काहिरा. पाकिस्तान की तरह मुस्लिम बहुल देश मिस्र भी आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. मिस्र का हाल पाकिस्तान और श्रीलंका की तरह होता जा रहा है. मिस्र के लोगों को भी अब खाद्य सामग्रियों की कमी महसूस होने लगी है. मिस्र की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वहां के लोगों के लिए अब अंडा लग्जरी आइटम हो गया है, बच्चों की स्कूल फीस तक भरने के लिए लोगों के पास पैसे नहीं हैं. देश के लोगों को सरकार चिकन फीट खाने की सलाह दे रही है. वहीं मिस्रवासियों को सरकार से इस बात को लेकर नाराजगी है कि ‘वे नागरिकों को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने की बात कर रही है, जो देश में अत्यधिक गरीबी का प्रतीक है.’
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, काहिरा के 30 वर्षीय माई अब्दुलघानी ने कहा, ‘मिस्र में खाद्य पदार्थो की कीमतें बेकाबू बुखार की तरह बढ़ रही हैं. मैं बस इतना सोचती हूं कि हम कैसे जीवित रहेंगे, हर बार जब हम सुपरमार्केट जाते हैं तो मेरा खून खौलता है. अंडे, दूध और पनीर की कीमत एक साल पहले की तुलना में चौगुनी हो गई हैं. गोमांस, चिकन, आटा, चावल और मछली का मूल्य लगभग तिगुना हो चुका है. मेरे इंसुलिन शॉट्स की कीमत सात गुना अधिक हो गई है.’
मिस्र अरब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जो मुद्रा संकट और पांच वर्षों में सबसे खराब मुद्रास्फीति की मार झेल रहा है. जिससे भोजन इतना महंगा हो गया है कि मिस्रवासियों को चिकन खरीदना भी भारी पड़ गया है. इसलिए देश की सरकार लोगों को चिकन फीट खाने के लिए प्रेरित कर रही है. मिस्र में, मुर्गे के पैरों को सबसे सस्ते खाद्य पदार्थ के रूप में देखा जाता है.’
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बता दें कि मिस्र पिछले एक दशक में कई वित्तीय संकटों से गुजरा है, जिस वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और खाड़ी अरब सहयोगियों जैसे लेनदारों से सहायता राशि मांगने के लिए मजबूर है. यही वजह है कि मिस्र आज कर्ज के चक्र में फंस गया है. मिस्र की अर्थव्यवस्था को पिछले 2 वर्षों में भयंकर झटका लगा है. मिस्र की आर्थिक स्थिति कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध बताया जा रहा है.