नई दिल्ली। बचपन के दोस्त अक्सर बड़े होते-होते हमसे दूर हो जाते हैं. कई से बातचीत बंद हो जाती है और कई बार तो हमारे उन दोस्तों का फोन नंबर भी हमारे पास नहीं होता, जिससे हम ये पता कर सकें कि वो कहां हैं, क्या कर रहे हैं. 21 साल की नेहा को भी LKG में साथ पढ़ी अपनी एक दोस्त की बड़ी याद आ रही थी तो नेहा ने अपनी दोस्त को ढूंढने के लिए इंस्टाग्राम का सहारा लिया.
जिस दोस्त को नेहा ढूंढ रही थीं, उसका नाम है लक्षिता. नेहा ने इंस्टाग्राम पर Finding Lakshita नाम का पेज बनाया. इसमें उन्होंने एलकेजी के दिनों की फोटो पोस्ट की. पेज के बायो में नेहा ने लिखा कि उन्हें अपनी बचपन की एक दोस्त की बड़ी याद आ रही है, जिससे अब उनका कोई संपर्क नहीं है.
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नेहा ने फोटो पोस्ट करके लिखा, “ये लक्षिता है. वो 2006 में मेरी दोस्त थी. मुझे ज्यादा याद नहीं है, पर उसके भाई का नाम कुणाल है. वो 2006 में जयपुर चली गई थी. मैं उससे दोबारा मिलना चाहती हूं. तो इसलिए मैं लक्षिता नाम की हर प्रोफाइल को मैसेज कर रही हूं, इस उम्मीद में कि मुझे मेरी लक्षिता मिल जाएगी. स्कूल का नाम एंजल पब्लिक स्कूल है. अगर आप किसी लक्षिता को जानते हैं तो प्लीज़ उससे ये शेयर करें.”
दोस्त मिली तो रील पोस्ट करके बताया
लक्षिता के मिलने के बाद नेहा ने एक रील पोस्ट की. उसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी दोस्त को कैसे खोजा. साथ में लिखा, “फाइनली.. मैंने तुम्हें ढूंढ लिया. वैसे तुम्हें खोजना आसान नहीं था, पर मैंने कर लिया. ऑलमोस्ट 18 साल बाद तुमसे संपर्क करना अनरियल लग रहा है.”
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दरअसल LKG के बाद लक्षिता और उनका परिवार जयपुर शिफ्ट हो गया था और इस वजह से उनके बीच संपर्क टूट गया था. लक्षिता ने भी इंस्टाग्राम स्टोरी में अपनी पुरानी दोस्त के मिलने की जानकारी दी है. नेहा का वो रील वायरल हो चुका है जिसमें उन्होंने लक्षिता के मिलने की जानकारी दी थी. खबर लिखे जाने तक 82 लाख से ज्यादा व्यूज़ इस रील को मिल चुके हैं. इस पर कई यूजर्स अपने एक्सपीरियंस भी शेयर कर रहे हैं. कुछ अनुभव इमोशनल करने वाले हैं तो कुछ मज़ेदार हैं.
एक यूजर ने लिखा, “मैंने भी ऐसे ही राहुल नाम के अपने एक दोस्त को खोजने की कोशिश की थी, 1000 से ज्यादा लोगों को मैसेज किया तो क्लास 2 का मेरा दोस्त राहुल मिल गया. कुछ दिन बाद उसने मुझे फोन किया और मुझसे कुछ पैसे मांगे. मैंने पैसे दे दिए फिर उसने मुझे ब्लॉक कर दिया. पर वो मेरा वाला राहुल ही था, उसे सबकुछ याद था क्लास 2 का. बस 1200 रुपये के लिए उसने ये कर दिया.”
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एक यूजर ने लिखा, “प्री स्कूल के बाद मैं अपने परिवार के साथ विदेश चला गया. 5-6 साल बाद जब लौटा तो प्री स्कूल के अपने बेस्ट फ्रेंड को खोजने का मन बनाया. जिस स्कूल में एडमिशन लिया, वहां के पुराने दोस्तों से उसके बारे में पूछा. उस दिन वो नहीं आया था. अगले दिन मैंने उसे हर क्लासरूम में खोजा, जब दिखा तो मैं उसके पास गया. उससे मिलकर मैं बहुत एक्साइटेड था,पर उसे न मैं याद था और न ही मेरा नाम. मैंने उससे कहा कि मुझे लगा कि वो कोई और है और उसके बाद हम एक ही स्कूल में तीन साल पढ़े, पर ऐसे रहे जैसे हम एक दूसरे को जानते भी न हों.”
वहीं कुछ लोगों ने इस बात पर ध्यान दिलाया कि नेहा कि किस्मत अच्छी थी कि लक्षिता एक रेयर नाम है. नहीं तो बिना सरनेम या बिना ज्यादा डिटेल के खुशी, नेहा या प्रिया नाम की लड़की को खोजना नेक्स्ट टू इम्पॉसिबल होगा.