महंगाई और सुस्त विकास दर के बीच दुनिया में एक बार फिर मंदी पर चर्चा होने लगी है. कई एक्सपर्ट यह आशंका जता चुके हैं कि अमेरिका और यूरोपीय बाजारों से मंदी की आहट लग रही है. हालांकि, बात जब भारतीय बाजार की हो तो यहां मंदी का जोखिम न के बराबर दिखता है. अगर त्योहारी सीजन की बिक्री देखी जाए तो भारत में मंदी आने से पहले दो बार सोचेगी, क्योंकि इस एक महीने के सीजन में ही लाखों करोड़ रुपये का कारोबार हो चुका है.
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नई दिल्ली. महंगाई और बढ़ती ब्याज दरों के दोहरे दबाव के बीच आर्थिक विश्लेषक अब मंदी की आहट भी सुनने लगे हैं. तमाम रेटिंग एजेंसियों और विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका एक बार फिर दुनिया को मंदी की ओर धकेल सकता है. विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी संस्थाओं की मानें तो इस बार मंदी आने पर सबसे ज्यादा असर अमेरिका और यूरोप में होगा, जबकि भारत पर इसका असर काफी कम रहेगा.
अगर हम त्योहारी सीजन के बिक्री आंकड़े देखते हैं तो यह अनुमान बिलकुल सटीक दिखता है. सितंबर महीने के आखिर से शुरू हुए करीब सवा महीने लंबे त्योहारी सीजन ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए और सोना, मकान, वाहन सहित लगभग सभी क्षेत्रों में जबरदस्त बिक्री हुई है. नवरात्र की शुरुआत से ही वाहन कंपनियों के पास लगातार डिमांड आ रही है और सोने-चांदी की खरीदारी भी इस बार काफी बेहतर रही.
यहां मंदी आने से पहले दो बार सोचेगी
कमोडिटी एक्सपर्ट और केडिया एडवाइजरी के डाइरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि त्योहारी सीजन की बिक्री को देखकर लगता है कि भारत में मंदी आने से पहले दो बार सोचेगी. इस बार त्योहारी सीजन में बात चाहे सोने चांदी की हो या मकान और वाहन की, हर क्षेत्र में बिकवाली ने जोर पकड़ा है. सराफा और कारोबारी संगठनों ने इस साल करीब 30 फीसदी ज्यादा बिक्री का दावा किया है.
39 टन सोना एक दिन में बिका
इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन की मानें तो इस साल धनतेरस के दिन ही करीब 39 टन सोने के आभूषणों की बिक्री हुई है. इसका बाजार मूल्य करीब 19,500 करोड़ रुपये है. बड़ी बात ये है कि इस खरीदारी में सबसे ज्यादा हिस्सा देश के मध्य वर्ग का है. अगर पिछले साल से तुलना करें तो बिक्री में 30 फीसदी का उछाल आया है, वह भी तब जबकि इस साल कीमतें 5.2 फीसदी ज्यादा रहीं. अभी तक औसतन धनतेरस पर 20 से 30 टन सोने और उसके आभूषणों की ही बिक्री होती रही है.
गाडि़यों की बिक्री से खाली हो गए शोरूम
इस साल धनतेरस और दिवाली पर सिर्फ सोने-चांदी के गहने ही नहीं, बल्कि वाहनों की भी ताबड़तोड़ बिक्री हुई है. देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने बताया कि इस साल सितंबर तिमाही में 5 लाख से ज्यादा गाडि़यां बेची हैं. सिर्फ धनतेरस के दिन ही कंपनी ने 21 हजार से ज्यादा गाडि़यों की डिलीवरी दी है. वाहन उद्योग की मानें तो 26 सितंबर को नवरात्र शुरू होने के बाद 24 अक्तूबर तक यात्री वाहनों की बिक्री में 45 फीसदी का उछाल आया है. इस दौरान कंपनियों ने 4 लाख से ज्यादा यात्री वाहन बेचे जो पिछले साल महज 2.75 लाख थे. शो-रूम खाली हो गए हैं और मारुति जैसी कंपनियों के पास 1.5 लाख ऑर्डर पेंडिंग चल रहे हैं.
दिवाली पर ऑफलाइन बिक्री 40 फीसदी बढ़ी
देशभर में खुदरा कारोबारियों के सबसे बड़े संगठन कैट ने एक शोध में बताया कि इस साल दिवाली पर खुदरा सामानों की बिक्री का आंकड़ा रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. इस साल दिवाली के आसपास ऑफलाइन ट्रेड करीब 1.75 लाख करोड़ रुपये का रहा है. यह पिछले साल से 40 फीसदी अधिक है, क्योंकि तब बिक्री का आंकड़ा 1.25 लाख करोड़ रुपये का था. इस साल धनतेरस के दिन ही कुल मिलाकर 45 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है.
96 हजार करोड़ की ऑनलाइन सेल भी
इस साल त्योहारी सीजन में ऑफलाइन बाजार के साथ ई-कॉमर्स कंपनियों ने भी अपनी बिक्री में जबरदस्त तेजी दर्ज की है. कनाडा की मल्टीनेशनल ई-कॉमर्स कंपनी Shopify ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों ने इस साल त्योहारी सीजन में 11.8 अरब डॉलर (करीब 96 हजार करोड़ रुपये) के सामानों की बिक्री की है. यह पिछले साल की तुलना में 28 फीसदी ज्यादा है. आलम ये रहा है कि इस साल अक्तूबर के पहले सप्ताह में ही ऑनलाइन सेल 5.9 अरब डॉलर पहुंच गई थी.
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मकानों की बिक्री ने भी तोड़े रिकॉर्ड
सिर्फ कार, जूलरी व इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंस ही नहीं इस साल त्योहारी सीजन में मकानों की भी जमकर बिक्री हुई है. डेवलपर्स का कहना है कि दिवाली के त्योहारी सीजन में मकानों की बुकिंग में तेज उछाल आया है और जनवरी, 2023 तक पोंगल का त्योहार होने तक इसमें तेजी कायम रह सकती है. इससे पहले हाउसिंग कंसल्टेंसी फर्म एनारॉक ने भी बताया था कि साल 2022 में देश के टॉप 7 शहरों में कुल 3.6 लाख मकानों की बिक्री हुई है, जो बीते आठ साल का रिकार्ड है. इससे पहले साल 2014 में 3.43 लाख मकानों की बिक्री हुई थी. साल के शुरुआती 9 महीनों में ही दिल्ली-एनसीआर और मुंबई जैसे क्षेत्रों में कुल 1,30,450 मकानों की बिक्री हुई है.