शेयरों की बिक्री से हासिल होने वाली राशि का इस्तेमाल कर्ज चुकाने, मैसूर एवं मानेसर स्थित विनिर्माण संयंत्रों के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर की फंडिंग और वर्किंग कैपिटल जुटाने में किया जाएगा.
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नई दिल्ली. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कंपनी केंस टेक्नोलॉजी इंडिया लिमिटेड (केटीआईएल) का आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) 10 नवंबर को खुलेगा. बाजार नियामक सेबी के पास जमा दस्तावेजों के मुताबिक, यह आईपीओ 14 नवंबर को बंद होगा. एंकर निवेशक 9 नवंबर को शेयरों के लिए बोली लगा सकेंगे. केंस टेक्नोलॉजी आईपीओ के तहत 530 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करेगी.
इसके अलावा प्रमोटर्स एवं एक मौजूदा शेयरधारक 55.85 लाख इक्विटी शेयरों की बिक्री पेशकश भी करेंगे. इनमें प्रवर्तक रमेश कुनीकन्नन के 20.84 लाख शेयर भी शामिल होंगे. नए शेयरों की बिक्री से हासिल होने वाली राशि का इस्तेमाल कर्ज चुकाने, मैसूर एवं मानेसर स्थित विनिर्माण संयंत्रों के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर की फंडिंग और वर्किंग कैपिटल जुटाने में किया जाएगा. इसके अलावा कंपनी कर्नाटक के चमराजनगर में एक विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए भी पैसों का इस्तेमाल करेगी.
क्या करती है कंपनी
केंस टेक्नोलॉजी इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) पर आधारित एकीकृत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कंपनी है. इसके देशभर में कुल आठ उत्पादन संयंत्र हैं. ये ऑटोमोटिव, इंडस्ट्रियल, एयरोस्पेस व डिफेंस, आउटर स्पेस, न्यूक्लियर, मेडिकल, रेलवे, आईओटी, आईटी समेत अन्य क्षेत्रों में कंसेप्चुअल डिजाइन, प्रोसेस इंजीनियरिंग, इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग और लाइफ साइकल सपोर्ट मुहैया कराती है.
क्या है इंटरनेट ऑफ थिंग्स का मतलब?
इंटरनेट ऑफ थिंग्स में फिजिकल ऑब्जेक्ट्स (थिंग्स) को सेंसर, सॉफ्टवेयर या अन्य टेक्नोलॉजी से लैस किया जाता है. इससे वे दूसरे डिवाइस व सिस्टम के साथ कनेक्ट करती हैं और डाटा का एक्सचेंज करती हैं. इसमें एक नेटवर्क के जरिए डाटा ट्रांसफर होता है और ह्यूमन से ह्यूमन या फिर ह्यूमन से कंप्यूटर का संवाद नहीं होता है.
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क्या होता है आईपीओ
आईपीओ का मतलब है Initial Public Offering यानी सार्वजनिक आरंभिक निर्गम. जब कोई कंपनी पहली बार आम लोगों में अपने शेयर को पहुंचाती है तो इसे IPO कहते हैं. देश में अगर किसी प्राइवेट या सरकारी कंपनी को फंड की जरूरत होती है तो वह लोगों के पास अपने शेयर लेकर जाती है. इसे निवेशकों द्वारा खरीदा जाता है और वे कंपनी के हिस्सेदार हो जाते हैं. मार्केट में लिस्ट होने वाली कंपनी के फैसलों की जानकारी उसके आम निवेशकों को भी दी जाती है. शेयर बाजार में लिस्ट हुई कंपनी के शेयरों में खरीद-बिक्री की जा सकती है.