FSSAI Report on Food Supplements: फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश में करीब 15 फीसदी प्रोटीन पाउडर और फूड सप्लीमेंट्स सुरक्षित नहीं हैं. FSSAI के मुताबिक इनका सेवन करने वाले लोग अपने दिल, किडनी और लिवर को बीमार कर रहे हैं.
Nagative Impact of Food Supplements: क्या आप भी अपने शरीर में न्यूट्रिशन और प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए सप्लीमेंट फूड का सहारा लेते हैं? अगर हां तो सावधान हो जाइए. फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश में करीब 15 फीसदी प्रोटीन पाउडर और फूड सप्लीमेंट्स सुरक्षित नहीं हैं. FSSAI के मुताबिक इनका सेवन करने वाले लोग अपने दिल, किडनी और लिवर को बीमार कर रहे हैं. दरअसल, सेफ्टी स्टैंडर्ड टेस्टिंग के लिए FSSAI ने 2021-22 के दौरान 1.5 लाख डायटरी सप्लीमेंट्स के सैंपल्स लिए थे, जिनमें से करीब 4890 सैंपल्स सेहत के लिए सही नहीं पाए गए हैं.
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ये चौंकाने वाले आंकड़े हैं. क्योंकि भारत की ज्यादातर युवा आबादी जिम जाती है और बॉडी बनाने के लिए इन फूड सप्लीमेंट्स का सहारा लेती है. इसके अलावा जो फिटनेस फ्रीक अपनी डाइट में न्यूट्रिशन को शामिल नहीं कर पाते हैं, वे इन सप्लीमेंट्स का सहारा लेते हैं. अब आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि आखिर फूड सप्लीमेंट्स हैं क्या और इनमें ऐसा क्या है जो आपके हार्ट, लिवर और किडनी को बीमार कर सकता है? दरअसल, न्यूट्रिएंट्स हम भोजन में नहीं ले पाते, शरीर में उनकी कमी पूरा करने के लिए पाउडर या टैबलेट के फॉर्म में डायटरी सप्लीमेंट्स लिए जाते हैं.
क्यों जानलेवा साबित हो सकते हैं सप्लीमेंट्स?
ये डायटरी सप्लीमेंट्स विटामिन, मिनरल्स, जड़ी-बूटी, एंजाइम्स, एमिनो एसिड्स हो सकते हैं. ऐसे में हमने स्किल इंडिया के मास्टर ट्रेनर और अमेरिका के FDA में न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर चुके भारत के एकमात्र स्पोर्ट्स न्यूट्रीशनिस्ट अंकित सिंह सुक्लेचा से जानना चाहा कि आखिर कैसे ये प्रोडक्ट एक गलत मात्रा और गलत जानकारी के साथ दिए जा रहे हैं, जो न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहे हैं, बल्कि जानलेवा भी साबित होते हैं. अंकित ने हमें बताया कि कैसे हमारे शरीर में एमिनो एसिड्स खुद से बनता है, लेकिन कई सप्लीमेंट्स फूड में इसकी मात्रा भी शामिल होती है. उन्होंने कहा कि सही जानकारी प्रोडक्ट पर न लिखी होने के कारण लोग इसका कई बार ज्यादा इस्तेमाल कर लेते हैं और ये सीधा लिवर पर अटैक करता है. अंकित ने हमें बताया कि डायटरी सप्लीमेंट इंडस्ट्री को भी सेल्फ रेगुलेशन की जरूरत है.
हार्ट अटैक के मामले बढ़ने के पीछे सप्लीमेंट्स?
सीनियर कार्डियोलोजिस्ट डॉक्टर विशाल ने हमें बताया कि जिम जाने वाले ज्यादातर युवा इसका इस्तेमाल करते हैं. यह कहना गलत नहीं होगा की आज के वक्त में जो हार्ट अटैक के मामले बढ़ गए हैं, उसकी एक वजह फूड सप्लीमेंट्स का ज्यादा सेवन भी है. लोगों को पता नहीं है कि यह सेहत के लिए कितना खतरनाक है. युवा टीवी या सोशल मीडिया पर हेल्दी ड्रिंक्स का विज्ञापन देखकर इंप्रेस हो जाते हैं, जबकि असल में हमें इन्हें लेने की जरूरत ही नहीं होती. इनमें बहुत अधिक शुगर होती है, जिससे मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है और ये ड्रिंक्स मोटापे का बड़ा कारण भी बनते हैं. FSSAI के मुताबिक, न्यूट्रास्यूटिकल्स ऐसा फूड है जिससे न केवल शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी को पूरा किया जाता है, बल्कि कई बीमारियों को ठीक करने में भी यह मददगार होता है.
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न्यूट्रास्यूटिकल्स तीन तरह के हैं खाने-पीने की चीजें, बेवरेज और डायटरी सप्लीमेंट्स. दिलचस्प यह है कि भारत में 64% न्यूट्रास्यूटिकल्स विटामिन और मिनरल के सप्लीमेंट्स के रूप में हैं. रोसवॉक हॉस्पिटल- दिल्ली के रोसवॉक हॉस्पिटल में सीनियर डाइटीशियन डॉक्टर राशि चहल ने इस रिपोर्ट को पढ़कर बताया कि इसे न सिर्फ युवाओं को, बल्कि गर्भवती महिलाओं को भी देखना चाहिए. क्योंकि खराब न्यूट्रिशन के असर से गर्भ में पल रहा शिशु भी कुपोषण का शिकार होता है. दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि न्यूट्रिशन की कमी को डाइट से पूरी करने के बजाए, सप्लीमेंट्स का सहारा लिया जाता है. डॉक्टर राशि ने बताया कि आखिर कौन से फूड सप्लीमेंट्स सेहत के लिए सही होते हैं और क्यों हमारी लाइफ स्टाइल खराब होती जा रही है, जिसकी वजह से हमें इन फूड सप्लीमेंट की जरूरत पड़ती है.
हमें क्यों पड़ती है फूड सप्लीमेंट्स की जरूरत?
उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर शरीर में प्रोटीन की उस तरह से कमी नहीं होती जैसे दूसरे न्यूट्रिएंट्स की होती है. अगर आप फिर भी प्रोटीन सप्लीमेंट ले रहे हैं तो ध्यान रहे कि यह आसानी से शरीर में डाइजेस्ट नहीं होता. इसे लेने से शरीर को कोई खास लाभ भी नहीं मिलता. एक हेल्दी डाइट में हर दिन कम से कम 500 ग्राम सब्जी और फल होने चाहिए. थाली में मौजूद इन चीजों से एक व्यक्ति को रोजाना कम से कम 8% कैलोरी मिलनी चाहिए. लेकिन असलियत यह है कि 80% भारतीय हेल्दी डाइट नहीं लेते. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की गाइडलाइंस के मुताबिक शरीर के वजन के हर किलो पर 0.8 से 1 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए.’
डॉक्टर राशि ने कहा, ‘लंबे समय तक जब कोई अधिक प्रोटीन लेता है तो किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है. किडनी में स्टोन भी हो सकता है. हाई प्रोटीन डाइट से लिवर और हार्ट की बीमारियां हो भी सकती हैं. भारतीय अपनी डाइट में अनाज तो खूब खाते हैं, लेकिन उनकी थाली में दाल, हरी सब्जियां और फल, ड्राई फ्रूट्स और डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल नहीं होते. यही कारण है कि न्यूट्रिशन की कमी को डाइट से पूरी करने के बजाए लोग सप्लीमेंट्स का सहारा लेते हैं, जो काफी नुकसान देता है. ऐसा करने से बचना चाहिए.’