक्षित हैं. ईपीएफ में नियोक्ता और कर्मचारी बेसिक सैलरी और डीए का 12-12 फीसदी योगदान करते हैं. इसे सामाजिक सुरक्षा का महत्वपूर्ण घटक माना जाता है इसलिए इसे कानूनी सुरक्षा दी गई है. गौरतलब है कि ईपीएफ की सुविधा संगठित क्षेत्र में कार्यरत लोगों को ही मिलती है. आपका नियोक्ता भी पीएफ खाते से आपके द्वारा किए गए किसी नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता है.
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पीपीएफ
सरकारी बचत बैंक अधिनियम 1873 के सेक्शन 14ए के तहत पीपीएफ खाते में जमा राशि को कानूनी सुरक्षा प्राप्त है. इसमें हर भारतीय नागरिक निवेशक कर सकता है. आप पीपीएफ में साल के 500 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. पीपीएफ पर 8 फीसदी का वार्षिक ब्याज मिलता है.
एनपीएस
नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) की राशि को पेंशन फंड रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सेक्शन 6ए के तहत कानूनी सुरक्षा प्राप्त है. इसे वृद्धावस्था के लिए महत्वपूर्ण सेविंग स्कीम के रूप में देखा जाता है.
जीवन बीमा
आपकी जीवन बीमा पॉलिसी को भी कुर्क नहीं किया जा सकता है. इसे कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर, 1908 के तहत सुरक्षा प्रदान है. इसके अलावा वैवाहिक महिला संपत्ति अधिनियम के सेक्शन 6(1) के तहत ली गई पॉलिसी को दोहरी सुरक्षा मिलती है. इसका मतलब है कि अगर आपकी जीवन बीमा पॉलिसी में पत्नी और बच्चे लाभार्थी हैं तो इसे उनकी संपत्ति माना जाएगा.