सनातन धर्म में भगवान शिव के अनेक भक्त हैं. जो अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए कई जतन करते हैं. भारत देश में 12 अलग-अलग जगहों पर 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है. जो सनातन धर्म में विशेष महत्व रखते हैं. इन्हीं में से एक है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग. जिससे जुड़े कई रोचक तथ्य हैं.
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Ghrishneshwar Jyotirlinga: हिंदू धर्म में भगवान शिव पर आस्था रखने वाले सभी भक्तों के लिए भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग का अपना एक अलग महत्व है. इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग. मान्यताओं के अनुसार इन 12 ज्योतिर्लिंगों में भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर दर्शन दिए थे. इसके बाद इन 12 जगहों में 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई. भारतवर्ष के इन सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं. इन सभी मंदिरों में सावन के महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्तों की भारी भीड़ आती है.
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे अंतिम ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. आज हमें ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ रोचक तथ्य.
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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी रोचक बातें
-भारतवर्ष के इतिहास से पता चलता है कि भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर का पुनर्निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. इसके अलावा इस मंदिर से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर एलोरा की विश्व प्रसिद्ध गुफाएं भी मौजूद है.
-हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से सुख और संतान की प्राप्ति होती है. इस मंदिर में तीन द्वार हैं और गर्भगृह के सामने एक बड़ा सा मंडप है. जिसे सभा मंडप कहा गया है. यह मंडप पाषाण स्तंभों पर आधारित है. इन स्तंभों पर सुंदर चित्रण और नक्काशी की हुई है. सभा मंडप में नंदी की मूर्ति भी स्थापित है.
-हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार घुश्मा नामक युवती की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे यहां दर्शन दिए थे और संतान सुख का वरदान भी दिया था. माना जाता है कि यहां निसंतान जोड़ों की संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है.
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-घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के मंदिर का व्यास 240×185 फीट में बना हुआ है. मान्यताओं के अनुसार यह भारत का सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग भी माना गया है. इसके अलावा इस मंदिर में भगवान विष्णु के 10 अवतार का चित्रण भी मिलता है. मंदिर का मुख्य प्रांगण 24 दिनों में बनाया गया है. इन पदों पर प्राचीन समय के शिलालेख और हस्त नीतियां दिखाई पड़ती हैं. इस मंदिर का गर्भ ग्रह 17×17 फीट में फैला हुआ है और इसके सामने नंदीश्वर की मूर्ति भी विराजमान है.