गेहूं और दाल विक्रेताओं (Wheat and Pulses Sellers) पर नकेल कसने की तैयारी शुरू हो गई है. आटा (Flour) और दाल की बढ़ती कीमतों के बीच केंद्र सरकार ने गेहूं और दाल बेचने वाले व्यापारियों को स्टॉक (Stock) के बारे में बताना अनिवार्य कर दिया है. अब दुकानदार (Shopkeepers ) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य एवं संरक्षण विभाग के वेबसाइट पर स्टॉक बताया करेंगे.
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नई दिल्ली. गेहूं और दाल विक्रेताओं (Wheat and Pulses Sellers) पर नकेल कसने की तैयारी शुरू हो गई है. आटा (Flour) और दाल की बढ़ती कीमतों के बीच केंद्र सरकार ने गेहूं और दाल बेचने वाले व्यापारियों को स्टॉक (Stock) के बारे में बताना अनिवार्य कर दिया है. अब दुकानदार (Shopkeepers ) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य एवं संरक्षण विभाग के वेबसाइट पर स्टॉक बताया करेंगे. इसके लिए सभी दुकानदारों को अपने फर्म का खाद्य एवं संरक्षण विभाग के वेबसाइट पर निबंधन अनिवार्य कर दिया गया है. सभी दुकानदारों को हर शुक्रवार को गेहूं और दाल का पर्याप्त भंडार को बताना ही होगा. दिल्ली, यूपी, बिहार और एमपी सहित सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में यह नई व्यवस्था लागू कर दी गई है.
बता दें कि पिछले कई महीनों से देश में आटा, चावल और दाल की कीमतों में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है. दिल्ली-एनसीआर में अरहर की दाल 160 रुपये पार कर गया है. वहीं, यूपी, बिहार, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र में भी आटा और दाल की कीमतों का यही हाल है. यूपी से सटे बिहर में तो निबंधन की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है. बिहार में तो गांव-घर में दाल और आटा बेचने वाले दुकानदारों को अब निबंधन कराना होगा.
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केंद्र सरकार के द्वारा महंगाई रोकने के लिए एक के बाद एक निर्णय लिए जा रहे हैं. (file photo)
गेहूं और दाल का बताना होगा स्टॉक
पिछले कुछ केंद्र सरकार के द्वारा महंगाई रोकने के लिए एक के बाद एक निर्णय लिए जा रहे हैं. ऐसे में केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के निर्दश पर अब सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में अगले कुछ दिनों तक यह विशेष अभियान चलाया जाएगा. इससे दाल और गेहूं की कालाबाजारी रोकने में मदद मिल सकती है.
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आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई
देश में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिसमें कालाबाजारी की आशंका हमेशा बनी रहती है. इसलिए भारत सरकार की ओर से अब आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत खाद्य पदार्थों की स्टॉक की सीमाएं और स्टॉक के लिए समय-समय पर निर्देश जारी किए जाते हैं. अगर बिहार की बात करें तो यहां 22 लाख हेक्टेयर में गेहं की खेती होती है. बिहार औसतन हर साल तकरीबन 68 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होता है. इसी तरह बिहार के 4 लाख हेक्टेयर जमीन पर दलहन की खेती होती है और उत्पादन लगभग 4 लाख मैट्रिक टन होता है.
बिहार सरकार ने गेहूं और दाल बेचने वालों को खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की वेबसाइट www.evegils.nic.in/wsp/login पर जाकर होलसेलर, रिटेलर, बिग चेन रिटेलर और प्रोसेसर की कैटेगरी को सेलक्ट करना होगा. पता, पिन कोड भरने के बाद दुकानदार को अपना नाम, ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर भरना होगा. इसके बाद पैन नंबर और पैन अटैच करना होता है. इसके बाद दिए गए मोबाइल नंबर पर ओटीपी आएगा और वह भरने के बाद स्टॉक का विवरण सबमिट करना होगा.