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RBI Monetary policy: विदेशी मुद्रा भंडार में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश, जानें आरबीआई गवर्नर ने FDI पर क्या कहा

RBI Monetary policy: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा है. उन्होंने कहा कि यह भंडार भारत को आर्थिक ग्लोबल उठा-पटक से बचाने को लेकर आश्वस्त करता है. मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा के दौरान शुक्रवार को गवर्नर ने कहा कि 29 जुलाई 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (India’s foreign exchange reserves)  $573.9 अरब पर रहा. बता दें पिछले चार हफ्ते से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी दर्ज की गई है. इससे पहले  22 जुलाई तक के सप्ताह में, विदेशी मुद्रा भंडार और $1.152 बिलियन कम हो गया था. 

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एफडीआई पर क्या कहा

दास ने RBI Monetary policy के मौके पर कहा कि पहली तिमाही में 13.6 बिलियन डॉलर का शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) Q1 FY22 में 11.6 बिलियन डॉलर की तुलना में मजबूत रहा.पीटीआई की खबर के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश, 2022-23 की पहली तिमाही के दौरान एग्जिट मोड में रहने के बाद, जुलाई 2022 में पॉजिटिव हो गया. दास ने कहा कि जुलाई में किए गए कई दूसरे उपायों के साथ,रिज़र्व बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves) का भी उपयोग किया है जो कि एक्सचेंज रेट में अस्थिरता को रोकने के लिए सालों से जमा हुआ है.

रुपये पर है आरबीआई का ध्यान

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रुपये के लगातार कमजोर होने के मुद्द पर दास ने कहा कि भारतीय रुपये का मूल्यह्रास भारतीय अर्थव्यवस्था के व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे में कमजोरी के बजाय अमेरिकी डॉलर में मजबूती के चलते है.शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 46 पैसे बढ़कर 78.94 पर पहुंच गया. आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि वे सतर्क हैं और भारतीय रुपये की स्थिरता बनाए रखने पर फोकस्ड हैं. आरबीआई (RBI)की तरफ से मार्केट में हस्तक्षेप से जारी अस्थिरता को कंट्रोल करने और रुपये की व्यवस्थित आवाजाही सुनिश्चित करने में मदद मिली है.

एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी देखी गई

भारत के एक्सटर्नल सेक्टर ने हाल ही में दुनियाभर में आई आर्थिक उठा-पटक का सामना किया है. अप्रैल-जुलाई 2022 में व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है. जबकि वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के चलते व्यापारिक आयात रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. इसके अलावा, डेटा से संकेत मिलता है कि वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद सेवाओं के निर्यात,विशेष रूप से आईटी सेवाओं की मांग पहली तिमाही में तेज रही.

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