नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि 31 दिसंबर 2021 तक कोई भी Bank Account खाताधारक की KYC अपडेट न होने के कारण Freeze नहीं किया जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) और भुगतान प्रणाली परिचालक आधार ई-केवाईसी सत्यापन लाइसेंस (Aadhaar E kyc Verification) के लिए केंद्रीय बैंक के पास आवेदन कर सकते हैं। मई, 2019 में वित्त मंत्रालय ने बैंकिंग कंपनियों को छोड़कर अन्य इकाइयों द्वारा आधार सत्यापन सेवाओं के इस्तेमाल के लिए आवेदन को विस्तृत प्रक्रिया जारी की थी।
आधार ईकेवाईसी वेरिफिकेशन
रिजर्व बैंक की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि एनबीएफसी, भुगतान प्रणाली परिचालरक और भुगतान प्रणाली भागीदार आधार सत्यापन लाइसेंस-केवाईसी प्रयोगकर्ता एजेंसी (केयूए) लाइसेंस या उप-केयूए लाइसेंस के लिए विभाग को आवेदन कर सकते हैं जिसे आगे यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के पास भेजा जाएगा।
Sandbox योजना
इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कहा है कि नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ योजना के तहत छह इकाइयों ने ‘पहले समूह’ का परीक्षण चरण पूरा कर लिया है। इसका विषय खुदरा भुगतान है। उनके उत्पादों को नियामकीय इकाइयों द्वारा स्वीकार्यता के लिए व्यावहारिक माना गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इन इकाइयों के उत्पाद मुख्य रूप से ऑफलाइन डिजिटल भुगतान, प्रीपेड कार्ड, संपर्करहित भुगतान और वॉयस आधारित यूपीआई से संबंधित हैं।
नए प्रोडक्ट और सर्विस की टेस्टिंग
नियामकीय सैंडबॉक्स से सामान्य तौर पर तात्पर्य नियंत्रित/परीक्षण वाले नियामकीय माहौल में नए उत्पादों और सेवाओं के सीधे परीक्षण से होता है। इसमें नियामक कुछ रियायतों की अनुमति भी दे सकता है। पहले समूह में जिन इकाइयों के उत्पाद रिजर्व बैंक द्वारा तय निमयों के अनुकूल पाए गए हैं उनमें न्यूक्लियस सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट्स (पेसे), टैप स्मार्ट डेटा इन्फॉर्मेशन सर्विसेज (सिटीकैश), नैचुरल सपोर्ट कंसल्टेंसी सर्विसेज (आईएनडी-ई-कैश), नफा इनोवेशंस (टोन टैग), उबोना टेक्नोलॉजीज (भीम वॉयस) और ईरूट टेक्नोलॉजीज (सिम के जरिये ऑफलाइन भुगतान) शामिल हैं।