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दुनिया

चीन को पछाड़ भारत जल्द ही बनेगा तेल का सबसे बड़ा आयातक, Green Hydrogen क्षेत्र में बन सकता है वर्ल्ड लीडर

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नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क: अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के चीफ फतह बिरोल ने आज कहा कि भारत जल्द ही वैश्विक तेल मांग के सबसे बड़े देश चीन से आगे निकल जाएगा। इसके अलावा बिरोल ने यह भी कहा कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में वर्ल्ड लीडर बना सकता है।

बढ़ रही है मांग

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IEA के चीफ ने कहा कि आने वाले दिनों में दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश भारत में तेल की मांग बढ़ने वाली है। IEA चीफ ने कहा कि भारत तेल की मांग में चीन से आगे इस लिए निकल जाएगा क्योंकि चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाया है जिसकी वजह से चीन में पेट्रोल और डीजल की खपत में गिरावट हुई है।

ग्रीन हाइड्रोजन में बन सकता है वर्ल्ड लीडर

फतह बिरोल ने भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनने को लेकर कहा कि सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से उत्पादित सस्ती बिजली, भारत को ग्रीन हाइड्रोजन लीडर बनने में मदद कर सकती है।

वैश्विक ऊर्जा का केंद्र है भारत- बिरोल

IAE चीफ बिरोल ने कहा कि उन्होंने छह साल पहले कहा था कि भारत वैश्विक ऊर्जा मामलों का केंद्र बनने के लिए तैयार है और आज 6 साल बाद भारत वैश्विक ऊर्जा मामलों के केंद्र बन चुका है।

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बिरोल ने कहा कि भारत उर्जा के केंद्र में केवल भारी मांग की वजह से नहीं पहुंचा बल्कि सोलर जैसे नवीकरणीय स्रोतों से बिजली पैदा करने और बायोफ्यूल को बदलने के लिए गन्ना, फूडग्रेन और एग्री वेस्ट से उत्पादित इथेनॉल जैसे जैव ईंधन का उपयोग करने में तेजी से प्रगति की वजह से बना है।

2070 से पहले जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है भारत

IAE चीफ ने तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत साल 2070 के लक्ष्य की तारीख से पहले कार्बन उत्सर्जन को नेट जीरो करने की क्षमता है और भारत स्वच्छ ऊर्जा के मोर्चे पर “उत्कृष्ट काम” कर रहा है।

2015 से स्वच्छ ऊर्जा में बढ़ा निवेश

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बिरोल ने कहा कि इस साल ऊर्जा में कुल 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश में से 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जीवाश्म ईंधन के लिए और 1.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के लिए है हुए हैं। IAE चीफ के मुताबिक साल 2015 से स्वच्छ ऊर्जा में निवेश साल दर साल बढ़ा है।

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