भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हाजिर जवाबी के मुरीद पाकिस्तान में भी हैं। उनका बेबाक रवैया हर किसी को आकर्षित करता है, वो चाहे भारतीय हों या दुनिया के किसी और देश के लोग। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए फिर से अपनी बेबाकी से दुनिया को मुरीद बना लिया है। पत्रकारों के सवालों के जवाब देने के सत्र में एक पाकिस्तानी पत्रकार ने जयशंकर से एक प्रश्न पूछा। पाकिस्तानी पत्रकार का सवाल दक्षिण एशिया में आतंकवाद को लेकर था। भारतीय विदेश मंत्री ने इस सवाल का अग्नि-5 मिसाइल जैसी मारक क्षमता वाला जवाब दिया। आइए जानते हैं कि पाकिस्तानी पत्रकार ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से पूछा क्या था और उसे क्या जवाब मिला।
पाकिस्तानी पत्रकार ने आतंकवाद पर फेंकी गुगली
संयुक्त राष्ट्र के मंच से इतर जब भारतीय विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी, तभी पाकिस्तानी पत्रकार ने बड़ी चतुराई से भारत को आतंकवाद का मूल स्रोत बताने की कोशिश की। उसने कहा, ‘दक्षिण एशिया को कब तक यह आतंकवाद झेलना पड़ेगा जो नई दिल्ली, काबुल और पाकिस्तान से फैल रहा है?’ इस प्रश्न पर गौर करेंगे तो पाकिस्तानी पत्रकार ने आतंकवाद फैलाने वालों की लिस्ट में न केवल नई दिल्ली को शामिल कर दिया बल्कि इसे सबसे ऊपर रखा। वह कश्मीर पर भी सवाल करना चाह रहा था, लेकिन जयशंकर ने उसके एजेंडे को समझ लिया। उन्होंने कहा कि पहले वो आतंकवाद पर जवाब ले ले। जयशंकर ने पाकिस्तानी पत्रकार से कहा कि उसे आतंकवाद पर पाकिस्तान के मंत्री से सवाल करना चाहिए, न कि भारत के मंत्री से। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए जितनी भी कोशिशें कर ले, लेकिन दुनिया अब बहकावे में नहीं आने वाली क्योंकि सबको पता चल चुका है कि आतंकवाद की जननी कौन है।
जयशंकर ने पाकिस्तानी पत्रकार को दिया करारा जवाब
जयशंकर बोले, ‘आपको पता होना चाहिए कि आप गलत मंत्री से पूछ रहे हैं कि आखिर यह कब तक चलेगा। आपको पाकिस्तान के मंत्री से यह पूछना चाहिए क्योंकि वही बता सकते हैं कि पाकिस्तान कब तक आतंकवाद का सहारा लेता रहेगा। आखिरकार दुनिया मूर्ख नहीं है और न कुछ भूलती है। दुनिया आंतकवाद में संलिप्त देशों, संगठनों और लोगों की पहचान अच्छे से कर लेती है। आप चर्चा को नए-नए मोड़ देकर आतंकवाद पर पर्दा डालने में सफल नहीं हो सकते। आप किसी को अब उलझाए नहीं रख सकते हैं। लोगों ने ठीक से समझ लिया है कि आतंकवाद का गढ़ कहां है। इसलिए मेरी सलाह तो यह है कृपया ढंग के काम करें और अच्छा पड़ोसी बनने की कोशिश करें, कृपया वो करें जो आज दुनिया कर रही है- आर्थिक विकास, प्रगति, विकास। आशा करता हूं कि आपके चैनल के जरिए यह संदेश वहां (पाकिस्तान को) पहुंच जाएगा।’
आतंकवाद पर पाकिस्तान की फिर खुली पोल
इससे पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि दुनिया पाकिस्तान को आतंकवाद के केन्द्र के रूप में देखती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दो साल के कोविड-19 महामारी के दौर के बावजूद वैश्विक समुदाय यह नहीं भूला है कि आतंकवाद की इस बुराई की जड़ कहां है। जयशंकर ने ‘यूएनएससी ब्रीफिंग: ग्लोबल काउंटर टेररिज्म अप्रोच: चैलेंज एंड वे फॉरवर्ड’ विषय पर हुई चर्चा की अध्यक्षता की। विदेश मंत्री ने कहा, ‘वे जो कुछ भी कह रहे हों, सच्चाई यह है कि सभी लोग, पूरी दुनिया आज उन्हें आतंकवाद के केन्द्र के रूप में देखती है।’
कोविड में ध्यान भटका, लेकिन हम पाकिस्तान के पाप को भूले नहीं: जयशंकर
जयशंकर ने कहा, ‘मुझे पता है कि हम ढाई साल से कोविड से जूझ रहे हैं और इस कारण यादें थोड़ी धुंधली हो गई हैं। लेकिन मैं आपको आश्वासन देता हूं कि दुनिया यह नहीं भूली है कि आतंकवाद शुरू कहां से होता है और क्षेत्र में तथा क्षेत्र से बाहर तमाम गतिविधियों पर किसकी छाप नजर आती है।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए, मैं कहूंगा कि किसी भी तरह की कल्पना में जीने से पहले उन्हें खुद को यह बात याद दिलानी चाहिए।’ जयशंकर पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार के हालिया आरोप पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। खार ने आरोप लगाया था कि ‘आतंकवाद का इस्तेमाल भारत से बेहतर अन्य किसी देश ने नहीं किया है।’
लादेन को पनाह देने वाले ज्ञान न दे- पाकिस्तान को खरी-खरी
विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दा उठाने पर भी पाकिस्तान को कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जिस देश ने अल कायदा के पूर्व सरगना ओसामा बिन लादेन को सुरक्षित पनाहगाह दी और पड़ोसी देश की संसद पर हमला किया उसे यूएन की इस शक्तिशाली संस्था में उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। सुरक्षा परिषद में संशोधित बहुपक्षवाद पर चर्चा के दौरान जब भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज अध्यक्षता कर रही थीं, तो पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कश्मीर मुद्दा उठाया था। बिलावल ने कहा था कि कश्मीर का मुद्दा अब भी सुलझा नहीं है। अगर आप (भारत) बहुपक्षवाद की सफलता देखना चाहते हैं तो कश्मीर के मुद्दे पर आप UNSC के प्रस्ताव को लागू करने की अनुमति दे सकते हैं। साबित करें कि आपकी (भारत की) अध्यक्षता में UNSC हमारे क्षेत्र (कश्मीर) में शांति ला सकता है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद, संघर्ष, कोरोना महामारी और जलवायु परिवर्तन हमारे समय की प्रमुख चुनौतियां हैं। संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता इन चुनौतियों से जुड़े प्रभावी जवाब पर निर्भर करती है। आज हमारा ध्यान बहुपक्षवाद में सुधार की जरूरत पर केंद्रित है। हम जब सबसे अच्छा समाधान की खोज करते हैं तो हमें अपनी बातों से कभी भी इस तरह के खतरों का सामान्यीकरण नहीं करना चाहिए। दुनिया जिसे अस्वीकार्य मानती है, उसे सही ठहराने का सवाल ही नहीं उठना चाहिए। यह सरकार प्रायोजित सीमापार आतंकवाद पर भी लागू होता है।
जयशंकर ने अमेरिका में 9/11 हमलों के मास्टरमाइंड बिन लादेन का जिक्र किया, जो पाकिस्तान के एबटाबाद में रह रहा था और मई 2011 में अमेरिकी मरीन्स की कार्रवाई में मारा गया। साथ ही, भारत की संसद पर 2001 में हुए आतंकी हमले की बात कही, जिसे पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। जयशंकर ने कहा कि दुनिया आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष कर रही है और ऐसे दौर में कुछ लोग आतंकी हमलों को अंजाम देनेवालों, साजिश रचने वालों को सही ठहरा रहे हैं। उन्हें बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। जयशंकर सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता के तहत आतंकवाद और संशोधित बहुपक्षवाद पर दो कार्यक्रमों की अध्यक्षता करने न्यूयॉर्क पहुंचे हैं।