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Vijaya Ekadashi Vrat Katha: विजया एकादशी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, श्रीहरि पूरी करेंगे हर मनोकामना

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Vijaya Ekadashi Vrat Katha: विजया एकादशी के दिन श्रद्धाभाव से व्रत व पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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Vijaya Ekadashi Vrat Katha: हिंदी कैलेंडर के अनुसार साल में कुल 24 एकादशी के व्रत आते हैं और प्रत्येक एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है. आज यानि 16 फरवरी को फाल्गुम माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है और इसे विजया एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत करने से भक्तों पर श्रीहरि अपनी कृपा बरसाते हैं और उनके सभी दुख दूर करते हैं. अगर आप भी विजया एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो कथा अवश्य पढ़ें. क्योंकि बिना कथा कोई भी व्रत अधूरा माना जाता है.

विजया एकादशी व्रत कथा

द्वापर युग में धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई. उन्होंने अपनी शंका भगवान श्री कृष्ण के सामने प्रकट की. भगवान श्री कृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा, हे कुंते कि सबसे पहले नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से फाल्गुन कृष्ण एकादशी व्रत की कथा व महत्व के बारे में जाना था, उनके बाद इसके बारे में जानने वाले तुम्हीं हो.

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बात त्रेता युग की है जब भगवान श्रीराम माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने लिये सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया. समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे जो वानर सेना को हानि पहुंचा सकते थे. चूंकि श्री राम मानव रूप में थे इसलिये वह इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे.

उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे भी स्वयं इसका कोई उपाय नहीं सुझ रहा लेकिन यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय हमें अवश्य मिल सकता है. फिर क्या था भगवान श्री राम उनके पास पंहुच गये.

उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी. तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप समस्त सेना सहित उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब होंगे ही साथ ही इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगें.

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समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बतायी गई विधिनुसार भगवान श्री राम सहित पूरी सेना ने एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को परास्‍त किया.

डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं.Officenewz इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें.

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