उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में एक चश्मदीद के मुताबिक उसे अपने एक खेत में 6 फीट की दरार दिखाई दी है. दरअसल, भारी बारिश के चलते बद्रीनाथ के श्रद्धालुओं के प्रवेश द्वार पर एक बार फिर भूवैज्ञानिक अस्थिरता पैदा हो गई है.
देहरादून. इन दिनों चारधाम यात्रा जारी है. भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम पहुंच रहे हैं. ऐसे में बद्रीनाथ जाने वाले रास्ते में पड़ने वाला मुख्य इलाका जोशीमठ में एक बार फिर दरारों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में एक चश्मदीद के मुताबिक उसे अपने एक खेत में 6 फीट की दरार दिखाई दी. दरअसल, भारी बारिश के चलते बद्रीनाथ के श्रद्धालुओं के प्रवेश द्वार जोशीमठ में एक बार फिर दरारों को लेकर दहशत पैदा हो गई है. जहां से जनवरी के महीने में कई घरों में आए खतरनाक दरारों के चलते सैंकड़ों परिवारों को निकालना पड़ा था.
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जोशीमठ शहर के सुनील वार्ड के निवासी विनोद सकलानी ने कहा, “मुझे अपने घर के पास एक छोटे से खेत में कम से कम 6 फीट की एक दरार मिली है. ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे मानसून की बारिश के कारण हुआ हो,” हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इसके अलावा उन्होंने कहा, “हमें बारिश के कारण हमारे शहर में संरचनाओं को अधिक नुकसान होने की आशंका है. मैंने दरार को पत्थर और मिट्टी से भर दिया है. यहां तक कि क्षतिग्रस्त घरों में दरारें अभी धीरे-धीरे ही सही लेकिन बढ़ रही हैं.” सकलानी परिवार शहर का पहला परिवार था, जिसने दो साल पहले अपने घर में दरारें देखी थीं.
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बता दें कि इस साल जनवरी की शुरुआत में स्थिति और बिगड़ गई. एक के बाद एक कर कई घरों में दरारें आने लगी थीं, जिसके चलते सैंकड़ों परिवारों को सुरक्षित जगह भेजना पड़ा और घर खाली कराने पड़े. सकलानी ने कहा, “मैं 6 जनवरी से एक होटल (सुरक्षित स्थान पर) में रह रहा हूं और घर के पास खेत में बंधे मवेशियों की देखभाल के लिए हर दिन अपने घर जाता हूं.”
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स्थानीय अधिकारियों ने रविवार को स्थान का दौरा किया. सकलानी ने कहा, “उन्होंने कहा है कि एक तकनीकी टीम सोमवार को गड्ढे के गहन निरीक्षण करने के लिए आएगी.” ब्रद्रीनाथ के प्रवेश द्वार शहर जोशीमठ में कम से कम 868 संरचनाओं में दरारें आ गई हैं और अब तक 181 को असुरक्षित घोषित किया गया है. इस वर्ष की शुरुआत में इलाके से कई सैकड़ों लोगों को निकाला गया था और उनमें से अधिकांश अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं.