भारतीय कंपनी जी एंटरटेनमेंट और जापान की सोनी के विलय में और देरी हो सकती है. प्रतिस्पर्धा आयोग ने अपनी शुरुआती जांच में पाया है कि दोनों कंपनियां बाजार की प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचा सकती हैं. आयोग ने नोटिस भेजकर इस मामले पर कंपनियों का पक्ष मांगा है और संतुष्ट न होने पर और जांच करने की बात कही है.
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नई दिल्ली. जापान की कंपनी सोनी (Sony) और भारतीय कंपनी जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) के विलय से भारत के घरेलू बाजार को नुकसान पहुंच सकता है. यह चिंता भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने अपनी प्रारंभिक समीक्षा रिपोर्ट में जताई है.
सीसीआई ने कहा, सोनी और जी एंटरटेनमेंट के विलय के बाद 10 अरब डॉलर का बड़ा टीवी इंटरप्राइज खड़ा होगा , जो सौदेबाजी की असीम शक्ति के चलते बाजार की प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचा सकता है. न्यूज एजेंसी रॉयटर ने एक आधिकारिक नोटिस के हवाले से यह खबर दी है. सीसीआई ने 3 अगस्त को दोनों कंपनियों को जारी नोटिस में कहा है कि नियामक को इस मामले में और जांच करने की जरूरत है.
सोनी और जी ने बीते साल दिसंबर में किया था कि दोनों कंपनियों के टीवी चैनल, फिल्म संपत्तियों और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स का विलय कर एक मजबूत और बड़ा नेटवर्क तैयार किया जाए. यह फैसला भारत के 1.4 अरब जनसंख्या वाले देश में बढ़ते मनोरंजन कारोबार को देखते हुए किया गया, ताकि वाल्ट डिज्नी जैसी दिग्गज कंपनियों से टक्कर ली जा सके.
डील में हो सकती है देरी
सीसीआई के इस ताजा खुलासे के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि अब सोनी और जी की डील पूरी होने में देरी हो सकती है, क्योंकि इस विलय को नियामकीय मंजूरी मिलने में अभी कुछ वक्त लग सकता है. मामले से जुड़े कानूनी जानकारों का कहना है कि भारतीय नियामक एजेंसियां दोनों कंपनियों को अपने ढांचे में बदलाव के लिए भी दबाव डाल सकती हैं.
अगर दोनों कंपनियां सीसीआई को संतुष्ट नहीं कर सकीं तो उन्हें अप्रूवल मिलने में संकट आ सकता है और जांच प्रक्रिया भी लंबी चल सकती है. जी ने कहा कि वह जरूरी अप्रूवल पाने के लिए कानून के तहत सभी कदम उठाएगी, ताकि विलय प्रक्रिया को पूरा किया जा सके.
क्यों सजग हुआ सीसीआई
प्रतिस्पर्धा आयोग ने अपनी 21 पेज की नोटिस में कहा है कि शुरुआती जांच यह बताती है कि प्रस्तावित डील के बाद बाजार में एक बेहद मजबूत वेंचर खड़ा होगा, जो अन्य कंपनियों की प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचा सकता है. इस डील से देश में 92 चैनल का अकेला नेटवर्क तैयार होगा, जबकि इसे सोनी के 86 अरब डॉलर के ग्लोबल रेवेन्यू और 211 अरब डॉलर के एसेट का भी सहारा मिलेगा. ऐसे में हो सकता है कि नया वेंचर अपने चैनल की कीमतें बढ़ा दे और अन्य प्रतिस्पर्धियों पर भी दाम बढ़ाने का दबाव आए.
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सीसीआई ने दोनों कंपनियों को नोटिस का जवाब देने के लिए 30 दिन का समय दिया था. अगर उनके जवाब से सीसीआई संतुष्ट नहीं होता है तो मामले में आगे भी पूछताछ की जा सकती है. इससे पहले जी के प्रबंध निदेशक पुनीत गोयनका ने एक इंटरव्यू में कहा था कि यह डील करीब 10 अरब डॉलर की होगी, जिसके अक्तूबर, 2022 तक पूरी होने की उम्मीद है.