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धर्म

कैसे हुआ सप्ताह के सात दिनों का नामकरण? जानें नवग्रहों से क्या है संबंध

हिंदू धर्म में नवग्रह सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु का उल्लेख मिलता है. सप्ताह के प्रत्येक दिन का अपना महत्व होता है. प्रत्येक देवता की पूजा के लिए ए क विशेष दिन निर्धारित है.

Days Interesting Facts: हिंदू धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन का महत्व बताया गया है. देवी-देवताओं की पूजा से लेकर शुभ कार्य व जीवन से जुड़े कुछ कार्यों को विशेष दिन से जोड़ा गया है. जैसे सप्ताह में सात दिन होते हैं, जिसमें सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. उसी तरह सभी देवता की पूजा के लिए एक विशेष दिन निर्धारित है. धार्मिक ग्रंथों में भी कुछ कार्य किसी विशेष दिन करने का उल्लेख मिलता है. ऐसे में सवाल आता है कि आखिर किस प्रकार से सप्ताह के सातों दिनों का नामकरण हुआ. तो चलिए जानते हैं सप्ताह के दिनों से जुड़ी कुछ रोचक बातें.

नौ ग्रहों के आधार पर सातों दिन
ग्रंथ पुराणों में ब्रह्मांड के नौ ग्रहों सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि इन्हीं नौ ग्रहों के नाम से सप्ताह के सातों दिनों का नामकरण हुआ है. जैसे सूर्य के नाम पर रविवार, चंद्रमा के नाम पर सोमवार, मंगल के नाम पर मंगलवार, बुध के नाम पर बुधवार, बृहस्पति के नाम पर गुरुवार, शुक्र के नाम पर शुक्रवार और शनि के नाम पर शनिवार.

राहु और केतु ग्रहों को मंगल और शनि का छाया ग्रह माना जाता है, इसलिए इन्हें मंगल और शनि के साथ ही जोड़ा जाता है. पश्चिमी देशों में नए दिन की शुरुआत रात के 12 बजे से होती है, लेकिन हमारे देश में नए दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है.

प्रत्येक देवता को समर्पित विशेष दिन
वैदिक साहित्य और धर्म की दृष्टि से दिनों के नाम का अपना महत्व है. संस्कृत भाषा में प्रत्येक ग्रह के नाम के आगे वार या वासर शब्द का इस्तेमाल कर सप्ताह के दिनों का नाम रखा गया. धर्म की दृष्टि से प्रत्येक दिन किसी देवता की आराधना के लिए निर्धारित है.

जैसे- रविवार को सूर्य देव की पूजा की जाती है, उसी तरह सोमवार को शिव जी, मंगलवार को हनुमान जी, बुधवार को गणेश जी, गुरुवार को बृहस्पति जी, शुक्रवार को देवी लक्ष्मी और शनिवार को शनि देव जी की पूजा करने का प्रावधान है. मान्यता है कि किसी भी व्यक्ति के प्रतिदिन के काम उसके जन्मराशि और ग्रह स्वामी से प्रभावित होते हैं और उसी के अनुसार व्यक्ति को फल भी प्राप्त होता है.

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