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Credit Card का करते हैं इस्तेमाल तो हो जाएं सावधान, आपका खर्च बढ़ाकर कमाती हैं क्रेडिट कार्ड कंपनियां

Credit Card

क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल के अलावा क्या आपने कभी सोचा की ये कंपनियां कमाई कहां से करती हैं और इनके द्वारा दिए जाने वाले रिवॉर्ड कैशबैक का खर्च कौन वहन करता है। अगर क्रेडिट कार्ड का जिम्मेदारी से उपयोग किया जाए तो यह एक मूल्यवान वित्तीय उपकरण हो सकता है। कंपनियां भी अपनी कमाई बढ़ाने के लिए ग्राहकों से ज्यादा खर्च करवाती हैं।

नई दिल्ली,बिजनेस डेस्क: क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल आप और हम सब करते हैं। इसके अनेक आकर्षित ऑफर, रिवॉर्ड प्वाइंट और तमाम तरह की बेनिफिट की वजह से ज्यादातर लोग क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। यह कार्ड आपको उस वक्त सबसे ज्यादा काम आता है जब आपको कोई मंहगी चीज ईएमआई पर लेनी होती है।

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लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि जो कार्ड आपको इतनी सुविधाएं देता है, तरह-तरह के स्कीम और बेनिफिट देता है वो आखिर कमाता कैसे हैं। क्या आपको कभी सोचा की आपको जो सुविधाएं और बेनिफिट क्रेडिट कार्ड कंपनी देती है उसका खर्च कंपनी कैसे वहन करती है। आज हम आपको इन्हीं सब सवालों के जवाब देने जा रहे हैं।

कैसे कमाती है क्रेडिट कार्ड कंपनी?

क्रेडिट कार्ड कंपनियां अन्य लेंडिंग बिजनेस के जैसे ब्याज से कमाई के अलावा अन्य तरीकों से भी पैसा बनाती है। चलिए एक-एक कर इन्हें समझते हैं।

ब्याज आय:

अन्य लेंडिंग बिजनेस के समान, क्रेडिट कार्ड कंपनियां ग्राहकों द्वारा उनके क्रेडिट कार्ड पर रखे गए बकाया शेष पर ब्याज लगाकर ब्याज आय उत्पन्न करती हैं।

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जब कोई ग्राहक समय पर भुगतान करने में विफल रहता है या कुल बिल का केवल एक हिस्सा ही चुकाता है, तो क्रेडिट कार्ड कंपनियां शेष राशि पर ब्याज शुल्क लगाती हैं। ये ब्याज दरें सामान्य तौर पर हाई होती हैं जो सालाना 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक होते हैं।

इसके अलावा, यदि कोई ग्राहक समान मासिक किस्त (ईएमआई) योजना के माध्यम से खरीदारी करना चुनता है, तो क्रेडिट कार्ड कंपनी वित्तपोषित राशि पर ब्याज लगाती है। ऐसे मामलों में, ब्याज दरें आम तौर पर कम जो सालाना 10 से 20 प्रतिशत तक होती है।

इंटरचेंज इनकम:

क्रेडिट कार्ड कंपनियां ब्याज आय के अलावा इंटरचेंज आय के माध्यम से भी कमाई करती है। मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) चार्ज व्यापारियों पर तब लगाया जाता है जब वे क्रेडिट कार्ड से भुगतान स्वीकार करते हैं। इन शुल्कों की गणना आम तौर पर लेनदेन मूल्य के प्रतिशत के रूप में की जाती है, जो 1 प्रतिशत से 3 प्रतिशत के बीच होती है।

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मेंबरशिप फीस:

क्रेडिट कार्ड कंपनियों के लिए आय का एक अन्य स्रोत मेंबरशिप फीस है। जब ग्राहक क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं और स्वीकृत हो जाते हैं, तो बैंक उनसे एकमुश्त ज्वाइनिंग शुल्क का भुगतान करने के लिए कह सकता है।

इसके अतिरिक्त, क्रेडिट कार्ड कंपनियां कार्डधारकों से सालाना चार्ज भी लेती हैं। यह चार्ज विशिष्ट राशि कार्ड से जुड़ी सुविधाओं, लाभों और पुरस्कारों पर निर्भर करती है।

अन्य शुल्क-आधारित आय:

ब्याज आय, इंटरचेंज आय और मेंबरशिप फीस के अलावा, क्रेडिट कार्ड कंपनियां विभिन्न अन्य शुल्कों के माध्यम से राजस्व अर्जित करती हैं।

इन शुल्कों में बैलेंस ट्रांसफर शुल्क, देर से भुगतान शुल्क, नकद अग्रिम शुल्क, विदेशी लेनदेन शुल्क और विशिष्ट सेवाओं या लेनदेन से जुड़े अन्य शुल्क शामिल होते हैं।

क्रेडिट कार्ड रिवार्ड का कौन करता है भुगतान?

अकसर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने पर आपको रिवॉर्ड प्वाइंट, कैशबैक इत्यादि का लाभ मिलता है। तो आखिर इन सब पर होने वाले खर्च का भुगतान करता कौन है।

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क्रेडिट कार्ड कंपनियां कई माध्यमों से राजस्व अर्जित करती हैं, और एक महत्वपूर्ण स्रोत व्यापारियों द्वारा भुगतान की जाने वाली मर्चेंट डिस्काउंट रेट होती है। जितना अधिक हम उनके क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके खर्च करते हैं, उतनी अधिक आय क्रेडिट कार्ड कंपनियां इन शुल्कों से अर्जित करती हैं। खर्च बढ़ने से भुगतान में देरी की संभावना भी बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप बैंकों को ब्याज आय में वृद्धि होती है।

ग्राहकों को अधिक खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, बैंक और क्रेडिट कार्ड कंपनियां अक्सर अपने ग्राहकों को लक्षित ऑफर भेजती हैं और रियायती ऑनलाइन/ऑफ़लाइन बिक्री को बढ़ावा देती हैं। ऐसा करके, उनका लक्ष्य ग्राहक खर्च बढ़ाना है, जिससे अधिक राजस्व प्राप्त हो सके।

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