सरकारी बैंकों में नौकरी की आस लगाए युवाओं के लिए अच्छी खबर है। सरकारी बैंकों में बंपर नौकरियां मिल सकती हैं। सरकार इनमें खाली पड़े पदों को भरने की तैयारी में है। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने बुधवार को सरकारी बैंकों के प्रमुखों की बैठक बुलाई है। इसमें इन बैंकों में कर्मचारियों की संख्या की समीक्षा की जाएगी और उनसे मंथली रिक्रूटमेंट प्लान मांगा जाएगा। पिछले 10 साल में देश में बैंक शाखाओं की संख्या में 28 फीसदी तेजी आई है लेकिन कर्मचारियों की संख्या उस तेजी से नहीं बढ़ी है। बैंकरों का कहना है कि खासकर ब्रांच लेवल पर स्टाफ की भारी कमी है।
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प्राइवेट बैंकों के ज्यादातर ब्रांच शहरी क्षेत्रों में हैं और उनके ग्राहक ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पसंद करते हैं। दूसरी ओर सरकारी बैंकों की अधिकतम शाखाएं ग्रामीण इलाकों में हैं। यहां तक की शहरी इलाकों में भी इन बैंकों के ज्यादातर ग्राहक बैंकिंग से जुड़े किसी भी काम के लिए ब्रांच जाना पसंद करते हैं। लेकिन सरकारी बैंकों में स्टाफ की भारी कमी है। खासकर क्लेरिकल लेवल पर स्टाफ की भारी कमी है।
शाखाएं बढ़ीं कर्मचारी घटे
पिछले दस साल में सरकारी बैंकों की ब्रांचेज की संख्या 28 फीसदी बढ़ी है जबकि स्टाफ की संख्या में कमी आई है। ट्रांजैक्शन के लिए डिजिटल टूल्स और एटीएम का इस्तेमाल बढ़ने से खासकर क्लेरिकल और सबऑर्डिनेट स्टाफ की संख्या में कमी आई है। मार्च 2021 के अंत में पूरे देश में सरकारी बैंकों की 86,311 शाखाएं थीं। साथ ही देश में करीब 1.4 लाख एटीएम थे। एक दशक पहले देश में सरकारी बैंकों की शाखाएं 67,466 थी जबकि एटीएम की संख्या 58,193 थी।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 2010-11 में सरकारी बैंकों में कर्मचारियों की संख्या 7.76 लाख थी जो 2020-21 में 7.71 लाख रह गई। बैंकिंग सेक्टर में अधिकारियों की संख्या में 26 फीसदी इजाफा हुआ है जबकि क्लर्क और जूनियर स्टाफ की संख्या में भारी कमी आई है। टेक्नोलॉजी के विस्तार से इन कर्मचारियों की संख्या में कमी आई है। साथ ही इन श्रेणियों में भर्तियां भी कम हुई हैं।
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10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी
वित्त मंत्रालय ऐसे समय यह कदम उठा रहा है जबकि सरकार का जोर रोजगार बढ़ाने पर है। जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2023 तक 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का टारगेट रखा है। उन्होंने हर विभाग से इस बारे में एक्शन प्लान तैयार करने को कहा है। इस बीच फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा भी बैंकरों से मिलकर उनसे एक्शन प्लान मांगेगे। हाल में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा था कि स्थानीय भाषा की जानकारी रखने वाले लोगों को बैंकों में फ्रंट डेस्क संभालने की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। इस बारे में बैंकों ने अभी तक प्लान नहीं बनाया है।