बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर राजनीति चरम पर है, बिहार के मंत्री और जेडीयू नेता अशोक चौधरी ने शुक्रवार को भाजपा नेताओं पर अपनी सुविधा के अनुसार इस मुद्दे पर अपना रुख बदलने का आरोप लगाया.
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बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर राजनीति चरम पर है, बिहार के मंत्री और जेडीयू नेता अशोक चौधरी ने शुक्रवार को भाजपा नेताओं पर अपनी सुविधा के अनुसार इस मुद्दे पर अपना रुख बदलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आनंद मोहन की रिहाई की वकालत करते हुए कहा कि अगर पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या के दोषियों को रिहा किया जा सकता है, तो आनंद मोहन को रिहा करने में क्या समस्या है.
चौधरी ने कहा- राज्य सरकार के पास छूट की शक्ति है. वह पूर्व में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर छूट देती रही है. अन्य राज्यों में लोक सेवक की हत्या के दोषी अभियुक्त के लिए जेल मैनुअल में कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए, बिहार सरकार ने इसे हटा दिया है.
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उन्होंने कहा- सुशील मोदी ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए बयान दिया था. उन्होंने यह भी कहा कि अगर राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किया जा सकता है, तो आनंद मोहन को क्यों नहीं. जब राज्य सरकार ने आनंद मोहन को रिहा किया तो उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का फैसला सही नहीं है और यह दलित विरोधी फैसला है.इस घटना ने असल में बीजेपी के दोहरे चरित्र को दिखाया है.
उन्होंने कहा- आनंद मोहन के स्थान पर अगर कोई और कैदी जेल से रिहा होता, तो उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगती. आनंद मोहन बड़े नेता हैं, उनकी राजनीतिक पार्टी भी है. उनकी पत्नी सांसद थीं, उनका बेटा विधायक है. इसलिए, बीजेपी इस मुद्दे पर हो-हल्ला कर रही है.”
वहीं, बिहार सरकार की नीतीश कुमार सरकार भले ही बाहुबली-सह-राजनीतिज्ञ आनंद मोहन सिंह की रिहाई को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही हो, लेकिन भाजपा नेताओं की इस पर अलग राय है. इसके उच्च जाति के नेता सरकार के फैसले के पक्ष में हैं, जबकि ओबीसी वर्ग से जुड़े कुछ अन्य लोगों के अलग विचार हैं.
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शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दावा किया कि नीतीश कुमार और ललन सिंह ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ साजिश रची और उन्हें जेल भेजा. इसी तरह नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने आनंद मोहन के खिलाफ साजिश रची और उन्हें जेल भेज दिया. उन्होंने आनंद मोहन के राजनीतिक करियर को बर्बाद कर दिया है.
चौबे ने कहा- आनंद मोहन का नाम न सीधे गोपालगंज के डीएम जी कृष्णया की हत्या से जुड़ा था और न ही भीड़ को मारने के लिए उकसाने से जुड़ा था. इसके बावजूद उन्हें अपनी युवावस्था के दौरान जेल में रहने के लिए मजबूर किया गया था. मुझे अदालत के फैसले से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उन्हें युवावस्था में जेल में रहने के लिए मजबूर किया गया और राजनीतिक लाभ लेने के लिए रिहा कर दिया गया.
बिहार में बीजेपी के ब्राह्मण नेता चौबे ने कहा, मैं उन्हें (महागठबंधन के नेताओं को) बताना चाहता हूं कि उन्हें इसका राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा. आनंद मोहन के राजनीतिक करियर की हत्या करने वालों को इसका जवाब देना होगा. इससे पहले राजीव प्रताप रूडी और गिरिराज सिंह ने भी कहा था कि उन्हें आनंद मोहन की रिहाई पर कोई आपत्ति नहीं है.